5 खिलाड़ी जिन्हें जोखिम उठाते हुए कप्तान बनाया गया था लेकिन आगे जाकर सफल हुए 

इन खिलाड़ियों को कप्तान बनाना एक चुनौतीपूर्ण फैसला था
इन खिलाड़ियों को कप्तान बनाना एक चुनौतीपूर्ण फैसला था

एक कप्तान को टीम का सबसे बेस्ट खिलाड़ी होना ज़रूरी नहीं होता। कई बार हमने देखा है कि कुछ खिलाड़ियों में स्वाभाविक रूप से नेतृत्व कौशल होता है। टीम के हर खिलाड़ी को साथ लेकर चलना, गेम की परख होना, मैदान के अंदर परिस्थितियों का आंकलन करना और भी कई जिम्मेदारियां कप्तान को निभानी पड़ती हैं।

इस दौरान कप्तानी के लिए कई बार नए खिलाड़ियों पर दांव लगा दिया जाता है या फिर कोई ऐसा खिलाड़ी चुना जाता है, जिसके बारे में शायद किसी ने न सोचा हो। ऐसा कई बार हुआ है जब इस तरह से कोई कप्तान बनाया गया लेकिन ये गैम्बल आगे मास्टरस्ट्रोक साबित हुए।

आज हम ऐसे ही 5 कप्तानों की बात करेंगे जिन्हे चुनना एक जोखिम भरा फैसला था लेकिन आगे वह बेहद सफल हुए।

इन 5 खिलाड़ियों को कप्तानी देना बहुत ही सही साबित हुआ

#5 इयोन मोर्गन

इयोन मोर्गन ने इंग्लैंड को वर्ल्ड कप जितवाया
इयोन मोर्गन ने इंग्लैंड को वर्ल्ड कप जितवाया

2015 वर्ल्ड कप के लिए इंग्लैंड ने इयोन मोर्गन को कप्तान बनाकर एक दांव खेला जो उस टूर्नामेंट में पूरी तरह से उल्टा पड़ा और टीम ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो गई। इसके बाद मोर्गन की कप्तानी और चयनकर्ताओं के फैसले पर सवाल उठने लगे। मगर मोर्गन ने इंग्लैंड क्रिकेट के लिए कुछ और ही प्लान किया था। उन्होंने अगले साल ही टी20 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड को फाइनल में पहुंचाया और गुज़रते वक़्त के साथ सीमित ओवर क्रिकेट में इंग्लैंड को एक मजबूत टीम बनाकर 2019 वर्ल्ड कप से पहले प्रबल दावेदार बनाया।

2019 वर्ल्ड कप के फाइनल में इंग्लैंड ने न्यूजीलैंड को हराया और पहली बार ख़िताब पर कब्ज़ा किया। इस तरह मोर्गन को कप्तान बनाने का फैसला एक मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ। इस खिलाड़ी ने कुछ समय पहले ही अपनी खराब फॉर्म की वजह से संन्यास की घोषणा की थी।

#4 माइकल वॉन

एशेज की ट्रॉफी के साथ माइकल वॉन
एशेज की ट्रॉफी के साथ माइकल वॉन

इंग्लैंड के पूर्व दिग्गज कप्तान और कमाल के बल्लेबाज माइकल वॉन का 2003 में इंग्लैंड का कप्तान चुने जाना किसी जुएं से कम नहीं था। सबकी आलोचनाओं के बीच वॉन की कप्तानी में इंग्लैंड जल्द ही एक मजबूत टेस्ट टीम बन कर उभरी। इसके बाद उन्होंने अगले ही साल इंग्लैंड को चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पहुँचाकर चयनकर्ताओं के फैसले को सही साबित किया। वॉन ने अपनी कप्तानी में इंग्लैंड को एक मजबूत पक्ष बनाया। 2005 में एशेज जीत उनकी कप्तानी की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक रहेगी।

#3 रिकी पोंटिंग

डीआरएस की मांग करते रिकी पोंटिंग
डीआरएस की मांग करते रिकी पोंटिंग

विश्व के सबसे बेहतरीन कप्तानों में अगर किस का नाम सबसे ऊपर आएगा तो वह निश्चित तौर ऑस्ट्रेलिया के रिकी पोंटिंग होंगे। हालाँकि यह दिग्गज शुरुआत में कप्तानी की पसंद नहीं था। 2002 में स्टीव वॉ के बाद वनडे की कप्तानी के लिए शेन वॉर्न को आगे माना जा रहा था लेकिन यह जिम्मेदारी पोंटिंग को मिली। अगले ही साल पोंटिंग की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया वर्ल्ड विजेता बनी और उसके बाद 2006 की चैंपियंस ट्रॉफी भी जीती। अगले साल टीम ने फिर से वर्ल्ड कप पर कब्जा जमाया। टेस्ट में भी ऑस्ट्रेलिया का दबदबा रहा। लगभग 9 साल तक अंतरराष्ट्रीय में ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी करने वाले पोंटिंग ने इस दौरान 324 अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में कप्तानी की और 220 मैचों में विजयी रहे।

#2 ग्रीम स्मिथ

ग्रीम स्मिथ ने दक्षिण अफ्रीका को एक बेहतरीन टेस्ट टीम बनाया
ग्रीम स्मिथ ने दक्षिण अफ्रीका को एक बेहतरीन टेस्ट टीम बनाया

2003 के वर्ल्ड कप में दक्षिण अफ्रीका के खराब प्रदर्शन के बाद शॉन पोलक ने कप्तानी से इस्तीफ़ा दे दिया था। इसके बाद चयनकर्ताओं ने 22 वर्षीय युवा ग्रीम स्मिथ को तीनों प्रारूपों में टीम का कप्तान नियुक्त किया। नए खिलाड़ी को इतनी बड़ी जिम्मेदारी देना काफी जोखिम भरा फैसला था लेकिन स्मिथ ने इसे पूरी तरह सही साबित किया। स्मिथ की कप्तानी में साउथ अफ्रीका दुनिया की सबसे मजबूत टीमों में शुमार हो गयी। उन्होंने अपनी कप्तानी के दौरान 286 अंतरराष्ट्रीय मैचों में कप्तानी की जिसमे से 163 मैचों में जीत दिलाई।

#1 एमएस धोनी

जीत की ख़ुशी मनाते एमएस धोनी
जीत की ख़ुशी मनाते एमएस धोनी

आईसीसी की तीन अलग-अलग ट्रॉफी जीतने वाले पूर्व भारतीय कप्तान की गिनती भी सफलतम कप्तानों में होती है। हालाँकि धोनी को कप्तान बनाने का फैसला काफी जोखिम वाला था। उस समय सीनियर खिलाड़ियों का दबदबा था लेकिन 2007 टी20 वर्ल्ड कप में धोनी के कार्यकाल की शुरुआत हुई और उन्होंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2007 टी20 वर्ल्ड कप में टीम को चैंपियन बनाया। इसके बाद 2011 वर्ल्ड कप में भी भारत को 28 साल बाद सफलता दिलाई। 2013 में उनकी कप्तानी पर सवाल उठ रहे थे लेकिन उन्होंने चैंपियंस ट्रॉफी जीतकर सभी को गलत साबित किया।

उन्होंने लगभग 6 साल तक टेस्ट और 10 साल तक सीमित ओवर टीम की कप्तानी की इस दौरान उन्होंने 332 अंतरराष्ट्रीय मैचों में भारतीय टीम की बागडोर संभाली और 178 मुकाबलों में जीत दर्ज की।

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