भारतीय क्रिकेट टीम में इन दिनों खिलाड़ियों की चोट सामान्य सी बात हो गए । इंग्लैंड के साथ सीरीज में भारत के कई खिलाड़ी चोटिल हुए हैं। लोकेश राहुल, रोहित शर्मा, शिखर धवन, भुवनेश्व कुमार और रिद्धिमान साहा । हालांकि कई ऐसे विकेटकीपर हैं, जो भारतीय टीम में जगह बना सकते हैं । साहा ने खुद महेंद्र सिंह धोनी के संन्यास लेने के बाद विकेट के पीछे अच्छी जिम्मेदारी निभाई है । साहा ने टीम में जगह पक्की करने के लिए काफी मेहनत की, यहां तक कि कप्तान विराट कोहली ने खुद उनकी तारीफ की । लेकिन कहते हैं किस्मत से ज्यादा कुछ नहीं मिलता । चोट के कारण उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा और उनकी जगह पर टीम में लिया गया लंबे समय से वापसी की कोशिश कर रहे अनुभवी खिलाड़ी पार्थिव पटेल को । पार्थिव पटेल की वापसी से प्रशंसकों को काफी खुशी हुई । उन्होंने अपने प्रशंसकों को निराश भी नहीं किया और मोहाली टेस्ट मैच में भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई । आइए आपको बताते हैं 5 ऐसे कारण जिसकी वजह से पार्थिव पटेल टेस्ट टीम में रिद्धिमान साहा की जगह ले सकते हैं । 1.- अनुभव इस बात से कतई भी इन्कार नहीं किया जा सकता है कि पार्थिव पटेल के पास क्रिकेट का अच्छा-खासा अनुभव है । उन्होंने पूर्व टेस्ट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से पहले डेब्यू किया । उस वक्त विराट कोहली दिल्ली के लिए अंडर-14 क्रिकेट में खेल रहे थे । भारतीय टीम के वर्तमान कोच अनिल कुंबले उस समय भारतीय टीम का अहम हिस्सा थे । 8 साल पहले उन्होंने भारतीय टीम में अपना स्थान खो दिया, लेकिन घरेलू मैचों में पार्थिव ने लगातार बेहतरीन क्रिकेट खेला । पार्थिव पटेल को 8 साल के लंबे अंतराल के बाद भारतीय टेस्ट टीम में यूं ही जगह नहीं मिली । उनके नाम प्रथम श्रेणी मैचों में लगभग 10,000 रन हैं जो कि एक बहुत बड़ी उपलब्धि है । पार्थिव की सबसे अच्छी बात ये रही कि उन्होंने अपने खेल पर काफी मेहनत की । मोहाली टेस्ट मैच के बाद इंटरव्यू में पार्थिव ने बताया कि कैसे उन्होंने ड्राइव खेलने का जमकर अभ्यास किया, वो मात्र पुल और कट शॉट पर ही नहीं निर्भर रहना चाहते थे । भारतीय टीम अभी टेस्ट मैचों में अच्छा खेल रही है और विश्व की नंबर एक टेस्ट टीम है । लेकिन आगे चलकर जब भारतीय टीम उपमहाद्वीप से बाहर का दौरा करेगी तब पार्थिव पटेल के अनुभव की उन्हें काफी जरुरत होगी । 2. खेल की समझ और विकेट के पीछे उनकी फुर्ती मोहाली में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच में एक पल के लिए भी पार्थिव पटेल गेम से बाहर नहीं लगे । पार्थिव काफी चपलता से विकेटकीपिंग करते हैं और हर एक गेंद पर पैनी नजर रखते हैं, इससे टीम का हौंसला बढ़ेगा और विपक्षी बल्लेबाजों पर दबाव बनेगा । वहीं पार्थिव ने विराट के साथ मिलकर फील्ड सजाने में भी काफी अहम भूमिका निभाई । सालों के अनुभव की वजह से वो खेल की हर बारीकी को अच्छे से जानते हैं । अपने 14 साल के करियर में पार्थिव ने सौरव गांगुली और अनिल कुंबले जैसे दिग्गज खिलाड़ियों की कप्तानी में मैच खेला है । ऐसे में इन दोनों खिलाड़ियों से मिले अनुभव को वो विराट कोहली के साथ साझा कर सकते हैं । वैसे तो भारतीय टीम में प्रतिभावान खिलाड़ियों की भरमार है, लेकिन पार्थिव पटेल के टीम में आने से टीम को काफी ज्यादा फायदा होगा । 