रविंद्र जडेजा टेस्ट क्रिकेट में भारत के एक प्रमुख गेंदबाज और सर्वश्रेष्ठ ऑल राउंडर हैं। फिलहाल वह आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में गेंदबाजी में शीर्ष पर हैं और ऑल राउंडर की रैंकिंग में उनका दूसरा स्थान आता है इसलिए टेस्ट टीम में उनके स्थान पर कोई भी सवाल नहीं कर सकता है। हालांकि टेस्ट क्रिकेट की तुलना में क्रिकेट के छोटे फॉर्मेट्स में उनका प्रदर्शन थोड़ा सा कम प्रभावशाली लगता है।
इसका एक कारण यह है कि वह लगातार एक ही लाइन-लेंथ से गेंदबाजी करते हैं। टेस्ट क्रिकेट में लाइन-लेंथ का निरंतर होना अच्छी बात है और आपको इससे विकेट मिलते हैं। वन डे क्रिकेट में इसके कारण बल्लेबाज गेंदबाजों की गेंदबाजी का आसानी से अनुमान लगा लेते हैं और फिर वह उतने प्रभावी नहीं साबित हो पाते जितने वे टेस्ट क्रिकेट में हैं।
भले ही टेस्ट क्रिकेट में जडेजा का कोई विकल्प ना हो लेकिन सीमित ओवर के क्रिकेट के लिए अक्षर पटेल, उनसे एक बेहतर विकल्प लगते हैं। आइए हम ऐसे ही पांचों कारणों पर नजर डालते हैं, जो बताते हैं कि वन डे में अक्षर को जडेजा की जगह तरजीह देना चाहिए।
बदलाव करने की क्षमता
गेंद की गति और फ्लाइट में बदलाव कर बल्लेबाजों को चकमा देना किसी भी स्पिनर की सबसे बड़ी खूबी होती है लेकिन जडेजा एक ऐसे गेंदबाज हैं, जो बिना गति में परिवर्तन किए लगातार एक ही लाइन-लेंथ पर गेंदबाजी करते हैं। वह गेंद को फ्लाइट कराने में कंजूसी करते हैं और रन रोकने के चक्कर में अक्सर उनकी गेंदबाजी अधिकतर समय फ्लैट हो जाती है। विविधता में कमी के कारण बल्लेबाजों को जडेजा की गेंदे पढ़ने में आसानी होती है।
अक्षर की गेंदबाजी में विविधता है और वह गेंद के स्पीड और फ्लाइट में समय-समय पर परिवर्तन करते रहते हैं। वह रन देने से नहीं डरते और हमेशा अपनी गेंदबाजी के साथ प्रयोग करते रहते हैं। इससे बल्लेबाजों को अक्षर पटेल को खेलने में दिक्कत आती है और उन्हें अतिरिक्त प्रयास करना पड़ता है। इसी अतिरिक्त प्रयास के चक्कर में उन्हें अपना विकेट गवाना पड़ता है।
दरअसल अक्षर एक ऐसे सोच के गेंदबाज है, जो वैरिएशन में विश्वास रखते हैं और यही उनकी सफलता की कुंजी है।