इन 5 घटनाओं से ये साबित होता है कि एमएस धोनी एक नि:स्वार्थ क्रिकेटर हैं

इस बात में कोई शक नहीं है कि महेंद्र सिंह धोनी टीम इंडिया के महानतम खिलाड़ियों में से एक हैं। जब उन्होंने टीम इंडिया के लिए डेब्यू किया था तब उनके बाल काफ़ी लंबे थे, जिसकी वजह से कई लोग उनकी दीवाने हो गए थे। जब साल 2007 में धोनी को टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया था तब कई लोग उनकी क़ाबिलियत पर शक कर रहे थे। लेकिन धोनी ने अपनी कप्तानी में भारत को आईसीसी वर्ल्ड टी-20 2007 का चैंपियन बनाया था। तब से लेकर अब तक धोनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, रांची में जन्मे इस क्रिकेटर को क्रिकेट इतिहास का सबसे कामयाब कप्तान कहा जाता है। वो विश्व के सबसे बेहतरीन फ़िनिशर्स में से एक हैं। धोनी ने अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर में कुछ ऐसा व्यवहार पेश किए हैं जिससे ये पता चलता है कि वो एक नि:स्वार्थ क्रिकेटर हैं। हम यहां ऐसी ही 5 घटनाओं के बारे में चर्चा कर रहे हैं। #5 जब धोनी ने सौरव गांगुली को कप्तानी सौंपी थी ये बात तब की है जब साल 2008 में ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत के दौरे पर आई थी। नागपुर में सौरव गांगुली अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का आख़िरी टेस्ट मैच खेल रहे थे। पहले बल्लेबाज़ी करते हुए टीम इंडिया ने 441 रन बनाए थे जिसमें तेंदुलकर ने 109 रन की शतकीय पारी खेली थे। इसके जवाब में ऑस्ट्रेलिया ने 355 रन का स्कोर खड़ा किया जिसमें कैटिच ने 102 रन की पारी खेली थी। इस हिसाब से भारत ने पहली पारी में कंगारुओं के ख़िलाफ़ 86 रन की बढ़त हासिल कर ली थी। दूसरी पारी में टीम इंडिया 295 रन पर ऑल आउट हो गई थी, सहवाग ने भारत की तरफ़ से सबसे ज़्यादा 92 रन बनाए थे। बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलिया 209 रन ही बना पाई और भारत ये मैच 172 रन से जीत गया। इस मैच का सबसे ख़ास पल तब आया जब टीम इंडिया को जीत के लिए महज़ 1 विकेट की ज़रूरत थी। उस वक़्त एमएस धोनी ने अपनी कप्तानी ने दादा को सौंप दी थी। और इस तरह धोनी ने गांगुली को एक यादगार विदाई दी थी। #4 धोनी चैंपियंस ट्रॉफ़ी रवींद्र जडेजा को सौंप दी थी साल 2013 की आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफ़ी इंग्लैंड में खेली गई थी, युवा टीम इंडिया के लिए इस टूर्नामेंट को जीतने का सुनहरा मौका था। हांलाकि टीम में कई बड़े खिलाड़ी मौजूद थे, लेकिन सबसे ज़्यादा दबाव कप्तान धोना पर ही था। धोनी ने यूथ ब्रिगेड के साथ मिलकर फ़ाइनल में मेज़बान इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 5 रन से जीत हासिल की थी। मैच जीतने के बाद कप्तान धोनी को चैंपियंस ट्रॉफ़ी दी गई, लेकिन इसे हासिल करने के तुरंत बाद माही ने इसे रवींद्र जडेजा को सौंप दिया। बाएं हाथ के स्पिनर जडेजा ने भारत को चैंपियंस ट्रॉफ़ी जिताने में काफ़ी योगदान दिया था। जडेजा ने 5 मैच में 3.75 की इकॉनमी रेट से 12 विकेट हासिल किए थे। #3 जब धोनी ने विराट कोहली को विनिंग रन बनाने का मौका दिया साल 2014 की आईसीसी वर्ल्ड टी-20 में भारत और दक्षिण अफ़्रीका के बीच सेमीफ़ाइनल मुक़ाबला जारी था। प्रोटियास टीम ने पहली बल्लेबाज़ी करते हुए 172 रन का बड़ा स्कोर बनाया था। इसके जवाब में विराट कोहली ने साउथ अफ़्रीकी गेंदबाज़ों की जमकर धुनाई की थी। जब टीम इंडिया जीत की तरफ़ बढ़ने लगी, तभी सुरेश रैना आउट हो गए। उस वक़्त भारत को जीत के लिए 9 गेंदों में 6 रन की ज़रूरत थी। 19वें ओवर की चौथी गेंद पर कोहली ने एक चौका लगाया और दौड़कर 1 रन के बनाए। धोनी स्ट्राइक पर थे और टीम इंडिया को जीत के लिए 7 गेंदों में 1 रन की ज़रूरत थी। कोहली इस बात से मायूस दिख रहे थे कि वो विनिंग रन नहीं बना पाएंगे। धोनी ने कोहली के निराश चेहरे को देखा और 19वें ओवर की आख़िरी गेंद में कोई रन नहीं लिया। अगले ही गेंद में कोहली ने जीत के लिए रन बना दिया। धोनी की ये अदा सभी को पसंद आई। #2 एमएस धोनी ने विराट कोहली को सेलकॉन कप 2013 उठाने के लिए कोहली को बुलाया टीम इंडिया 2013 में कैरिबियाई सरज़मीं पर श्रीलंका और वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ त्रिकोणीय सीरीज़ खेलने गई थी। सीरीज़ के बीच में धोनी चोटिल हो गए थे और विराट कोहली ने अपनी कप्तानी में टीम इंडिया को फ़ाइनल में पहुंचा दिया। हांलाकि धोनी फ़ाइनल से पहले फ़िट हो गए और ख़िताबी मुक़ाबले में श्रीलंका के ख़िलाफ़ कप्तानी की। फ़ाइनल में टीम इंडिया 1 विकेट से जीत गई थी। ख़िताबी जीत के बाद धोनी को ट्रॉफ़ी लेने के लिए मंच पर बुलाया गया, लेकिन धोनी ने कोहली को ट्रॉफ़ी पकड़ने के लिए आमंत्रित किया, क्योंकि कोहली ने ज़्यादातर मैचों में कप्तानी की थी। धोनी के इस नि:स्वार्थ व्यवहार ने दर्शकों का दिल जीत लिया। #1 सीरीज़ जीतने के बाद धोनी का व्यवहार धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने कई टूर्नामेंट जीते हैं, हर सीरीज़ जीतने के बाद टीम की ग्रुप फ़ोटो ली जाती है। जिसमें कप्तान समेत टीम के सभी खिलाड़ी मौजूद रहते हैं। धोनी अकसर ट्रॉफ़ी अपने टीम के सदस्यों को सौंप देते थे और ब्रैकग्राउंड में जीत का जश्न मनाते थे। उनका ये व्यवहार साबित करता है कि वो अपने खिलाड़ियों को कितनी अहमियत देते थे। लेखक- सिलम्बारासन केवी अनुवादक- शारिक़ुल होदा

Edited by Staff Editor
Sportskeeda logo
Close menu
Cricket
Cricket
WWE
WWE
Free Fire
Free Fire
Kabaddi
Kabaddi
Other Sports
Other Sports
bell-icon Manage notifications