3. आक्रामक बल्लेबाजी- लंबे समय बाद वापसी करने के बावजूद पार्थिव ने अपने खेल से स्पष्ट कर दिया कि वो अपने स्वाभाविक आक्रामक अंदाज में ही खेलेंगे । पार्थिव ने मोहाली टेस्ट की दूसरी पारी में इंग्लिश गेंदबाजों की धज्जियां उड़ाते हुए आक्रामक अंदाज में अर्धशतक लगाया । उनकी बल्लेबाजी को देखकर लगा ही नहीं कि वो जरा सा भी दबाव में हैं । आईपीएल में दर्शकों ने पार्थिव की आक्रामक बल्लेबाजी को तो काफी देखा है । लेकिन ये बात सबको पता होनी चाहिए की यही उनके खेलने का अंदाज है । टेस्ट मैचों में उनकी धुंआधार बल्लेबाजी मैच का रुख पलट सकती है, क्योंकि टेस्ट में भी वो उसी तरह खेलते हैं । अगर साहा से उनकी तुलना की जाए तो पार्थिव टेस्ट मैचों में तेजी से रन बनाने की क्षमता के कारण बेहतर विकल्प हैं । 4. बल्लेबाजी क्रम में लचीलापन- इसमें कोई शक नहीं कि अन्य नियमित सलामी बल्लेबाजों के चोटिल वजह होने की वजह से पार्थिव पटेल को ओपनिंग करनी पड़ी । उन्हें साहा की जगह विकेटकीपर बल्लेबाज के रुप में टीम में शामिल किया गया है, ऐसे में वो मिडिल ऑर्डर में भी बल्लेबाजी कर सकते हैं । टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज चोटिल हैं, तो वो टॉप ऑर्डर में भी बल्लेबाजी कर सकते हैं । लेकिन के एल राहुल चौथे टेस्ट मैच से टीम में वापसी कर रहे हैं । ऐसे में के एल राहुल से ओपनिंग कराकर पार्थिव पटेल से निचले क्रम में बल्लेबाजी कराई जा सकती है । अगर बाद में पार्थिव का बेहतरीन प्रदर्शन ऐसे ही जारी रहता है तो टीम मैनेजमेंट के पास मिडिल ऑर्डर में एक अच्छा विकल्प होगा । इसमें कोई शक नहीं कि रिद्धिमान साहा एक बेहतरीन बल्लेबाज हैं, लेकिन एक ओपनर के तौर पर उनको अभी आंकने की जरुरत होगी । 5. उम्र पार्थिव के साथ है- आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पार्थिव की उम्र अभी भी ज्यादा नहीं हुई है । पार्थिव की उम्र अभी 31 साल है, जबकि रिद्धिमान साहा उनसे एक साल बड़े हैं । उनकी उम्र 32 साल है । ऐसा नहीं है कि समय बीतने के साथ पार्थिव के शरीर पर कोई असर नहीं पड़ा है । लेकिन 8 साल के लंबे अंतराल के बाद टीम में वापसी से उनके सामने आगे खेलने के दरवाजे खुल गए हैं । वापसी के बाद अपने पहले ही मैच में उन्होंने दिखा दिया कि उनकी फिटनेस पर कोई असर नहीं पड़ा है और वो आज की युवा भारतीय टीम के साथ कंधे से कंधा मिलकर चल सकते हैं । भारतीय टीम अभी एक ऐसे नाजुक मोड़ पर है , जहां उसे लंबे समय तक के लिए अच्छा विकेटकीपर बल्लेबाज चाहिए और वो बल्लेबाज पार्थिव पटले हो सकते हैं । पार्थिव पटेल अगर साहा को पछाड़कर जो कि काफी मुश्किल है, और 4 से 5 साल खेल पाए तो क्रिकेट की दुनिया में उनका नाम सुनहरे अच्छरों में लिखा जाएगा । उनकी इच्छाशक्ति और संयम की मिसाल क्रिकेट की दुनिया में हमेशा दी जाएगी ।