क्रिकेट के 5 ऐसे नियम जिन्हें खत्म नहीं करना चाहिए था

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क्रिकेट के सीमित ओवरों के प्रारूप में लगातार नियमों में बदलाव किए जाते रहे हैं। इसका मुख्य उद्देश्य क्रिकेट के खेल को ज्यादा से ज्यादा रोमांचक बनाने का रहा है। कुछ बदलाव खेल में और जान फूंक देते हैं तो वहीं कुछ का असर नहीं होने की वजह से समाप्त कर दिए जाते हैं, लेकिन कई मौकों पर आईसीसी ने कुछ ऐसे नियमों को हटा दिया जिसके रिजल्ट बेहतर आ रहे थे। आज हम ऐसे ही कुछ नियमों के बारे में बताएंगे जिन्हें शायद खत्म नहीं करना चाहिये था #5 सुपर सब साल 2005 में आईसीसी क्रिकेट के नियमों के लेकर थोड़ा चिंतित हो गया, इसलिए उसने क्रिकेट के नियमों में कई बदलाव किए। जिसमें एक था "सुपर सब", इस नियम के अनुसार फुटबॉल की तर्ज पर अब क्रिकेट में भी 12वें खिलाड़ी की अनुमति होती थी जिसे आप मैच के दौरान अपने एकादश के किसी एक खिलाड़ी से बदल सकते थे। इस नियम को कप्तानों से ज्यादा समर्थन नहीं मिला इसलिए आईसीसी ने इसे समाप्त कर दिया, लेकिन एक दर्शक के नजरिए से यह काफी रोचक नियम था। जहां आज टीमें ज्यादातर मौकों पर एक अतरिक्त गेंदबाज के साथ खेलती हैं वैसे में इस नियम से उन्हें काफी फायदा मिलता। #4 अनिवार्य कैचिंग फील्डर catching यह भले ही विवाद का मुद्दा था लेकिन शुरुआती पावरप्ले के दौरान 15 गज के अंदर 2 फील्डर के रखने का नियम काफी फायदेमंद था, लेकिन जल्द ही इसे हटाना पड़ा क्योंकि सभी को लगता था कि इस वजह से बल्लेबाजों को ज्यादा फायदा मिल रहा है इसलिए आईसीसी ने इस नियम को हटा दिया। कोई माने या ना माने लेकिन ज्यादातर मौकों पर शुरुआती पॉवरप्ले के दौरान गेंदबाजी करने वाली टीम का कप्तान 2 या कभी उससे भी ज्यादा फील्डरों को बल्लेबाज के पास खड़ा करता है जिससे बल्लेबाज पर दबाव बना रहे। इन फील्डरों से यह भी फायदा था कि छोटी गलती की वजह से भी बल्लेबाज अपना विकेट गंवा सकता था। इसलिए इस नियम का हटना थोड़ा अटपटा लगता है। #3 रनर के इस्तेमाल पर रोक runner जब 1744 में क्रिकेट के नियम बने तो उसमें रनर का कोई प्रावधान नहीं था, लेकिन आखिर के 120 सालों के दौरान इसका काफी प्रचलन हो गया था। इस नियम के अनुसार अगर बल्लेबाज को दौड़ने में दिक्कत हो रही हो या उसे कोई और शारीरिक परेशानी हो तो वह पारी के बीच में रनर ले सकता था। हालांकि 2011 में इस नियम को पूरी तरह हटा दिया गया और बोला गया कि अगर बल्लेबाज दौड़ नहीं पा रहा है तो उसे रिटायर्ड हर्ट होना पड़ेगा। इस नियम का उपयोग कई बार गलत तरीके से किया जाता रहा है लेकिन फिर भी इसे हटाना नहीं चाहिए था। इस वजह से कई बार बल्लेबाज चोटिल होने के बावजूद मैच में हिस्सा लेता है जिस वजह से उनका चोट और बढ़ सकता है। #2 बल्लेबाजी पॉवरप्ले का समापन ppp जब आईसीसी पहली बार बल्लेबाजी पॉवरप्ले का नियम लेकर आई तो इससे बल्लेबाजों को और ज्यादा रन बनाने का मौका मिल गया लेकिन साथ ही साथ गेंदबाजों के लिए यह एक बुरे सपने की तरह हो गया। इस नियम की वजह से क्रिकेट और ज्यादा रोचक बन गया क्योंकि बल्लेबाजी करने वाली टीम कभी भी पॉवरप्ले लेकर रन गति बढ़ा सकती थी, लेकिन आईसीसी ने जल्द ही इस नियम को समाप्त कर दिया। इसकी पीछे की वजह थी गेंद और बल्ले के बीच संतुलन बनाएं रखना। आज भी दर्शक बल्लेबाजी पॉवरप्ले को काफी याद करते हैं क्योंकि इस वजह से उन्हें मैदान पर काफी धूम-धड़ाका देखने को मिलता था। #1 डीआरएस में अंपायर कॉल्स को कम करना drs "अंपायर डिसीजन रिव्यु सिस्टम" आईसीसी द्वारा क्रिकेट में लाये गए सबसे बड़े बदलावों में से एक है लेकिन इस पर काफी विवाद भी हुआ । क्योंकि सभी को लगा कि यह अंपायरों के अधिकारों का हनन है। हालांकि इससे गलत फैसलों को बदला जा सकता था। इस नियम की एक अच्छी बात थी कि इसमें भी फील्ड अंपायर के फैसले को ज्यादा तवज्जो दी जाती थी, लेकिन पिछले साल आईसीसी ने फील्ड अंपायर के अधिकार को और कम कर दिया। पहले जहां एलबीडब्ल्यू के निर्णय को बदलने के लिए 50% से ज्यादा बॉल का हिस्सा विकेट पर लगना चाहिए होता था लेकिन नए नियम ने लेग स्टंप के बाहर से ऑफ स्टंप के बाहर क्षेत्र को बदल दिया है। इस बदलाव की वजह से अब ज्यादातर फैसले बदल जाते हैं और मैदानी अंपायरों के अधिकार में कमी आ गयी है। लेखक- सोहम समद्दार अनुवादक- ऋषिकेश सिंह