वनडे का महाकुंभ अगले साल इंग्लैंड में गर्मी के महीने में शुरू होगा। इसके लिए सारी रणनीतियां और गेम प्लान तैयार हैं। यहां दुनिया की टॉप-10 टीम अपनी बादशाहत कायम करने के लिए जद्दोजहद करेंगी। आईसीसी वर्ल्ड कप 2019 शुरू होने में अब क़रीब एक साल का वक़्त बचा है। क्रिकेट पंडितों की माने तो इंग्लैंड को वर्ल्ड कप ट्रॉफ़ी का सबसे मज़बूत दावेदार माना जा रहा है। हांलाकि पिछले 11 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड एक बार भी चैंपियन नहीं बनी है, लेकिन इस बार इंग्लैंड टीम को इस तरह तैयार किया गया है, जिसको देखकर ऐसा लगता है कि ये पहली बार वर्ल्ड कप का ख़िताब जीत सकती है। हम यहां उन 5 वजहों के बारे में चर्चा कर रहे हैं जिसे देखकर ऐसा लगता है कि इंग्लिश टीम साल 2019 के वर्ल्ड कप ट्रॉफ़ी की प्रबल दावेदार है।
#1 घरेलू मैदान का फ़ायदा
पिछला 2 वर्ल्ड कप मेज़बान देशों ने जीता है, साल 2019 में ऐसा हो जाए तो कोई ताज्जुब की बात नहीं होगी। बरसों पहले किसी टीम को घरेलू मैदान का इतना फ़ायदा नहीं मिलता था लेकिन मौजूदा दौर में होम ग्राउंड की अहमियत कुछ ज़्यादा बढ़ गई है। अपने देश का मौसम और घरेलू दर्शकों का सपोर्ट किसी भी टीम को फ़ायदा पहुंचाता है। पिछले कुछ सालों में इंग्लिश टीम का अपने देश में हुए वनडे मैचों में रिकॉर्ड का अच्छा रहा है। छोटे ग्राउंड उनके विस्फोटक बल्लेबाज़ों को फ़ायदा पहुंचा सकते हैं और वहां की पिच इंग्लैंड टीम की पेस ब्रैट्री के लिए मुफ़ीद होगी, इसकी बदौलत वो पहला वर्ल्ड कप जीत सकते हैं।
#2 बल्लेबाज़ी की गहराई
2015 के वर्ल्ड कप में बेहद ख़राब प्रदर्शन के बाद इंग्लैंड क्रिकेट में नई क्रांति देखने को मिली और उसका नतीजा हर किसी के लिए मिसाल बन गया। मौजूदा इंग्लिश टीम की बैटिंग लाइन-अब बेहद तगड़ी है और इस पर बेहद गहराई तक ध्यान दिया गया है। आदिल राशिद जो अच्छी बल्लेबाज़ी का हुनर रखते हैं, वो नंबर-10 पर बल्लेबाज़ी के लिए आते हैं, इस तरह आप इंग्लैंड के चाहे आधे विकेट गिरा दें, लेकिन बाक़ी बल्लेबाज़ टीम के लिए तैयार रहते हैं। अब वनडे मैच का नतीजा ज़्यादातर विस्फोटक बल्लेबाज़ी पर निर्भर करता है, क्योंकि क्रिकेट में कई नियम बल्लेबाज़ों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए बनाए जाते हैं। इंग्लैंड के किसी भी बल्लेबाज़ का स्ट्राइक रेट बुरा नहीं है, क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो ये उस बल्लेबाज़ के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। एलेक्स हेल्स, ईयॉन मॉर्गन, जोस बटलर और बेन स्टोक्स का स्ट्राइक रेट 150 से ज़्यादा है।
#3 ऑस्ट्रेलियाई टीम का बुरा दौर
क्रिकेट के इतिहास में कोई भी टीम को इतनी कामयाबी नहीं मिली है जितनी की ऑस्ट्रेलियाई टीम ने हासिल की है। कंगारुओं ने अब तक 5 वर्ल्ड कप हासिल किए हैं। हांलाकि टी-20 में इस टीम का प्रदर्शन औसत रहा है लेकिन 50 ओवर के खेल में उनका दबदबा रहा है। हांलाकि हाल में हुई बॉल टैंपरिंग की घटना ने इस टीम के मनोबल को तोड़कर रख दिया है। ऑस्ट्रेलिया के 2 सबसे मज़बूत बल्लेबाज़ डेविड वॉर्नर और स्टीव स्मिथ पर एक साल का प्रतिबंध लग गया है। भले ही वो वर्ल्ड कप से पहले क्रिकेट में वापसी कर लेंगे, लेकिन अपने पुराने फ़ॉम में वापस आना इतना आसान नहीं होगा। हांलाकि टीम में क्रिस लिन जैसे बल्लेबाज़ मौजूद हैं लेकिन वॉर्नर और स्मिथ की जगह कोई और नहीं ले सकता।
#4 मॉर्गन की कप्तानी
इस बात में कोई शक नहीं कि ईयॉन मॉर्गन इस वक़्त सीमित ओवर के खेल के लिए विश्व के सबसे बेहतरीन कप्तान हैं। 2015 से लेकर अब तक जिस तरह से उन्होंने टीम को तैयार किया है वो क़ाबिल-ए-तारीफ़ है। वो अपनी टीम में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं जो इंग्लैड के प्रदर्शन में साफ़ देखा जा सकता है। इस टीम में क्रिस वोक्स, एलेक्स हेल्स और टॉम कुर्रन जैसे बेहतरीन बल्लेबाज़ों के खेल में सुधार देखने को मिला है। मॉर्गन ने अपने बल्लेबाज़ों से कहा है कि वो बिना डरे बल्लेबाज़ी करें, जिसकी वजह से इस टीम में कई विस्फोटक बल्लेबाज़ उभर कर सामने आए हैं। हांलाकि आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफ़ी में इंग्लैंड को पाकिस्तान के ख़िलाफ़ हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ वनडे से सीरीज़ में इस टीम ने अपनी लय वापस पा ली थी।
#5 पॉवरप्ले ओवर्स
इंग्लैंड की टीम में कई तेज़ शॉट लगाने वाले बल्लेबाज़ों को उदय हुआ है, ऐसे में इस टीम के लिए पावरप्ले ओवर्स काफ़ी अहम हैं। जॉनी बेयरस्टो, एलेक्स हेल्स और जेसन रॉय जैसे बल्लेबाज़ टीम के रन रेट को 10 के पार बनाए रखते हैं। पावरप्ले में ही मैच का आधा नतीजा तय हो जाता है। इंग्लैंड के बल्लेबाज़ पहले 10 ओवर में 80 से 100 रन का आंकड़ा पार कर सकते हैं जिससे 320 से लेकर 330 तक के स्कोर को छुआ जा सकता है। लेखक- अभिषेक अनुवादक – शारिक़ुल होदा