इसमें कोई दो राय नहीं कि इस समय विराट कोहली भारत के सबसे लोकप्रिय खिलाड़ी हैं| एक ऐसा खिलाड़ी जो क्रिकेट के मैदान पर अपने जोश, जनून और कभी ना हार मानने वाले जज्बे के लिए जाना जाता है| पिछले 5 सालों में विराट ने जिस तरह से अपने खेल को 'इम्प्रूीव' किया है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि आसमान ही उनकी सीमा है| बतौर बल्लेबाज हमेशा ही कोहली से ‘विराट’ प्रदर्शन की उम्मीद की जाती है और कोहली उम्मीदों पर खरे भी उतरते आए हैं, कप्तनी करियर की शुरूआत में अगर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दिल तोड़ने वाली हार को छोड़ दिया जाए तो हर मोर्चे पर कोहली ने अपनी काबिलियत साबित की है | हालांकि बतौर टेस्ट कप्तान कोहली के लिए शुरूआत अच्छी नहीं रही, पहले 4 टेस्ट मैचों में से टीम इंडिया को 2 मुकाबले ड्रॉ खेलने पड़े, जबकि 2 में हार का मुंह देखना पडा | यहां पर गौर करने वाली बात ये है कि जो 2 टेस्ट मैच टीम इंडिया हारी उसमें जीत के काफी करीब पहुंचकर लड़खड़ाई थी और एक कप्तान के रूप में कोहली के करियर ने यहीं से उड़ान भरी | श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में सीरीज में 0-1 से पिछड़ने के बाद कोहली एंड कंपनी ने जबरदस्त कमबैक किया और श्रीलंका को उसी के घर में 2-1 से पटखनी दी, इसके बाद वेस्टइंडीज को उसी के गढ़ में 2-0 से हराया | कोहली की कप्तानी में भारतीय टीम ने लगातार 17 मुकाबलों में एक में भी हार का सामना नहीं किया है और इस रिकॉर्ड के साथ ही कोहली ने पूर्व कप्तान कपिल देव के भी लगातार 17 टेस्ट में अपराजेय रहने के रिकॉर्ड की बराबरी की है | टीम इंडिया के टेस्ट कप्तान विराट कोहली का हर तरफ जलवा है. पूरी दुनियां उनकी बल्लेबाजी की कायल है. कोहली ने जब से भारतीय टेस्ट टीम की कमान संभाली है. तब से अबतक भारतीय टीम ने नई इबारतें लिखने में कामयाब रही हैं. कोहली को एडीलेड में 9 दिसंबर 2014 में भारतीय टेस्ट टीम की कमान सौंपी थी. विराट कोहली को भारतीय टेस्ट टीम का कप्तान बने उन्हें पूरे दो साल हो गए हैं कोहली की कप्तानी में भारत ने 20 में से 12 टेस्ट मैचों में जीत दर्ज की है, जबकि 2 में उसे हार मिली है और 6 मुकाबले ड्रॉ रहे हैं. कोहली को मैदान पर उनके आक्रमक रवैये के लिए जाना जाता है | कोहली की कप्तानी में कहीं से भी पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ और एम.एस.धोनी की कप्तानी की झलक नहीं मिलती | कोहली का कप्तानी स्टाइल काफी हदतक सौरव गांगुली से मिलता –जुलता है | जो आक्रमक और उत्साहित क्रिकेट खेलने में विश्वास रखते हैं | जबकि मौजूदा भात-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज में भी कोहली की कप्तानी सूझबूझ की काफी तारीफ हुई | खासतौर से जिस तरीके से कोहली ने अपने गेंदबाजों का इस्तेमाल किया और आक्रमक फील्ड प्लेसमेंट के दमपर अंग्रेज बल्लेबाजों का