उम्र के उस पड़ाव पर जब काफी सारे युवा क्रिकेटर काफी आक्रामकता दिखाते हैं। द्रविड़ उन दिनों में भी बिल्कुल शांत स्वभाव के थे। वो सिर्फ अपने बल्ले से आक्रामकता दिखाते थे। युवा क्रिकेटर उनसे आत्मसंयमित होने के गुर सीख सकते हैं।
जब भी विरोधी टीम ने द्रविड़ को स्लेजिंग के जरिए उकसाने की कोशिश की तो उन्होंने अपना आपा नहीं खोया। उस परिस्थिति में भी वो एकदम शांत रहे और खराब शॉट खेलकर अपना विकेट नहीं गंवाया। वर्ल्ड क्रिकेट में आजकल ऐसा कम ही देखने को मिलता है।
इन दिनों खिलाड़ियों पर काफी मैच फाइन लगने लगे हैं जिससे पता चलता है कि मैदान पर उनका व्यवहार कैसा रहता है। द्रविड़ की लाजवाब बल्लेबाजी और उनका शांत स्वभाव उन्हे दुनिया का महान क्रिकेटर बनाते हैं। उनके ये गुर आजकल के युवाओं में अभी से आने जरुरी हैं। ताकि आगे चलकर वो भी एक अच्छा क्रिकेटर बन सकें।
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