आजकल पिच घरेलू टीम के अनुकूल तैयार की जाती है , जिससे मेजबान टीम को बढ़त मिले। हालांकि ये एक खेल का विवादास्पद भाग है और हर सीरीज़ के दौरान इस विष्य पर बहस होती है। कुछ लोग सोचते हैं कि घेरूलू टीम को उनकी कंडीशंस का लाभ मिलना चाहिए, लेकिन कुछ लोग ये मानते हैं कि स्पोरटिंग पिच होनी चाहिए। लेकिन असलीयत यही है कि कोई भी टीम अपने घर में टेस्ट नहीं हारना चाहती जिससे प्रभावित होकर पिच क्यूरेटर ऐसी पिचें तैयार करते हैं जो मेजबान टीम को मदद करे। जब भारत ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर हो तो वहां का पिच क्यूरेटर टर्निंग नहीं तैयार करेगा, इसी तरह जब विदेशी टीम भारत दौरे पर आएंगी तो भारतीय क्यूरेटर उन्हें ठोस और बांउसी पिच नहीं देगा । इससे एक टीम के लिए अपना दबदबा कायम रखना आसान हो जाता है और यही कारण है कि दूसरों के घर में कम ही टीमें जीतकर लौटती हैं।