तेंदुलकर-अख़्तर की 5 यादगार भिड़ंत

1999 के एशियन टेस्ट चैम्पियनशिप

भारत पाकिस्तान के मैचों का रोमांच बहुत लोगों को एक साथ लाता है। उस पर शोएब अख़तर और सचिन तेंदुलकर के बीच के झगड़े के रोमांच का कोई सानी नहीं है। इस झगड़े ने भारत के बेहतरीन बल्लेबाज और पाकिस्तान के बढिया गेंदबाज का आमना सामना हुआ। जब मास्टर ब्लास्टर का सामना रावलपिडी एक्सप्रेस से हुआ तो रोमांच तो पक्का था। इस लड़ाई की सबसे बड़ी बीत यह थी कि दोनों में से किसी की जीत नहीं हुई। कभी कभी सचिन अख़तर की 100 किमी के गेंद का सामना नहीं कर पाए तो कभी अख़तर तेंदुलकर के शॉट का सामना नहीं कर पाए। एक नज़र उन पाँच झगड़ों पर जो उन दोनों खिलाड़ियों के बीच हुए:

1- 1999 के एशियन टेस्ट चैम्पियनशिप

[caption id="attachment_11630" align="alignnone" width="594"] 1999 के एशियन टेस्ट चैम्पियनशिप[/caption] यह पहली बार था जब दोनों खिलाड़ियों के बीच झड़प हो गई थी। 1999 की उस सीरीज में दोनों का पहली बार आमना सामना हुआ था। वह मैच ईंडन गार्डन में हुआ था। पाकिस्तान के खिलाडी अख़तर ने जल्द ही सचिन का फ़ायदा उठा लिया। पहली इनिंग में जवगल श्रीनाथ के 5-46 की मदद से पाकिस्तान का स्कोर 185 रन पर ही अटक गया था। भारत के पास जीतने का पूरा मौका था पर अख़तर ने सब काम तमाम कर दिया। उन्होंने भारत के टॉप ऑर्डर को जल्दी से आउट कर दिया। उन्होंने वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ को बोल्ड कर दिया और तेंदुलकर को क्रीज़ पर ले आए। अख़तर ने उन्हें पहली ही गेंद पर आउट कर दिया और वे गुठनों पर बैठ गए। भारत ने पहली इन्निंग्स में 38 रन से लीड तो ले ली, सईद अनवर के 188 रनों की बदौलत 279 रनों का पीछा करना मुश्किल नहीं था। अख़तर ने 4-47 की गेंदबाजी करके, पाकिस्तान को 46 रन से जीत दिला दी।

2- 2003 विश्व कप

2003 में उन दोनों के बीच सबसे रोमांचक भिड़ंत हुई थी। भारत कभी भी विश्व कप में पाकिस्तान से नहीं हारा था। पर उस साल पाकिस्तान के पास वसीम अकरम, वाकर युनुस और अख़तर थे। 274 रनों का पीछा करते हुए सहवाग और तेंदुलकर बल्लेबाजी करने आए। उस मैच में अख़तर को नीचा दिखाते हुए तेंदुलकर ने अपने करियर का सबसे बढिया परी खेली। उन्होंने पहले एक बेहतरीन चौक्का मारा और फिर एक और। ऐसा करके उन्होंने एक के बाद एक लगातार 3 चौक्के मारे। अख़तर की गेंदबाजी पर तीन चौक्के मारकर और 75 गेंदों में 98 रन बनाकर उन्होंने यह साबित कर दिया कि वह विश्व कप के सरताज हैं। पर अंततः अख़तर ने ही उन्हें आउट किया। फिर भी भारत 6 विकेट से मैच जीत गया और विश्व कप में पाकिस्तान से कभी ना हारने का अपना रिकॉर्ड क़ायम रखा।

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3- 2004 सैमसंग कप का पहला ओडीआई

[caption id="attachment_11629" align="alignnone" width="594"]2004 सैमसंग कप का पहला ओडीआई 2004 सैमसंग कप का पहला ओडीआई[/caption] पहले ही भारत के पाकिस्तान दौरे पर तनाव के बादल थे। उसके ऊपर पहले ही मैच में यह दोनों खिलाडी एक दूसरे से भिड़ गए। तेंदुलकर और सहवाग ओपनिंग कर रहे थे और अख़तर पहली ही गेंद से उन पर हमला बोल रहे थे। तेंदुलकर ने उनको जवाब देते हुए मैच का पहला चौक्का मारा। अख़तर शोएब मलिक से सहवाग का कैच छोड़ने के लिए नाराज़ थे पर कुछ ही गेंदों बाद उन्होंने सचिन का विकेट गँवा दिया। उनकी नो बॉल के कारण सचिन बोल्ड होने पर भी आउट नहीं हुए। सचिन ने फिर से एक चौक्का मारा और अख़तर आख़िरी बार हँसे। नौवें ओवर की आख़िरी गेंद पर शॉट खेलने के चक्कर में तेंदुलकर राना नवेद उल हसन को कैच थमा बैठे और 28 रनों पर आउट हो गए।

4- 2004 सैमसंग कप का दूसरा ओडीआई

[caption id="attachment_11628" align="alignnone" width="594"]2004 सैमसंग कप का दूसरा ओडीआई 2004 सैमसंग कप का दूसरा ओडीआई[/caption] इस मैच में भारत को 300 रन का टार्गेट मिला और उनकी सारी उम्मीदों टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज़ों से थी। साथ ही अख़तर भी बेहतरीन फ़ॉर्म में थे। तेंदुलकर रावलपिडी एक्सप्रेस के सामने टिकने को पूरी तरह से तैयार था और एक गलत शॉट के अलावा उन्होंने और कोई ग़लती नहीं की। सचिन ने उनकी गेंद पर एक चौक्का मारा। उसके बाद 29वें ओवर में उनकी गेंद पर फिर से बाउंड्री जमाई। उन्होंने 141 रन बनाए पर हमेशा की तरह, उनके शतक बनाने पर भी भारत 12 रन से मैच हार गया।

5- 1999 विश्व कप

[caption id="attachment_11627" align="alignnone" width="594"]1999 विश्व कप 1999 विश्व कप[/caption] एशिया कप में तेंदुलकर को आउट करने के बाद वे दोनों पहली बार आमने सामने आ रहे थे। मेंचेस्टर में उस साल ने दोनों ने बहुत जादू किया। तेंदुलकर ने बहुत सावधानी से रावलपिडी एक्सप्रेस का सामना किया और छठें ओवर के बाद ही उन्होंने गेंद को बाउंड्री पार पहुँचाया। उस मैच में बराबरी हो गई और तेंदुलकर ने अख़तर की 13 गेंदों में 9 रन बनाए और अख़तर उन्हें आउट नहीं कर पाए। दोनों खिलाडी अपनी इस झड़प में हमेशा बराबरी पर रहे। कोई किसी को नीचा नहीं दिखा पाया और यही बात इस भिड़न्त को और भी ख़ास बनाती है। लेखक-एलियट कॉर्निश, अनुवादक-सेहल जैन

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