ज़हीर खान नेचुरल टैलेंटेड गेंदबाज़ रहे हैं, जिसमें किसी को कोई शक नहीं है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में ज़हीर खान ने खुद स्वीकार किया था, “भारत में तेज गेंदबाज़ी का ढांचा अच्छा नहीं है, लेकिन ये भारत से बाहर भी बिलकुल अलग नहीं है। बुनियादी तौर पर आपको अपनी कला को पहचानने के लिए ज्यादा से ज्यादा समय खुद को देना होगा और कठिन मेहनत करके अपनी कमियों को ठीक करना होगा। कुल मिलाकर ये पेशा कठिन मेहनत करने का है।” साल 2003 के वर्ल्डकप के बाद ज़हीर खान के प्रदर्शन में भारी गिरावट दर्ज हुई, जिसकी वजह से उन्हें सी-ग्रेड के कॉन्ट्रैक्ट में डाल दिया गया। लेकिन जहीर ने हार न मानते हुए कठिन मेहनत को चुना। साल 2006 उनके करियर का सबसे अहम साल साबित हुआ। ज़हीर ने अपना बैग पैक किया और काउंटी क्रिकेट खेलने चले गये जहां उन्होंने वॉर्कशायर की तरफ से खेलते हुए 78 विकेट लिए। जिसके बाद उनकी टीम में वापसी हुई। उसके बाद जो हुआ वह इतिहास बन गया, ज़हीर ने शानदार खेल दिखाते हुए लम्बे समय तक भारतीय क्रिकेट की सेवा की। ऐसे में अब इस दिग्गज की मदद से जसप्रीत बुमराह और भुवनेश्वर कुमार जैसे गेंदबाजों की प्रतिभा को और निखारा जा सकता है।