अच्छा खासा परेशान किया | लेकिन इस सबके बावजूद क्रिकेट कंमटेटर्स ने कोहली की कुछ ऐसी गलतियों की आलोचना भी की जिसकी वजह से मैच भारत की पकड़ से दूर जा सकता था | अब आगे आने वाले समय में कोहली को इन गलतियों से सीखना होगा साथ ही वो इस मामले में थोड़े लकी भी रहे कि उनकी गलतियों का खामियाजा टीम इंडिया को हार के साथ नहीं चुकाना पडा | नहीं तो ये गलती टीम इंडिया को काफी भारी पड़ सकती थी | लेकिन अब विराट कोहली को इस गलती पर बेहतर तरीके से काम करने की जरूरत है, खासकर विदेशों में कोहली पूरी प्लानिंग के साथ उतरना होगा क्योंकि तब यही छोट-छोटी गलतियां हार और जीत के बीच का बड़ा अंतर साबित हो सकती हैं | अब हम आपको वो पाँच उदाहरण देंगे जब भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज के दौरान कोहली की कप्तानी ने क्रिकेट पंडितों को नकारात्मक तरीके से हैरान किया | अस्वीकरण : ध्यान रहे, ये कोहली की कप्तानी की सिर्फ शुरूआत भर है और उनको गाइड करने के लिए उनके साथ खुद अनिल कुंबले जैसे दिग्गज खड़े हैं, जिसका मतलब ये है कि समय के साथ कोहली और ज्यादा बेहतर होते चले जाएंगे | उनकी कप्तानी में शुरुआती दिन हैं और समय के साथ बेहतर वो और होगा | #1 स्टैगर्ड स्लिप आजकल टेस्ट क्रिकेट में इसका प्रचलन है और कोहली ने भी इसे अच्छे से अपनाया है | कोहली हमेशा मैदान मारने के जज्बे के साथ ही उतरते हैं | मौजूदा सीरीज में उमेश यादव और मोहम्मद शमी अच्छी गेंदबाजी कर रहे हैं | गेंद को स्विंग कर बल्लेबाजों को आउट करने के मौके बनाते हैं, लेकिन कोहली ऐसी गेंदों को नजरअंदाज करते हैं जो गली तक आती हैं वो स्लिप को ज्यादा महत्व देते हैं | कई बार कोहली ने अपरंपरागत स्लिप भी लगाई है, पहली स्लिप के बिना दूसरी स्लिप लगाई | सबसे पहले तो पहली स्लिप को हटाकर दूसरी स्लिप रखने के पीछे कोई वाजिब वजह नजर नहीं आती, जहां टेस्ट में बल्लेबाज मारने के लिए एज में जाएगा, जबकि पहली स्लिप रखने से बल्लेबाज जोर से हिट करता है | दूसरी बात ये है कि भारतीय विकेटकीपर क्वांटन डी कॉक और मैथ्यू वेड की तरह डाइव नहीं लगा पाते | वहीं भारतीय स्लिप घेरे में अजिंक्य रहाणे को छोड़कर किसी पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता | इसका मतलब है कि विकेटकीपर के बाद फर्स्ट स्लिप ना होने की वजह से कैच करने मौके गंवा दिए जाते हैं | लिहाजा गेंदबाज जो मौके बनाता है वो होना या ना होना एक ही बराबर है | और इस तरीके से मौके बर्बाद करना का मनोवैज्ञानिक असर गेंदबाज पर भी बहुत गहरा पड़ेगा | #2 लॉन्ग ऑन- लॉन्ग ऑफ, डीप प्वाइंट, डीप मिडविकेट आजकल के कप्तान टेस्ट क्रिकेट में इन और आउट फील्ड पर बहुत भरोसा करते हैं लेकिन कोहली एक अटैकिंग कप्तान है और वो इस परंपरा से हटकर चलते हैं | हालांकि कोहली भी कहीं ना कहीं उसी ट्रेंड को फोलो कर रहे हैं | आश्चर्यजनक बात ये है कि कोहली ने आउट ऑफ फॉर्म चल रहे बेन डकेट के लिए लॉन्ग ऑन में फील्ड लगाया, जबकि कोहली को फील्ड अंदर रखने का फायदा तब मिला जब वाइजेग टेस्ट में रवीचंद्रन अश्विन ने जो रूट को आउट किया, जब लॉन्ग ऑफ में फील्ड सेट किया गया था | विराट कोहली डीप में फील्डिंग लगाना पसंद करते हैं, जब मोहाली टेस्ट की दूसरी पारी में इंग्लिश टीम अपने विकेट गंवा रही थी और भारत के स्कोर 134 रन पीछे थी, तब भी विराट कोहली ने डीप से फील्डर्स को नहीं हटाया | इतना ही नहीं मोइन अली और जो रूट के बीच हुई बड़ी साझेदारी भी कोहली के फील्ड ना बदलने का ही नतीजा था | क्योंकि दोनों बल्लेबाज आसानी से सिंगल निकाल पा रहे थे, जबकि लगातार गिरते विकेटों के बाद इंग्लैंड की टीम दबाव में थी | कोहली डीप प्वाइंट रखना पसंद करते हैं अगर कभी स्पिनर्स छोटी बॉल रखते हैं तो डीप प्वाइंट रखना जरूरी होता है लेकिन तीनों ही स्पिनर्स आर अश्विन, जयंत यादव और रवींद्र जडेजा ने दूसरे और तीसरे टेस्ट में बिल्कुल भी नयंत्रण नहीं खोया | ऐसे हालात में डीप प्वाइंट बल्लेबाज को आसानी से सिंगल लेने के मौके देता है, जिससे बल्लेबाज पर दबाव कम हो जाता है और एक गेंदबाज एक बल्लेबाज को पूरी 6 गेंदे नहीं डाल पाता | पर कई बार एक बाउंड्री भी बेहतर होती है बजाए इसके की बल्लेबाज हर गेंदबाज को परेशान करे | #3 गली और फॉरवर्ड शॉट लेग कई बार गेंद एज लगकर गली में गई लेकिन विराट कोहली गली के बजाय डीप फील्ड लगाना ही पसंद करते हैं | कोहली भी धोनी की तरह बॉल चेजर हैं, बहुत सारे मौके बनने के बाद ही गली में फील्ड सेट करते हैं | खास बात ये है कि कोहली गली में शॉट भी नहीं मारते हैं जब तक टीम इंडिया को रनों की जरूरत ना हो या फिर टीम लीड कर रही हो | ऐसे हालात में भी जहां थोड़ा खतरा उठाकर रन बनाए जा सकते हैं, कोहली खतरा उठाकर विकेट गंवाने से भी बचते हैं | इसे समझना मुश्किल है क्योंकि भारतीय विकेट पर गली में आउट होना जब इग्लैंड फील्ड में हो मुश्किल है | इंग्लैंड के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज जो रूट भी कुछ डिलीवरीज को देखकर काफी हैरान थे, जब बॉल उनकी तरफ उछली और एज लगते हुए गली की तरफ चली गई | जिसे देखकर रूट ने राहत की सांस ली क्योंकि दोनों बार गली पर उनका कैच पकड़ने के लिए कोई फील्डर मौजूद नहीं था | ठीक उसी तरह फॉर्वर्ड शॉट लेग भी बहुत जरूरी जगह है जब आप बल्लेबाज पर दबाव बनाते हैं तो फॉर्वर्ड शॉट लेग पर आपके पास कैच आते ही आते हैं जिसके बारे में सुनील गावस्कर कमेंट्री के दौरान हमेशा बताते रहते हैं | कोहली फॉर्वर्ड शॉट लेग के लिए बहुत ही कम जाते हैं, जब गेंद उछल कर बल्लेबाज के पैड के इनसाइड एज पर लगती है | #4 गेंद का पीछा करना इंग्लैंड के वो बल्लेबाज जो अपनी कमजोरियों के लिए जाने जाते हैं कोहली ने अभी तक उसका भी फायदा नहीं उठाया, जैसे हमीद की कमजोरी है अराउंड द विकेट ऑफ स्पिनर को ठीक से नहीं खेल पाते