सुरेश रैना ने साल 2011 के वर्ल्ड कप में अपना ज़्यादातर वक़्त बेंच पर बैठकर बिताया था। क्वॉर्टर फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ रैना को पहली बार उस टूर्नामेंट में खेलने का मौका मिला था। उन्होंने इस मैच में भारत को जीत दिलाने में मदद की थी। इस बाद उन्होंने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सेमीफ़ाइनल में भी अच्छा प्रदर्शन किया था। 2015 के वर्ल्ड कप में एक बार फिर रैना ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ शानदार पारी खेली। इस टूर्नामेंट में उन्होंने ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ शानदार शतक बनाया था। वर्ल्ड कप में उनका उनका अनुभव टीम के लिए काफ़ी काम आ सकता है। साल 2011 के इंग्लैंड दौरे पर वो उन चुनिंदा बल्लेबाज़ों में से थे जिन्होंने वनडे सीरीज़ में कुछ हटकर प्रदर्शन किया था। जब साल 2014 में टीम इंडिया इंग्लैंड के दौरे पर गई थी तब रैना ने मैदान में टीम को संभाला था। वनडे सीरीज़ में भी उन्होंने शानदार शतक लगाया था। सौरव गांगुली ने इस शतक के बारे में कहा था कि “शायद ये भारतीय बल्लेबाज़ द्वारा विदेशी हालात में बनाया गया सबसे बेहतरीन वनडे शतक है” रैना को उस वनडे सीरीज़ में मैन ऑफ़ द सीरीज़ के अवॉर्ड से नवाज़ा गया था। रैना ज़्यादा बाउंस वाली पिच पर इतने सहज नहीं हैं, इंग्लैंड की ज़्यादातर पिच इतनी बाउंस नहीं करती, ऐसे में 2019 के वर्ल्ड कप में रैना की मौजूदगी टीम इंडिया को फ़ायदा पहुंचा सकती है। लेखक- आयूष वर्मा अनुवादक- शारिक़ुल होदा