5 ऐसे सीजन खिलाड़ी जिन्होंने नहीं तोड़ा अपनी रणजी टीम से नाता

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एक ऐसा देश जहां 1.3 अरब से ज्यादा लोग रहते हैं, 29 राज्य हैं, 7 केंद्र शासित प्रदेश, भारत क्रिकेट की विरासत का सही हरदार है। भारत में क्रिकेट क्षेत्र में काफी प्रतिभा है, जिसके वजह है घरेलू क्रिकेट में उभरते हुए खिलाड़ियों का योगदान। 19वीं सदी में, जब भारत में क्रिकेट का उदय हुआ, घरेलू क्रिकेट ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को मुकाम हासिल करने में काफी मदद की। कुमार श्री रनजीतसिंह जी पहले भारतीय क्रिकेटर थे जिन्होने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेला, ये टूर्नामेंट उन उभरते हुए युवा खिलाड़ियों के लिए था जिनमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने की प्रतिभा थी। ये टूर्नामेंट 1934 में शुरु हुआ जो मैसूर और मद्रास के बीच खेला गया। घरेलू क्रिकेट के जरिए ऐसे बहुत से खिलाड़ी सामने आए जिन्होंने आगे चलकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुकाम हासिल किया। इस टूर्नामेंट ज्यादातर हर राज्य शामिल होता है और उनकी अपनी रणजी टीम होती है। अब एक बार उन खिलाड़ियों को देखते हैं जिन्होंने कभी भी अपनी रणजी टीम से अगल होने का फैसला नहीं किया: #5 देवेन्द्र बुंदेला, मध्यप्रदेश (1996- अब तक) पिछले दो दशक से मध्यप्रदेश की रणजी टीम की सबसे बड़ी ताकत देवेन्द्र बुंदेला हैं, इंदौर के इस ऑलराउंडर की वजह से, मध्यप्रदेश ने घरेलू क्रिकेट में अपना अलग मुकाम बनाया है। 1996 में कर्नाटक के खिलाफ मध्यप्रदेश के लिए डेब्यू करने वाले, 19 वर्षीय बुंदेला की शुरुआत ज्यादा अच्छी नहीं हुई। अपनी पहली पारी में उन्होंने सिर्फ 26 रन बनाए जो टीम को हार से बचाने के लिए काफी नहीं थे। हालांकि, बूंदेला ने पहली पारी के बाद खुद को सीमित नहीं किया। उसी सीजन में, उन्होंने 72 रन और एक शतक भी लगाकर ये जता दिया कि वो न सिर्फ अपने खेल को सुधार रहे हैं बल्कि भविष्य में अपने बल्ले से रनों की बारसात भी करेंगे। दो सीजन बाद 1998-99 में, बूंदेला अपनी शानदार फॉर्म में पहुंचे और महज 11 मैचों में 77.53 की औसत से 1008 रन बनाने का कारनामा करने में कामयाब हुए। हालांकि शानदार फॉर्म में होने के बावजूद वो नेशनल टीम में जगह बनाने में नाकाम साबित हुए। बूंदेला ने अपनी रणजी टीम में बहुत से मौकों को भुनाया और वो मध्यप्रदेश के ओर से फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। 39 वर्षीय दाएं हाथ के बल्लेबाज और दाएं हाथ के मीडियम पेसर देवेन्द्र बूंदेला पिछले 21 वर्षों से मध्यप्रदेश के लिए खेल रहे हैं और अब वो अपनी इस रणजी टीम में कप्तान की भूमिका निभा रहे हैं। #4 सितांशु कोटक, सौराष्ट्र (1992-2014) sitanshu-1476007943-800 सौराष्ट्र के लिए सबसे ज्यादा समय से खेलने वाले, सितांशु कोटक किसी भी गेंदबाज के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं हैं, उनकी एकाग्रता और बल्लेबाजी करने की कला विरोधी टीम के गेंदबाजों की लाइन और लेन्थ से भटकाने के लिए काफी है। एक प्रतिष्ठित बाएं हाथ के बल्लेबाज, कोटक ने 130 मैचों में 8061 रन बनाए हैं और ये सौराष्ट्र की लाइन अप में पिछले काफी समय से कायम हैं। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1999-2000 में देखने को मिला, जहां उन्होंने एक सीजन में 800 रन बनाए और उस सीजन में सौराष्ट्र की ओर से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी का तमगा हासिल किया। घरेलू क्रिकेट में 22 वर्षों से सौराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने वाले, सितांशु ने पिछले वर्ष संन्यास लिया और अब वो युवा खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए कोच की भूमिका निभा रहे हैं। #3 विजय मर्चेन्ट, बॉम्बे (1929-1951) vijay-1476007989-800 अपने समय के सबसे प्रतिष्ठित बल्लेबाज, 150 मैचों में 71.64 की औसत के साथ 13740 रन बनाने वाले विजय मर्चेन्ट को भारतीय घरेलू क्रिकेट के डॉन ब्रैडमैन की उपाधि दी जाती है। 