हैं, जोस बटलर लेप्ट ऑर्म स्पिनर के खिलाफ संघर्ष करते हैं, मोइन अली शॉट पिच गेंद के आगे कमजोर दिखते हैं | कोहली गेंदबाजों के मुताबिक फील्ड सेटिंग नहीं करते, जैसे तेज गेंदबाज के लिए स्केवेर लेग या फिर फॉर्वर्ड शॉट लेग लगाना | विराट कोहली हमेशा गेंद के पीछे भागते हैं, जब तक किसी फील्ड पोजीशन पर दो या तीन बार कैच ना छूट जाए या फिर उस पोजीशन से बॉल ना मिस हो जाए तब तक कोहली वहां पर फील्डर नहीं लगाते | इसके अलावा कोहली ज्यादा वैरीएशन भी इस्तेमाल नहीं करते जैसे स्पिनर या तेज गेंदबाज के मुताबिक शॉर्ट कवर या गली लगाना | अगर प्वाइंट या मिड ऑफ की जगह से कोई बाउंड्री गई है तो कोहली जल्द ही फील्ड सेटिंग में बदलाव कर उस खाली जगह को भरने की कोशिश करते हैं, जिससे ये तो पता चलता है कि कप्तान कोहली को इस तरह विरोधियों का रन बटोरना रास नहीं आ रहा लेकिन कई बार ऐसे हर शॉट के बाद तुरंत फील्डिंग में बदलाव करने से बल्लेबाज का आत्मविश्वास बढ़ता है | चौथे दिन सुबह जोस बटलर ने कुछ एग्रिसव शॉट्स क्या खेले कोहली ने बटलर के पास लगाए तीन फील्डर्स को पीछे कर दिया | जिस तरीके से कोहली हर चीज पर बहुत जल्दी रिएक्ट करते हैं उनकी ये आदत कभी कभी उनके विरोधियों को फायदा पहुंचा जाती है | विराट को अपने जिद्दी रवैये से बाहर आकर अपने प्लान में कुछ लचीलापन होगा | #5 बल्लेबाज को विकेट देने के लिए फुसला नहीं पाते मिस्बाह उल हक हमेशा यासिर शाह के लिए मिड विकेट खुला छोड़ते हैं ताकि यासिर बल्लेबाज को फुसला को शॉट खेलने पर मजबूर करे | ग्रीम स्वान अकसर बिना कवर के गेंदबाजी करते हैं ताकि बल्लेबाज ड्राइव लगाने के लिए जाए | कोहली को अभी सीखने की जरूरत है कि कभी इनाम जीतने के लिए आपको खतरा भी उठाना पड़ता है | कोहली ब्रेक थ्रू के लिए अपने गेंदबाजों पर निर्भर करते हैं | कोहली अभीतक ऐसे किसी प्लान के साथ नहीं उतरे हैं कि उनके गेंदबाज खुद बल्लेबाज को गलती करने पर मजबूर करें | हां कोहली के पास शानदार गेंदबाज जरूर हैं जैसे मोहम्मद शमी जिन्होंने बाउंस कर मोइन अली को आउट किया, जडेजा ने बेन स्टोक्स को अपनी फिरकी के जाल में फंसाकर स्टैप आउट करने पर मजबूर किया और स्टंप आउट करवाया और अश्विन को खेलना तो इंग्लिश बल्लेबाजों के लिए इस सीरीज में अब तक टेढ़ी खीर साबित हुआ है | अश्विन की फिरकी के आगे सभी इंग्लिश बल्लेबाज घुटने टेक चुके हैं हालांकि विराट कोहली को बल्लेबाजों को जोखिम उठाने के लिए मजबूर करना होगा | जरूरी नहीं की कोहली मैदान पर हर गैप को भरते रहें| हर बाउंड्री पड़ने के बाद फील्ड पोजीशन में बदलाव करें, क्योंकि ऐसा करने पर वो असुरक्षित लगते हैं. जबकि उनपर ना तो स्कोर बोर्ड का दबाव है और वो अपनी घरेलू पिरिस्थियों में भी खेल रहे हैं बावजूद इसके वो असुरक्षित लगते हैं | अब देखना ये होगा कि वो विदेशी जमीन पर बतौर कप्तान कैसे रिएक्ट करते हैं, कैसा प्रदर्शन करते हैं?