हर खिलाड़ी का पूरा उपयोग
कप्तान धोनी ने 2007 के आईसीसी टी20 विश्वकप के फाइनल मैच के अंतिम ओवर में पाकिस्तान के खिलाफ जोगिंदर शर्मा जैसे गेेंदबाज को गेंद थमा दी थी, और जोगिंदर शर्मा ने भी धोनी के भरोसे को कायम रखते हुए मिसबाह का विकेट लिया और भारत को जीत दिलाई थी। उसी तरह रोहित शर्मा भी अपने टीम के हर एक खिलाड़ी का बेहतर उपयोग करना जानते हैं। उन्हें पता था कि युवराज सिंह बेहतर स्ट्राइक रेट से रन नहीं बना सकते, इसलिए उन्होंने युवराज को पवेलियन में बैठाकर अन्य युवा खिलाड़ियों को मौका दिया। यही नहीं चेन्नई के साथ 12वें सीजन में खेले गए फाइनल मैच में भी उन्होंने लसिथ मलिंगा को अंतिम ओवर फेंकने दिया। जबकि मलिंगा के शुरुआती तीन ओवर काफी महंगे साबित हुए थे लेकिन मलिंगा ने भी रोहित की उम्मीदों को कायम रखते हुए मैच की अंतिम गेंद पर शार्दुल का विकेट चटकाया और मुंबई को एक बार फिर से चैंपियन बनाया।
मैदान पर आपसी सामंजस्य
विराट कोहली को आरसीबी या फिर भारतीय टीम की कप्तानी के दौरान अक्सर ही मैदान पर उग्र होते हुए देखा जा सकता है और शायद इसकी वजह से खिलाड़ी भी कभी-कभी अपना बेहतर प्रदर्शन करने से चूक जाता है लेकिन रोहित में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। चेन्नई के खिलाफ आईपीएल के 12वें सीजन में भले ही लसिथ मलिंगा ने जमकर रन पिटाए और मैच के 18वें ओवर में भी क्रुणाल पांड्या ने भी 20 रन लुटाए और मुंबई की जीत पर संकट खड़ा किया लेकिन फिर भी रोहित ने शांत दिमाग से काम लिया और खिलाड़ियों में एकता की भावना बनाए रखने का काम किया। यही वजह है कि मुंबई की टीम एक बार फिर से चौथी बार चैंपियन बनी। इसका एकमात्र श्रेय इस टीम के कप्तान रोहित शर्मा को ही जाता है।