5. कोहली के जीनियस होने का खामियाजा जितने भी जीनियस खिलाड़ी हुए हैं , उनमें से ज्यादातर कप्तान अच्छे साबित नहीं हुए हैं । इसका सबसे उदाहरण हैं सचिन तेंदुलकर जो कि खिलाड़ी तो काफी महान थे, लेकिन कप्तानी में सौरव गांगुली उनसे ज्यादा बेहतर थे । कप्तानी के मामले में गांगुली भारत के भरोसेमंद खिलाड़ी राहुल द्रविड़ से भी आगे थे । ऐसा इसलिए क्योंकि कप्तानी का मतलब ये नहीं है कि आप कितने अच्छे बल्लेबाज या गेंदबाज हैं । बल्कि कप्तानी का मतलब होता है अपने खिलाड़ियों को अच्छे से समझना और उनसे बेहतर करवाना । तेंदुलकर के बचाव में हम इतना ही कह सकते हैं कि उस समय टीम कमजोर थी, लेकिन वो हमेशा दुविधा में रहते थे । हालांकि कोहली उस तरह नहीं हैं और अपनी टीम को साफ संदेश देते हैं, लेकिन उसी समय वो विरोधी बल्लेबाजों को भी बहुत ज्यादा तरजीह देने लगते हैं । जिस तरह से कोहली खुद बल्लेबाजी में असंभव सी लगने वाली चीज को संभव बना देते हैं, ऐसा उन्हें हर बल्लेबाज से उम्मीद नहीं रखना चाहिए । उनकी कप्तानी की बारे में ये भी कह सकते हैं कि वो अजीब सी फील्डिंग क्यों लगाते हैं । अक्सर कोहली जाडेजा के लिए मिडविकेट पर फील्डिंग लगाते हैं और अश्विन के लिए कवर पर । जबकि उनको बल्लेबाज को स्पिन खेलने के लिए मजबूर करना चाहिए । कोहली बेहद ही कलात्मक खिलाड़ी हैं और खुद को बहुत अच्छे से परिस्थितियों के हिसाब से ढाल लेते हैं । लेकिन कोई भी कप्तान अनावश्यक जगहों पर फील्डिंग लगाने के बजाय अटैकिंग पोजिशन पर अपनी फील्ड को सजाएगा । यहां पर फिर एक बार अश्विन बेहतर साबित होते हैं जो कि अटैक और डिफेंस में संतुलन बनाए रखते हैं ।