भारत की टेस्ट टीम इस वक़्त आईसीसी रैंकिंग में पहले पायदान पर है, ऐसा लग रहा है कि टीम इंडिया को फ़िलहाल रोक पाना नामुमकिन है। क़रीब 2 सालों से विराट कोहली की टीम ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। इसके अलावा भारत ने लगातार 9 टेस्ट सीरीज़ में जीत हासिल की है। कई महान खिलाड़ी जैसे सुनील गावस्कर और राहुल द्रविड़ ने मौजूदा भारतीय टीम पर भरोसा जताया है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि इस टीम में इतिहास बनाने की क़ाबिलियत है। टीम इंडिया के अगले विदेशी दौरों की शुरुआत साउथ अफ़्रीका के सफ़र से होगी, जहां वो साल 2018 के शुरुआत में प्रोटियाज़ टीम से 3 मैचों की टेस्ट सीरीज़ खेलेगी। यहां हम उन 5 वजहों के बारे में बता रहे हैं जो भारत के विदेशी मैदानों पर कामयाबी की इबारत लिख सकते हैं।
#5 सलामी बल्लेबाज़ों का बढ़ियां फ़ॉर्म
किसी भी टीम के लिए उनके सलामी बल्लेबाज़ों का बढ़ियां फ़ॉर्म वरदान साबित होती है, वो भी तब, जब टीम किसी विदेशी दौरे पर हो। भारत के लिए ख़ुशकिस्मती की बात है कि टीम के 3 सलामी बल्लेबाज़ों का हाल का प्रदर्शन शानदार रहा है। अब टीम मैनेजमेंट को ये फ़ैसला करना है कि मैच में किन 2 ओपनिंग जोड़ी को पिच पर उतारना है, जो उस माहौल के लिए बेस्ट हों। श्रीलंका के ख़िलाफ़ एक के बाद एक शतक लगाने की वजह से मुरली विजय ने अपनी जगह लगभग पक्की कर ली है। विदेशी धरती पर उनका तजुर्बा भी टीम के लिए काम आ सकता है। शिखर धवन का भी जलवा टीम में कायम है, वो अपने बेहतरीन शॉट से विपक्षी टीम के गेंदबाज़ी अटैक को धूल चटा देते हैं। जब वो पूरे फॉम में होते हैं तो कई बार शतक भी लगाते हैं। सलामी बल्लेबाज़ के एल राहुल भी लगातार बढ़ियां प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन कई नाज़ुक मौके पर वो विकेट गंवाने के लिए आलोचनाओं का शिकार हुए हैं। वो कई बार शतक लगाने में भी नाकाम रहे हैं। हांलाकि मुरली विजय और शिखर धवन टीम मैनेजमेंट की पहली पसंद होंगे, लेकिन के एल राहुल एक मज़बूत रिज़र्व ओपनर साबित हो सकते हैं।
#4 ख़तरनाक सीम बॉलिंग
भारत ने हमेशा से कई बेहतरीन स्पिनर्स को टीम में जगह दी है, लेकिन तेज़ गेंदबाज़ों के मामले में ऐसा अकसर नहीं होता है। अब विराट कोहली की कप्तानी में तेज़ गेंदबाज़ी में भारत को फिर से मज़बूती मिली है। कोलकाता में श्रीलंका के ख़िलाफ़ पहले टेस्ट की पहली पारी में तेज़ गेंदबाज़ों ने सभी 10 विकेट हासिल किए थे। ये कारनामा पिछले 34 सालों में हिंदुस्तानी सरज़मीं पर पहली बार हुआ था। ईडन गार्डन्स में ही दूसरी पारी में भी टीम इंडिया के तेज़ गेंदबाज़ों ने 7 विकेट चटकाए थे। मौजूदा वक़्त में टीम इंडिया के 3 तेज़ गेंदबाज़ इशांत शर्मा, उमेश यादव, भुवनेश्वर कुमार और मोहम्मद शमी अपने बेहतरीन फॉर्म में है। ये गेंदबाज़ न सिर्फ़ सीमिंग विकेट पर क़हर बरपा सकते हैं, बल्कि फ़्लैट डेक पर भी विकेट निकाल सकते हैं। जसप्रीत बुमराह जो सीमीत ओवर के खेल में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ टेस्ट मैच के लिए भी टीम इंडिया में शामिल किया गया है।
#3 अनुभवी स्पिनर्स
