जब कई क्रिकेट प्रेमी सोचने लगे कि युवराज अब क्रिकेट को अलविदा कहने की कग़ार पर है और उनके क्रिकेट में योगदान के लिए आभार जताने की सोचने लगे तो युवराज सिंह ने सबको ग़लत साबित करते हुए जनवरी में होने वाले इंग्लैंड के ख़िलाफ़ वनडे और टी20 सीरीज़ के लिए टीम इंडिया में अपनी जगह पुख़्ता की। टीम इंडिया में फिर से जगह बनाने पर युवराज के करोड़ों फैन्स को ख़ुशी हुई कि वह अब अपने स्टार क्रिकेटर को वनडे में 3 साल बाद एक फिर से खेलते देख सकेंगे। युवराज ने 3 साल पहले 2013 में सेंचुरियन के मैदान पर दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ वनडे मैच खेला था। युवराज में कुछ तो ऐसा है जिससे वह अपने फैन्स के इतने चहेते है। इस लेख में हम आपके सामने कुछ ऐसे 5 वज़हों पर ग़ौर करेंगे जिसके कारण अभी भी क्रिकेट जगत पंजाब के इस 35 साल के विस्फोटक और बेस्ट फ़िनिशर को बेइंतहा प्यार करता है। #5 मैच का बड़ा खिलाड़ी
2000 में क्रिकेट में कदम रखने के साथ ही युवराज सिंह ने हमेशा बड़े मौकों पर टीम इंडिया के लिए बेहतरीन प्रदर्शन किया है। अपने शुरूआती मैच में ही युवराज मो.कैफ़ के साथ मिलकर इंडिया को इंग्लैंड के ख़िलाफ़ ऐतिहासिक लॉर्ड्स के मैदान में एक यादगार जीत दिलाई थी। तब से आजतक वह टीम के लिए बेहतरीन प्रदर्शन करते आए है।
2007 के पहले T20 विश्वकप में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ युवराज (70) के शानदार प्रदर्शन की बदौलत सेमीफ़ाइनल में इंडिया ने 188 रन का बेहतरीन स्कोर बनाया। जिसे ऑस्ट्रेलियन टीम के लिए बना पाना इतना आसान नहीं था। भारत ने यह मैच 15 रन से जीतकर फ़ाइनल में जगह बनाई।
हालांकि युवराज ने कई बड़े और यादगार मैच खेले है लेकिन ये दो ऐसे मैच है जहां युवराज ने ख़ुद को साबित किया कि वाकई वह सीमित ओवरों वाले मैच के बड़े खिलाड़ी है।
#4 हमेशा कमबैक करने का स्वभाव
युवराज जब कैंसर से पीड़ित थे तो सभी ने सोचा कि वह अब कभी अपने इस चहेते खिलाड़ी को खेलते हुए नहीं देख पाएंगे लेकिन पंजाब के इस शेर ने 2012 में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ T20 में शानदार वापसी की।
दो साल बाद युवराज एक बार फिर मीडिया जगत में छाए हालांकि यह उनके लिए सकारात्मक नहीं था क्योंकि 2014 के T20 विश्वकप में युवराज 21 बॉल में 11 रन ही बना पाए थे। यह मैच भारत हार गया था और दूसरी बार T20 विश्वकप का ख़िताब अपने नाम करने से चूक गया। उसके बाद आलोचकों ने युवराज को आड़े हाथों लिया और एक बार फिर सबने सोचा युवराज क्रिकेट को अलविदा कहेंगे। लेकिन युवराज ने एक बार फिर सबको ग़लत साबित करते हुए 2016 में T20 एशिया कप और T20 विश्वकप में वापसी की।
T20 विश्वकप में चोटिल होने के बाद एक बार फिर लगा कि युवराज अब क्रिकेट नहीं खेलेंगे लेकिन युवराज ने फिर से सबको ग़लत साबित करते हुए रणजी में असाधारण खेल का प्रदर्शन किया। जिसकी बदौलत एक बार फिर उन्हे इंग्लैंड के ख़िलाफ़ वनडे और T20 सीरीज़ के लिए टीम इंडिया में जगह बनाई।
#3 छक्कों का छक्का
19 सितंबर 2007 का वह दिन जिस दिन एन्ड्यू फ्लिंटॉफ ने सीखा कि युवराज सिंह से कभी भिड़ना नहीं चाहिए। इंग्लैंड के ख़िलाफ़ एक मैच में दोनों खिलाड़ियों के बीच किसी बात को लेकर कुछ बहस हो गई। जिसका गुस्सा युवराज ने इंग्लैंड के तेज़ गेंदबाज़ स्टुअर्ट ब्रॉड पर निकाला।
T20 के 19वें ओवर में ब्रॉड ने युवराज को रोकने के लिए अपनी गेंदबाज़ी के तरकस से हर संभव बाण आजमाया लेकिन उसका कोई फ़ायदा नहीं हुआ। युवराज ने ब्रॉड की हर गेंद को उपर उपर ही सीमा रेखा से बाहर पहुंचाया। जिसके साथ ही युवराज किसी इंटरनेशनल T20 मैच में छह बॉल में छह छक्के मारने वाले पहले खिलाड़ी बन गए।
#2 भारत के लिए विश्वकप का हीरो
28 साल बाद 2 अप्रैल 2011 को एक बार फिर इंडिया ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में श्रीलंका को फ़ाइनल में हराकर विश्वकप का ख़िताब अपने नाम किया।
ये महान सचिन तेंदुलकर का आख़िरी विश्वकप था और ख़िताब जितने के बाद टीम का हर खिलाड़ी उन्हें अपने कंधों पर बैठाकर जीत का जश्न मना रहा था। 2011 के विश्वकप दौरान पूरे सीरीज़ में युवराज ने अविश्वसनीय प्रदर्शन किया। युवराज ने 8 मैचों में 362 रन और 15 विकेट अपने नाम किए और इसी शानदार खेल की बदौलत उन्हें मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट चुना गया।
#1 कैंसर को हराकर की टीम में वापसी
भारत के 2011 विश्ककप जीतने के कुछ दिन बाद ही युवराज को एक घातक ट्यूमर ने अपना शिकार बना लिया जिसने उन्हें क्रिकेट से लंबे समय के लिए दूर कर दिया। इलाज़ के लिए युवराज कई हफ़्ते हॉस्पिटल में भर्ती रहे। पूरा देश उनके ठीक होने की दुआ कर रहा था। युवराज के हर फ़ैन को लगा कि अब वह इंडिया के लिए कभी नहीं खेल पाएंगे।
लेकिन क्रिकेट के इस योद्धा ने ना केवल कैंसर को मात दी बल्कि साथ ही साथ टीम इंडिया में फिर से अपनी जगह भी बनाई। 2011 में विश्वकप के दौरान युवराज बीमार चल रहे थे लेकिन वह देश के लिए खेलते रहे, जिसकी वजह से लोग आज भी उनके क्रिकेट के प्रति ज़ूनून और लगन का सम्मान करते है और शायद इसीलिए क्रिकेट प्रेमियों के वह इतने चहेते माने जाते है।