महेंद्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे कप्तान रहे हैं। उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने आईसीसी की तीनों ट्रॉफी अपने नाम की है। वह ऐसा करने वाले दुनिया के एकलौते कप्तान भी है। 2007 वर्ल्ड टी20 के समय उन्हें भारतीय टीम की कप्तानी मिली थी। कुछ समय बाद ही उन्हें टेस्ट मैचों की भी कप्तानी मिल गई। धोनी की ही कप्तानी में भारतीय टीम पहली बार रैंकिंग में नंबर एक तक पहुंची थी।
देश को इतना कुछ देने के बाद भी कप्तान और खिलाड़ी के तौर पर धोनी ने कई ऐसे काम किए जिसकी वजह से भारतीय फैंस उन्हें नापसंद करते हैं। सबसे सफल कप्तान होने के बावजूद देश में उनके काफी आलोचक हैं।
आइये आज हम आपको वह कारण बताते हैं जिसकी वजह से भारतीय फैंस महेंद्र सिंह धोनी को नापसंद करते हैं।
#1 दिग्गज खिलाड़ियों को टीम से बाहर करना
महेंद्र सिंह धोनी ने पहली बार सितंबर-अक्टूबर 2007 में भारतीय वनडे टीम की कप्तानी मिली थी। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुई पहली सीरीज के अंत में ही धोनी ने राहुल द्रविड़ को टीम से बाहर कर दिया। उनके बाद पाकिस्तान की टीम भारत दौरे पर आई और धोनी ने उस सीरीज के बाद सौरव गांगुली को भी वनडे टीम से ड्रॉप कर दिया।
फिर 2012-13 में वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर को भी धोनी ने टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया। दोनों ही खिलाड़ियों को वनडे टीम में उसके बाद कभी मौका नहीं मिला। इन्हीं वजहों से खेल फैंस धोनी को पसंद नहीं करते।
#2 सीबी सीरीज 2012 में रोटेशन पॉलिसी
ऑस्ट्रेलिया में 2012 में हुई सीबी सीरीज में कप्तान धोनी एक नई रणनीति लेकर आए। इसके अनुसार टीम के 3 सीनियर खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर में से एक मैच में दो ही खिलाड़ियों को प्लेइंग इलेवन में मौका मिलेगा। इसकी वजह धोनी ने उनकी स्लो फील्डिंग को बताया।
मीडिया से लेकर फैंस में इसका काफी विरोध हुआ। सीरीज के अंतिम मैच में धोनी ने तीनों खिलाड़ियों को एक साथ टीम में शामिल किया लेकिन फिर भी टीम फाइनल में नहीं पहुँच पाई।
#3 चेन्नई के खिलाड़ियों को मौका
आईपीएल के पहले सत्र से ही महेंद्र सिंह धोनी चेन्नई सुपर किंग्स टीम के कप्तान हैं। उन्होंने चेन्नई टीम के कई ऐसे खिलाड़ियों को भारतीय टीम में खेलने का मौका दिया जिन्हें लेकर विवाद हुआ। मनप्रीत गोनी, सुब्रमण्यम बद्रीनाथ, सुदीप त्यागी, पवन नेगी जैसे खिलाड़ियों को आईपीएल के एक-दो अच्छे प्रदर्शन के बाद धोनी ने भारतीय टीम में जगह दे दी।
ये सभी खिलाड़ी भारतीय टीम के लिए कुछ खास नहीं कर पाए। इसके अलावा शुरुआत में धोनी द्वारा रविन्द्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन को टीम में जगह देने पर भी सवाल खड़े हुए थे। वहीं अम्बाती रायडू को अच्छे प्रदर्शन के बाद भी भारतीय टीम में आने के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ा था।
#4 एशिया से बाहर बल्ले से नहीं निकली बड़ी पारी
महेंद्र सिंह धोनी ने वनडे और टेस्ट मैचों में कई बड़ी पारियां खेली है। वनडे में उनका सबसे बड़ा स्कोर 183 है तो टेस्ट में 224 रन। इसके बावजूद एशिया से बाहर टेस्ट और वनडे दोनों में उनके नाम एक भी शतक दर्ज नहीं है। यहाँ तक कि ऋद्धिमान साहा और ऋषभ पंत भी टेस्ट मैचों में एशिया से बाहर शतक लगा चुके हैं।
वनडे और टेस्ट में धोनी ने शानदार औसत से रन बनाये हैं। इसके बावजूद घर के बाहर एक भी शतकीय पारी नहीं होने की वजह से लोग उनपर सवाल खड़े करते हैं।
#5 2017 चैंपियंस ट्रॉफी में बल्ले से फ्लॉप
इसमें कोई शक नहीं है कि आज भी भारतीय टीम के पास महेंद्र सिंह धोनी के विकेटकीपिंग का कोई विकल्प है। इसके बावजूद बल्ले से उनका प्रदर्शन उनके टीम में होने पर सवाल खड़े कर रहा है। चैंपियंस ट्रॉफी 2017 से अब तक धोनी ने 41 वनडे मैच खेले हैं। इसमें उन्होंने सिर्फ 6 अर्धशतक लगाये हैं। इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट भी काफी कम रहा है।
इस दौरान उन्होंने अपने वनडे करियर की सबसे धीमा अर्धशतक भी लगाया। वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने 108 गेंदों में अपना अर्धशतक पूरा किया था। धोनी इसी तरह के प्रदर्शन की वजह से कई बड़े खिलाड़ी को टीम से बाहर कर चुके हैं। अब अपने ऐसे प्रदर्शन के बाद भी टीम में बने हुए हैं। यही कारण है कि लोग उन्हें नापसंद करने लगे हैं।