अभिनव मुकुंद ने 2016 के रणजी ट्रॉफी के 14 परियों में 65.30 के औसत से 849 रन बनाया था, जिसमें चार शतक शामिल था। इसी प्रदर्शन की बदौलत मुकुंद की टीम इंडिया में वापसी हुई थी। मुकुंद के आंकड़े बेहद प्रभावशाली थे, लेकिन इसी सत्र में गुजरात के प्रियंक पांचाल ने 17 पारियों में 87.33 के औसत से 1310 रन बनाए। पांचाल ने इस दौरान पांच शानदार शतक भी जड़ा। झारखंड के ईशान किशन ने भी 16 पारियों में 57.07 की औसत से 799 रन बनाए, जिसमें तीन शतक शामिल थे। पांचाल और किशन मुकुंद की तुलना में अभी युवा हैं और उनके इस प्रदर्शन ने चयनकर्ताओं का ध्यान आकर्षित किया है। रणजी सीजन में उनके इस शानदार प्रदर्शन का इनाम भी उन्हें मिला जब इन दोनों खिलाड़ियों को ऑस्ट्रेलिया जाने वाली इंडिया ए की टीम में शामिल किया गया। इसके अलावा कई अन्य युवा सलामी बल्लेबाज भी हैं जिन्होंने घरेलू क्रिकेट में शानदार बल्लेबाजी कर टीम में अपना दावा पेश किया है और उनकी युवावस्था इन्हें मुकुंद के ऊपर एक बढ़त दिलाती है। इसलिए कहा जा सकता है कि किसी युवा को मौका देने के लिए भविष्य में चयनकर्ता मुकुंद को नजरंदाज कर सकते हैं।