वर्ल्ड कप मुकाबले में भारत के खिलाफ मैच में मुश्फिकुर रहीम ने जैसे ही हार्दिक पांड्या की तीसरी गेंद पर चौका लगाया वो हवा में उछल पड़े, उन्हें लगा कि 2007 वर्ल्ड कप की तरह एक बार फिर बांग्लादेशी टीम भारत को हरा देगी। लेकिन धोनी इस नाजुक मौके पर बिल्कुल शांत रहे और उनका फोकस आखिर की 3 गेंदों पर था। स्टंप के पीछे खड़े धोनी का दिमाग कंप्यूटर की तरह काम कर रहा था। इसका रिजल्ट भी देखने को मिला जब 2 गेंदों पर भारतीय टीम ने 2 विकेट निकाल लिए, आखिरी गेंद पर बांग्लादेश को जीतने के लिए 2 रन चाहिए थे और विकेट के पीछे खड़े धोनी ने पहले से ही अपना दस्ताना निकाल लिया था कि अगर बल्लेबाज बिना गेंद को हिट किए ओवर थ्रो के रन भागे तो वे उसे आसानी से रन कर सकें। ठीक वैसा ही हुआ जैसा धोनी ने सोचा था, बल्लेबाज गेंद को हिट नहीं कर पाए लेकिन मैच टाई करने के लिए रन दौड़ पड़े। पर धोनी को तो मानो पहले से ही पता था कि ये होने वाला है जैसे ही गेंद उन्होंने कलेक्ट की वो स्ट्राइंकर एंड पर दौड़ पड़े और बल्लेबाज के क्रीज में पहुंचने से पहले ही विकेट की गिल्लियां बिखेर दी। बांग्लादेश को यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसके जबड़े में आ चुका मैच धोनी बहुत दूर निकाल कर ले जा चुके हैं। धोनी की खासियत ये थी कि वो मैच हार भी रहे होते थे तो भी एकदम शांत रहते थे। पिछले आईपीएल सीजन में राइजिंग पुणे सुपरजाएंट्स की कप्तानी करते हुए उनके सामने कई चुनौतियां आईं। टीम के कई अहम खिलाड़ी चोटिल हो गए, लेकिन इसके बावजूद धोनी शांत तरीके से अपना क्रिकेट खेलते रहे। दबाव को उन्होंने अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। यही वजह रही कि किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ मैच में उन्होंने आखिरी ओवर में ताबड़तोड़ 23 रन जड़ डाले।