इंग्लैंड के खिलाफ 9 नवंबर से शुरू होने वाली पांच टेस्ट सीरीज के पहले दो टेस्ट के लिए टीम इंडिया का चयन हो चुका है और इसमें हाल ही में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेलने वाली भारतीय टीम में कुछ बदलाव हुए हैं। जहां एक ओर भारतीय टीम के कुछ नियमित खिलाड़ी इंजरी की वजह से टीम से बाहर हुए हैं, जबकि कई युवा खिलाड़ियों को इस सीरीज में भारतीय टीम में शामिल किया गया है। नई चनय समिति ने बड़ौदा के ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या को इंग्लैंड के खिलाफ पहले दो टेस्ट में भारतीय टीम में शामिल करते हुए सबको चौंका दिया। 23 वर्षीय ये खिलाड़ी सीमित ओवर के खेल में टीम इंडिया का हिस्सा बन चुका है, और अब तेज गेंदबाज ऑलराउंडर के तौर पर हार्दिक को भारतीय टेस्ट टीम में जगह दी गई है। इंग्लैंड के खिलाफ इस अहम सीरीज में हार्दिक पांड्या को टीम में शामिल करने के फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर फैंस का गुस्सा साफ तौर देखा जा रहा है। एक नजर उन पांच अहम वजहों पर जो बताती हैं कि आखिर क्यों हार्दिक टेस्ट टीम के योग्य नहीं हैं। #1 अभी तक सीमित ओवर के खेल में दिखा हार्दिक का जलवा हार्दिक पांड्या ने इस साल जनवरी में टी20 में डेब्यू किया और वो भारतीय टीम का हिस्सा बने जिसने ऑस्ट्रेलिया को उनके घर में 3-0 से सूपड़ा साफ किया। उसके बाद, उन्हें पहली बार खेला गया टी20 एशिया कप और भारत में आयोजित हुआ 2016 आईसीसी वर्ल्ड टी20 में भी टीम इंडिया में शामिल किया गया। हाल ही में खत्म हुई न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में भी हार्दिक को वनडे में डेब्यू करने का मौका मिला और 5 मैचों की इस सीरीज में से 4 मैचों में हार्दिक मैदान पर उतरे। डेब्यू मैच में 3/31 के शानदार बॉलिंग स्पैल के बाद मैन ऑफ द मैच रहे और दूसरे वनडे में 36 रन की पारी खेलने के अलावा हार्दिक ने इस सीरीज में कोई खास कमाल नहीं किया था। 16 टी20 में पांड्या का प्रदर्शन औसतन ही रहा, और वो 11.14 की खराब औसत से महज 78 रन ही जोड़ पाए और 8 की हाई इकॉनमी से उन्होंने 15 विकेट चटकाए। अभी तक हार्दिक के अंतर्राष्ट्रीय करियर की हाईलाईट एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ 3/8 के साथ अपनी छाप छोड़ा और वर्ल्ड टी20 में बांग्लादेश के खिलाफ आखिरी ओवर में कमाल दिखाया था। ज्यादातर भारतीय खिलाड़ी जो अब तक सीमित ओवर के खेल से प्रमोट होकर टेस्ट में पहुंचे हैं, उनको सीमित ओवर में बेहतरीन प्रदर्शन करनी की वजह से क्रिकेट के लम्बे फॉर्मेट में शामिल किया गया। हर खिलाड़ी को खासकर टेस्ट टीम में जगह बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है न सिर्फ घरेलू क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन का दवाब रहता है बल्कि उसके ओवरऑल प्रदर्शन पर चयनकर्ताओं की पैनी नजर रहती है। जिसके बाद ही उस खिलाड़ी के नाम पर मुहर लग वो भारतीय टेस्ट टीम में शामिल हो पाता है। हालांकि, हार्दिक पांड्या अभी तक खुद को सीमित ओवर क्रिकेट में साबित नहीं कर पाए हैं जिस वजह से वो टेस्ट में शामिल होने के योग्य नहीं लग रहे हैं। #2 फॉर्स्ट क्लास क्रिकेट में बहुत कम योगदान 2013 में बड़ौदा की ओर से फॉर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू करने के बावजूद, हार्दिक पांड्या ने अब तक महज 16 मैच खेले हैं। वास्त में, हार्दिक पांड्या 2015 आईपीएल में मुम्बई इंडियंस की ओर से कुछ बेहतरीन पारी खेलने से पहले तक कोई खास पहचान नहीं बना पाए थे। इसके अलावा, उनका घरेलू क्रिकेट में अब तक का सबसे चर्चित प्रदर्शन 2016 सईद मुश्ताक अली टी20 मुकाबला रहा है। फॉर्स्ट क्लास क्रिकेट