चौथे टेस्ट मैच में बुरी तरह हारने के बाद अब इंग्लैंड के स्पिनरों के प्रदर्शन पर सवाल उठने लगे हैं । इस सीरीज में इंग्लिश स्पिनरों के प्रदर्शन के बारे में बात करने से पहले आपको 4 साल पीछे 2012 में लिए चलते हैं । जब ग्रीम स्वान और मोंटी पनेसर की जोड़ी ने अपनी स्पिन से भारतीय बल्लेबाजों को खूब छकाया था ।
इस बार आदिल रशीद और मोइन अली की स्पिन जोड़ी संघर्ष कर रही है और भारतीय बल्लेबाजों पर उनका कोई असर नहीं हुआ है । भारतीय स्पिनरों के आक्रमण के सामने इंग्लिश स्पिनर का अटैक काफी कमजोर रहा है । इस वजह से कप्तान एलिस्टेयर कुक को एक ऐसी पिच पर जो स्पिनरों के लिए मददगार है वहां पर अपने तेज गेंदबाजों पर ज्यादा निर्भर रहना पड़ा ।
यहां पर हम आपको बता रहे हैं 5 ऐसे कारण जिसकी वजह से इंग्लिश स्पिनरों को इस सीरीज में संघर्ष करना पड़ा:
1. गेंद छोड़ते समय शरीर का प्रयोग नहीं
एक ऐसी पिच पर जहां ज्यादा मूवमेंट नहीं मिल रही हो वहां स्पिनरों को मूवमेंट हासिल करने के लिए अपने शरीर का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए । इसी वजह से रशीद और मोइन अली को दिक्कतों का सामना करना पड़ा, क्योंकि उन्होंने सही जगह पर गेंद नहीं डाली और मूवमेंट हासिल करने के लिए अपने शरीर का प्रयोग नहीं किया ।
अगर हम इंग्लिश स्पिनरों की रवींद्र जाडेजा, रविचंद्रन अश्विन और जयंत यादव से भी तुलना करें तो उनका गेंदबाजी एक्शन देखने से पता चलता है कि गेंद को छोड़ते समय उन्होंने अपने शरीर का सही से प्रयोग किया ।
2. क्रीज का सही इस्तेमाल और एंगल का उपयोग
एक स्पिनर को अगर एंगल का प्रयोग करना है तो क्रीज का उपयोग का उसका सबसे बड़ा हथियार होता है, खासकर उन परिस्थतियों में जहां पिच स्पिनरों के अनुकूल ना हों । ये एक ऐसा विभाग है जहां इंग्लिश स्पिनर भारतीय स्पिनरों से काफी पीछे हैं ।
अश्विन को खेल की अच्छी समझ है और वो जब गेंदबाजी करते हैं तो काफी चतुराई से करते हैं । वहीं रवींद्र जाडेजा और जयंत यादव ने भी क्रीज पर अलग-अलग एंगल के इस्तेमाल से इंग्लिश बल्लेबाजों को खूब छकाया ।
रशीद और मोइन अली क्रीज का सही से इस्तेमाल नहीं कर पाए जिसकी वजह से भारतीय बल्लेबाजों को उन्हें खेलने में कोई दिक्कत नहीं हुई। अगर उन्हें भारतीय बल्लेबाजों को परेशान करना है तो उन्हें कुछ अलग तरह की गेंदबाजी करनी होगी ।
3. ड्रिफ्ट, टर्न और फ्लाइट
रविचंद्रन अश्विन के सफल होने का मुख्य कारण उनकी क्रिकेट की समझ है । अश्विन के अंदर गेंद को हवा में ड्रिफ्ट कराने की गजब की क्षमता है । बल्लेबाज उनकी फ्लाइट को समझ नहीं पाते हैं और अपना विकेट गंवा देते हैं । किसी भी स्पिनर से पूछ लिए सब यही कहेंगे कि ड्रिफ्ट उनकी गेंदबाजी का सबसे बड़ा हथियार है ।
इंग्लिश स्पिनरों को भारतीय स्पिनरों की तरह इस सीरीज में ड्रिफ्ट मिली ही नहीं जिसकी वजह से वो अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रहे । यहां इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि इंग्लिश स्पिनरों के अंदर आत्मविश्वास की भी कमी दिखी जिसकी वजह से वो भारतीय बल्लेबाजों को गेंद को खेलने के लिए मजबूर नहीं कर सके, उन्हें क्रीज से बाहर नहीं ला सके।
इंग्लिश स्पिनरों के असफल होने की एक मुख्य वजह ये भी है ।
4. हर ओवर में एक खराब गेंद
जब हालात स्पिनरों के अनुकूल ना हों तब उन्हें रनों पर लगाम लगाने की कोशिश करनी चाहिए इससे बल्लेबाजों पर दबाव बढ़ेगा । जब दोनों तरफ से रन नहीं बनते हैं तब बल्लेबाज रन बनाने के लिए खतरा उठाता है और इसी चक्कर में अपना विकेट गंवा बैठता है । इसी वजह से रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जाडेजा की जोड़ी इतनी खतरनाक है । जाडेजा जहां अपनी कसी हुई गेंदबाजी से रनों पर लगाम लगाते हैं वहीं अश्विन दूसरी तरफ से उसी दबाव का फायदा उठाकर गुच्छों में विकेट निकालते हैं ।
विकेट निकालने के लिए बल्लेबाज पर दबाव बनाना बहुत जरुरी होता है, खासकर जब बल्लेबाज की नजरें पूरी तरह से जम गई हों । लेकिन इंग्लिश स्पिनर यहीं पर चूक गए वो भारतीय बल्लेबाजों पर दबाव नहीं बना सके और समय दिया कि वो खराब गेंद का इंतजार कर सकें ।
5. आक्रामक फील्डिंग का ना होना
पिछले जो 4 प्वॉइंट हमने आपको बताए हैं, उनमें से इस प्वॉइंट की अहमियत काफी ज्यादा है । कुक चाहते थे कि उनके स्पिनरों की गेंद पर ज्यादा रन ना बने इसलिए वो कसी हुई फील्डिंग नहीं लगाते थे और फील्डरों को दूर-दूर रखते थे । इससे बल्लेबाजों को रन बनाना काफी आसान हो जाता था । भारतीय बल्लेबाज आराम से डिफेंसिव शॉट खेलते थे और कमजोर गेंद मिलने पर आक्रामक शॉट लगाते थे ।
राजकोट में खेले गए पहले टेस्ट मैच की दूसरी पारी में आदिल रशीद और मोइन अली ने दिखाया कि अगर वे खुद पर भरोसा रखें और उन्हें फील्डरों का साथ मिले तो उनकी गेंद पर रन बनाना आसान नहीं होगा । हालांकि जैसे-जैसे सीरीज आगे बढ़ती गई वैसे-वैसे इंग्लिश स्पिनरों की बॉलिंग में वो धार कम होती गई जिसकी उनसे उम्मीद की गई थी । इसी वजह से कप्तान कुक ज्यादा आक्रामक फील्डिंग नहीं लगा सके ।
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