श्रीलंका के ख़िलाफ़ टेस्ट सीरीज़ से पहले रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा ग़लत वजहों से ख़बरों में छाए हुए थे। वनडे सीरीज़ से इन दोनों की दूरी कई सवालों को जन्म दे रही थी कि सीमित ओवर के खेल में इनका भविष्य क्या होगा। हांलाकि नागपुर में इन दोनों के प्रदर्शन के बदौलत टीम इंडिया को टेस्ट सीरीज़ में जीत हासिल हुई। विदेशी पिचों पर इन गेंदबाज़ों का तजुर्बा भी टीम के काम आ सकता है। अश्विन ने ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ़्रीका और इंग्लैंड में 9 टेस्ट मैच खेले हैं। अश्विन ने विदेश में 9 टेस्ट मैच में 24 विकेट लिए हैं, जबकि जडेजा ने विदेशी मैदान पर 7 टेस्ट मैच खेले हैं और 18 विकेट हासिल किए हैं। बढ़ियां गेंदबाज़ी के अलावा इन दोनों गेंदबाज़ों ने कई नाज़ुक मौक़ों पर अपने बल्ले से भी कमाल दिखाया है। मौजूदा हालात में अश्विन और जडेजा में से कोई एक ही गेंदबाज़ प्लेइंग-XI में शामिल हो सकता है। हांलाकि पिछले विदेशी दौरों में इन दोनों गेंदबाज़ो का प्रदर्शन कुछ ख़ास नहीं रहा था, लेकिन बाद में इन दोनों की गेंदबाज़ी में ज़बरदस्त सुधार आया है। उम्मीद है कि अश्विन और जडेजा विदेशी मैदान में अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
#2 सीम बॉलिंग ऑलराउंडर की मौजूदगी
महान क्रिकेटर कपिल देव के 1994 में संन्यास लेने के बाद टीम सीम बॉलिंग ऑलराउंडर गेंदबाज़ों की तलाश जारी थी लेकिन टीम मैनेजमेंट को कोई ख़ास क़ामयाबी नहीं मिली थी। कई खिलाड़ी को मौक़ा दिया गया था लेकिन ज़्यादा दिन तक कोई भी खिलाड़ी कामयाब ऑलराउंडर नहीं बन पाया। सीम बॉलिंग ऑलराउंडर के तौर पर हार्दिक पांड्या का उदय विराट कोहली के लिए एक अच्छा विकल्प साबित हुआ है। 3 टेस्ट मैचों में पांड्या ने 59.66 की औसत से 178 रन बनाए हैं जिसमें 3 अर्धशतक शामिल हैं। इसके अलावा पांड्या ने 23.75 के औसत से 4 विकेट भी हासिल किए हैं। हांलाकि टेस्ट क्रिकेट में पांड्या के भविष्य को लेकर कोई भी राय बनाना जल्दबाज़ी होगी, लेकिन उनमें एक आर्दश पेस ऑलराउंडर बनने की पूरी क़ाबिलियत है। टीम में उनकी मौजूदगी विराट कोहली को 5 गेंदबाज़ों के चुनाव में मदद कर सकती है।
#1 विराट कोहली की शानदार कप्तानी
विराट कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया ने टेस्ट क्रिकेट में नई ऊंचाइयों को छुआ है। जब कोहली को टीम इंडिया की कप्तानी मिली थी तो भारत टेस्ट रैंकिंग में 6ठे नंबर पर था। फिर एक के बाद एक सीरीज़ में जीत हासिल हुई और टीम इंडिया टॉप पर क़ाबिज़ हो गई। कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया ने 33 मैचों में 20 में जीत हासिल की है। उनकी जीत का औसत 60.6 है, जो लाजवाब है। फ़ुल टाइम कप्तान बनने के बाद कोहली ने एक भी टेस्ट सीरीज़ नहीं हारी है। कप्तानी की ज़िम्मेदारी के अलावा उनके बल्ले का कमाल भी कम नहीं है, एक के बाद एक शतक से टीम इंडिया को लगातार जीत हासिल हुई है। बेहद मुमकिन है कि कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया विदेशी मैदान में भी कमाल दिखाएगी। लेखक- प्रथमेश पाटिल अनुवादक- शारिक़ुल होदा