में, वो एक स्टार खिलाड़ी के तौर पर अपनी पहचान बनाने में नाकाम रहे और अब तक उन्होंने लगभग 28 की औसत से 727 रन बनाए जबकि 22 विकेट झटके। टेस्ट क्रिकेट में जगह बनाने के लिए किसी भी खिलाड़ी का फॉर्स्ट क्लास क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन जरुरी होता है। जबकि अगर कोई ये स्टेप पूरा नहीं करता, तो उस स्थिति में वो उसका दूसरे पक्ष में बेहद शानदार और प्रतिभाशाली खिलाड़ी होना अनिवार्य है। हालांकि, हार्दिक पांड्या के मामले में दोनों ही बातें नहीं हैं, इसलिए इस वक्त हार्दिक को टेस्ट टीम में जगह मिलना थोड़ा जल्दबाजी लग रहा है। #3 बहुत से खिलाड़ी हैं जो अभी तक मौके की तलाश में हैं हार्दिक पांड्या का चयन कई सवाल खड़े करता है क्योंकि घरेलू क्रिकेट में जो खिलाड़ी सबसे अच्छी फॉर्म और लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं उनकी अनदेखी की गई है। जिसमें सबसे प्रतिष्ठित नाम अगर कोई है तो वो है हिमाचल के ऑलराउंडर ऋषि धवन। भारतीय घरेलू क्रिकेट जगत में सबसे बेहतरीन खिलाड़ी ऋषि धवन हैं जो तेज गेंदबाज ऑलराउंडर हैं,40 से ज्यादा की बैटिंग औसत के अलावा उन्होंने 55 फॉर्स्ट क्लास मैचों में 200 विकेट चटकाए हैं। हालांकि उनको सीमित ओवर के खेल में अभी तक कई मौके दिए गए हैं, लेकिन चयनकर्ताओं को उन्हें क्रिकेट के लम्बे फॉर्मेट में आजमाना चाहिए। बल्कि टेस्ट क्रिकेट में पांड्या के बड़ौदा टीम के साथी खिलाड़ी इरफान पठान सीम-बॉलिंग ऑलराउंडर के मामले में हार्दिक से बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं। लेकिन सेलेक्टर्स ने मुम्बई इंडियंस के इस खिलाड़ी पर ज्यादा भरोसा जताते हुए उन्हें ही मौजूदा समय में भारतीय टेस्ट टीम के लिए सबसे ज्यादा बेहतर समझा। #4 किसी भी डिपार्टमेंट के स्पेशलिस्ट नहीं हैं बीते वर्षों में अभी तक इस खले में ज्यादातर बेहतरीन ऑलराउंडर किसी भी एक डिफॉर्टमेंट में स्पेशलिस्ट रहे हैं जो दूसरे डिपार्टमेंट में भी अच्छा करते हैं। जहां एक ओर इयान बोथम, कपिल देव और इमरान खान जैसे दिग्गज खिलाड़ी गेंदबाजी में मजबूत थे वहीं गैरी सोबर्स और जैक कैलिस बल्लेबाजी में बेहतरीन थे। अभी तक जितना भी हार्दिक पांड्या के खेल को देखा गया है, वो किसी भी पक्ष में मदबूत नहीं दिखाई दिए हैं। हालांकि भारतीय टीम के सीमित ओवर के कप्तान एमएस धोनी ने उन्हें एक गेंदबाज के तौर पर इस्तेमाल किया है, लेकिन वहां भी हार्दिक बहुत ज्यादा प्रभाव डालने में कामयाब नहीं रहे हैं। साथ ही बतौर लोअर ऑर्डर बल्लेबाज के रुप में भी वो ज्यादातर मौकों पर फ्लॉप ही साबित हुए हैं और एकल अंक के स्कोर पर आउट हुए हैं। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, हार्दिक को क्रिकेट के लम्बे फॉर्मेट में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।#5 शीर्ष टीमों के खिलाफ उनको मौका देना हार्दिक पांड्या को अगर जिब्बावे और बांग्लादेश के खिलाफ भारतीय टेस्ट टीम में जगह दी जाती तो शायद ये फैसला ठीक होता लेकिन इंग्लैंड जैसी ताकतवर विरोधी के खिलाफ जिसने आखिरी बार भारत दौरे पर टीम इंडिया को मात दी, उस मजबूत टीम के खिलाफ टेस्ट में मौका देना भारी पड़ सकता है। आमतौर पर बड़ौदा ऑलराउंडर की बल्लेबाजी तकनीक भी काफी प्रभावशाली नहीं दिखाई दी है, वहीं गेंदबाजी के मामले में भी वो खुद को साबित करने में नाकाम ही रहे हैं। कमजोर विरोधी के खिलाफ हार्दिक के इन पहलूओं का खुलासा शायद नहीं होता लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ उनको काफी संघर्ष करना पड़ सकता है। जैसे कि, अपने घरेलू मैदान पर हावी रहनी वाली भारतीय टीम के लिए इस सीरीज में हार्दिक पांड्या एक कमजोर कड़ी साबित हो सकते हैं।