2007 जीत के सूत्र को दोहराएं
विश्वकप टी-20 के उद्घाटन संस्करण 2007 में वापस आते हैं जब भारत ने ट्रॉफी उठाकर कर सभी को चौंका दिया तब किसी को भारत की जीत की उम्मीद नहीं थी। वरिष्ठ टीम 50 ओवरों के विश्वकप में मिली हार से पस्त थी और जूझ रही थी और टीम का मनोबल पूरी तरह से टूटा हुआ था।
टीम के बड़े नामों को चयन से बाहर रख दिया गया था ताकि स्टार नामों के बिना टीम के नये युवा खिलाड़ी जीत की भूख दिखाते हुए खुद को साबित कर सके लेकिन यही सफलता का मंत्र साबित हुआ है।
युवराज सिंह और एमएस धोनी जैसे सितारों वाली युवा टीम ने निर्भीक होकर क्रिकेट खेला क्योंकि उनके पास हारने के लिए कुछ भी नहीं था। यही कारण है कि यह सबसे महत्वपूर्ण समय है कि भारत के युवा जो निडर होकर इस धुंआधार क्रिकेट को खेल सकते हैं उन पर निवेश करके जीत के उस फार्मूले को दोहराने की कोशिश की जाए।