[caption id="attachment_12276" align="alignnone" width="800"] पिछले कुछ सालों में भारत का विदेशों में प्रदर्शन चिंताजनक रहा है[/caption] 2008 में अनिल कुंबले के बाद जब धोनी को टेस्ट कप्तानी सौंपी गयी, तब सभी को उनसे ढेर सारी उम्मीदें थी। शुरुआत में धोनी ने चयनकर्ताओं के भरोसे पर खरा उतरे। होम टेस्ट सीरीज में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और बाकी बड़े टीम को मात दी। धोनी के ही कप्तानी में भारत पहली बार टेस्ट रैंकिंग में नंबर 1 स्थान पर पहुंचा। सौरव गांगुली को पछाड़ते हुए वे भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान बने। लेकिन अभी सबसे बुरा दौर तो आना बाकी था। 2011 के बाद से भारत विदेशी धरती पर सीरीज जीतने में असफल रही। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के हाथों उसे 4-0 से मुंह की खानी पड़ी। इसके साथ साथ न्यूज़ीलैंड और दक्षिण अफ्रीकन दौरे पर टीम का प्रदर्शन भी कुछ खास नहीं था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में जब भारत के ख़राब प्रदर्शन के कारण सभी धोनी के कप्तानी पर सवाल उठा रहे थे, तब उन्होंने बीच सीरीज में ही संन्यास की घोषणा कर दी और टेस्ट कप्तान कोहली को बना दिया गया।