एक बड़ा कारण है जो कि गंभीर का बयान सही बनाता है वह यह क्योंकि एक दशक पहले के विपरीत, युवराज और धोनी अब टीम के लिये जरूरी सदस्य नहीं हैं। वे अब बदले जा सकते हैं क्योंकि उनकी खासियत, जो उनकी मारक-शक्ति थी, अब अतीत की बात है। समय को एक दशक पहले वापस ले जायेंगे तो युवराज के छः छक्के की याद सामने होगी,जो किंग्समेड ओवल में स्टुअर्ट ब्रॉड के खिलाफ था। और चमकीले बालों में एक युवा धोनी, जो आसानी से गेंद को किसी भी सीमा के पार करने में सक्षम थे।
यह मारने की शक्ति अब अतीत की बात बन गयी है और युवराज अब उन शॉट को खेलते समय जोखिम भरे नज़र आते हैं, और धोनी में अब वो कलात्मकता नज़र नही आती। उनके काम को करने के लिये अब पांड्या टीम की पसंद है। यही कारण है कि युवराज अब वापसी करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और प्रदर्शन में निरंतरता ही धोनी के भविष्य की शर्त है।