5 कारण, क्यों महेंद्र सिंह धोनी बन गए भारत के सबसे पसंदीदा कप्तान

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4.आगे बढ़कर जिम्मेदारी लेना
dhoni in world cup

भले ही धोनी कितने खराब फॉर्म में क्यों ना हों लेकिन जब टीम की जिम्मेदारी लेने की बात आती है तो एक कुशल कप्तान की तरह आगे बढ़कर वो बखूबी उस जिम्मेदारी को अपने ऊपर लेते हैं और काम को अंजाम तक पहुंचाते हैं। 2011 वर्ल्ड कप में धोनी का बल्ला ज्यादा चल नहीं रहा था, लेकिन श्रीलंका के खिलाफ फाइनल मैच में हालात को देखते हुए उन्होंने खुद को बैटिंग ऑर्डर में प्रमोट किया और 28 साल बाद भारत को विश्व चैंपियन बना कर ही लौटे। ये दिखाता है कि मानसिक रुप से वे कितने मजबूत खिलाड़ी हैं और खुद पर उन्हें कितना भरोसा है। धोनी उन गिने-चुने कप्तानों में से एक हैं जिन्होंने कप्तानी के दौरान अच्छी बल्लेबाजी की। धोनी ने टीम के लिए अपने खेलने का अंदाज भी बदल डाला पहले जहां वो अपने लंबे-लंबे छक्कों के लिए जाने जाते थे वहीं टीम का कप्तान बनने के बाद वो समझदारी और सूझबूझ से बल्लेबाजी करने लगे। जरुरत पड़ने पर ही उन्होंने ज्यादा बड़े शॉट लगाए। धोनी टीम के कप्तान थे वो चाहते तो बल्लेबाजी क्रम में खुद ऊपर खेलने आ सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया बल्कि इसकी बजाय उन्होंने युवा खिलाड़ियों को अपनी स्किल दिखाने का ज्यादा मौका दिया। धोनी ने मैच फिनिशर की भूमिका ज्यादा निभाई वो आते थे और मुश्किल हालात से टीम को निकालकर मैच जितवाकर दम लेते थे। 199 वनडे मैचों में धोनी ने कप्तानी की है जिसमें से 15 बार वो खुद मैन ऑफ द् मैच रहे। अपनी कप्तानी में 15 दफा मैन ऑफ द् मैच का खिताब जीतने वाले वो चौथे खिलाड़ी हैं। ये उनकी गजब की प्रतिभा को दिखाता है। जब धोनी बल्लेबाजी के लिए क्रीज पर आते थे तो कुछ वक्त लेते थे लेकिन उसके बाद उनके हेलिकॉप्टर शॉट दर्शकों को दीवाना बना देते थे। अच्छे सा अच्छा गेंदबाज को भी धोनी के सामने गेंद करने में दिक्कत होती है। उनके अजीबोगरीब ताकतवर शॉट गेंद को मैदान के किसी भी कोने में पहुंचाने में सक्षम हैं।

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