1937 में विजडम ऑफ द ईयर का खिताब जीतने वाले, इस महान खिलाड़ी ने 1929 से 1951 तक बॉम्बे के लिए खेला। घरेलू सरकिट के अलावा, विजय मर्चेन्ट घरेलू टूर्नामेंट्स में अपनी शानदार बल्लेबाजी का लोहा मनवा चुके थे और जिसके चलते उन्हें 1933 में इंग्लैंड के खिलाफ भारतीय नेशनल टीम में चुना गया, जहां उन्होंने दो पारियों में क्रमश: 23 और 30 रन बनाए। इस दाएं हाथ के बल्लेबाज ने भारत के लिए कुल 10 मैच खेले और दूसरे विश्व युद्ध की वजह से उन्होंने 1951 में इंग्लैंड के खिलाफ 164 रन की नाबाद पारी खेलने के बाद क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। #2 विनय कुमार, कर्नाटक (2004 से अब तक) vinay-1476116037-800 मौजूदा समय में कर्नाटक के मुख्य तेज गेंदबाज, विनय कुमार ने अपने रणजी अनुभव से काफी प्रभावित किया है। 2004-05 सीजन में बंगाल के खिलाफ विनय कुमार ने कर्नाटक की ओर से डेब्यू किया और शानदार प्रदर्शन किया और पहले ही मैच में 5 विकेट झटके जबकि उस सीजन में कुल 23 विकेट अपने नाम कर तहलका मचा दिया था। हालांकि अगले दो सीजन, विनय के लिए कुछ खास नहीं रहे और उन्होंने क्रमश: 22 और 27 विकेट लिए। लेकिन 2007-08 सीजन उनके लिए शानदार रहा उन्होंने 18.52 की औसत से 40 विकेट झटकर सीजन के दूसरे हाईएस्ट विकेट टेकर बन गए। जिसके बाद 2009-10 सीजन उनके लिए सर्वश्रेष्ठ साबित हुआ, जहां उन्होंने 19.69 की शानदार औसत से 8 मैचों में 46 विकेट अपने खाते में जोड़े और इसी शानदार फॉर्म को उन्होंने 2010 में आईपीएल में भी कायम रखा और आरसीबी के लिए 16 विकेट झटके। रणजी और आईपीएल में बेहतरीन प्रदर्शन करने के बाद, विनय कुमार को 2012 में टी20 वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम में चुना गया, लेकिन उन्हें सिर्फ श्रीलंका के खिलाफ भारतीय टीम से एक ही मैच खेलने का मौका मिला जिसके बाद भारत टूर्नामेंट से बाहर हो गया। उसी वर्ष, उन्होंने जिब्बावे के खिलाफ वनडे में डेब्यू किया लेकिन वहां भी वो अपनी इंजरी से पहले एक ही मैच खेल पाए। 31 वनडे, 9 टी20 और एक टेस्ट खेलने वाले विनय कुमार अभी तक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में नाकाम रहे हैं। इसके बावजूद, उनकी आक्रामक गेंदबाजी और बल्ले के कमाल ने उनकी टीम को दो बार 2013-14 और 2014-15 में रणजी का विनर बनाने में अहम रोल अदा किया है। उन्होंने 2010-11 सीजन में टीम की कमाल संभाली थी। #1 मुरली कार्तिक, रेलवे (1996-2014) karthik-1476120919-800 इंग्लिश काउंटी क्रिकेट के सबसे ज्यादा इनडिमांड क्रिकेटर, मुरली कार्तिक के लिए नेशनल स्तर पर चीजें काफी अच्छी नहीं रही। पिछले सालों में अगर मुरली कार्तिक के करियर पर नजर डालें, तो एक चीज साफ तौर पर दिखाई देती है वो है उनका प्राइम टाइम पर मौके न मिलना, जिस वक्त भारतीय स्पिन जोड़ी हरभजन सिंह और अनिल कुम्बले में अच्छा तालमेल देखने को मिल रहा था, कार्तिक अपनी अहमियत महसूस कराने में असफल साबित हुए। मीडियम पेसर के तौर पर शुरुआत करने वाले कार्तिक ने बिशन सिंह बेदी की सलाह के बाद लेफ्ट ऑर्म स्पिन पर ध्यान देना शुरू कर दिया था। दिल्ली में आगाज करने के कुछ दिन बाद ही, कार्तिक 1996 में अपने क्रिकेट के प्रति प्यार को पूरा करने के लिए रेलवे के साथ जुड़ गए। इस लेफ्ट ऑर्म स्पिनर ने 1996 में मध्यप्रदेश के खिलाफ रेलवे के लिए डेब्यू किया, हालांकि पहले मैच में वो सिर्फ एक विकेट ही निकाल पाए लेकिन उन्होंने बल्लेबाजी का दम दिखाते हुए 47 रन बनाए और एक कड़े मुकाबले को ड्रॉ में तबदील कराने में सफल हुए। अगले ही मैच में उन्होंने विदर्भ के खिलाफ शानदार गेंदबाजी करते हुए हैट-ट्रिक लेकर 6 विकेट हासिल किए और 19.37 की औसत से कुल 16 विकेट झटके। 203 फर्स्ट क्लास मुकाबले खेलने के वाबजूद उन्हें कभी उनके ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए नहीं सराहा गया जबकि उन्होंने जरुरत पड़ने पर बल्ले से भी योगदान दिया है। कार्तिक ने 20 से ज्यादा की औसत से 4423 रन बनाए जबकि 26.70 की औसत से 664 विकेट हासिल किए हैं।