IPL: 5 ऐसे मौक़े जब खिलाड़ियों ने खेल भावना से जीता सभी का दिल

पिछले 10 सालों में आईपीएल टूर्नामेंट में काफ़ी कुछ देखने को मिला है। इस में कई शानदार पारियां, कई बेहतरीन गेंदबाज़ी, सांस रोक देने वाले मुकाबले, कई शतक, ज़बरदस्त हैट्रिक, शानदार कैच और कई बेहतरीन रन आउट शामिल हैं। आईपीएल में रोमांच की कोई सीमा नहीं है। लेकिन क्या वजह है कि ये टूर्नामेंट इतना यादगार बन जाता है। खेल भावना एक ऐसी सोच है जो किसी भी खेल और खिलाड़ी को महान बनाती है, कई बार ये खेल भावना मैच जीतने से ज़्यादा सुख देती है। इन खेल भावनाओं से कई यादगार लमहे बन जाते हैं और दो देशों के खिलाड़ियों के बीच की दूरियां कम हो जाती हैं हैं और एक इंसानियत का एहसास होता है। इसकी वजह से कई यादें बन जाती हैं। हम यहां आईपीएल के 5 ऐसे पलों के बारे में बता रहे हैं जिस से हर क्रिकेट प्रेमी का दिल पिघल जाएगा।

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#5 जोस बटलर और पार्थिव पटेल ने रन न लेने का फ़ैसला किया

मुंबई इंडियंस टीम के ओपनर जोस बटलर और पार्थिव पटेल मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में कोलकाता नाइट राइडर्स टीम के बॉलिंग अटैक का सामना कर रहे थे। केकेआर के क्रिस वोक्स ने बटलर को धीमी गेंद फेंकी। गेंद कुछ दूरी पर क्रिस लिन के पास पहुंची, गेंद को कैच करने की कोशिश के दौरान लिन संतुलन खोकर गिर गए और उनके कंधे में ज़बरदस्त चोट लग गई। लिन दर्द की वजह से कराहने लगे थे, सभी का ध्यान लिन की तरफ़ गया। अंपयार ने इस गेंद को डेड बॉल क़रार नहीं दिया। हर किसी को क्विंसलैंड के खिलाड़ी क्रिस लिन की परवाह हो रही थी, लेकिन किसी ने ये ध्यान नहीं दिया कि मुंबई इंडियंस के दोनो बल्लेबाज़ ने इस दुखद घड़ी में रन न लेने का फ़ैसला किया। इस काम के लिए बटलर और पटेल की जितनी तारीफ़ की जाए कम है।

#4 डेल स्टेन ने एबी डीविलियर्स की बल्लेबाज़ी की तारीफ़ की

साल 2014 के आईपीएल मैच में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और सनराइज़र्स हैदराबाद का मुक़ाबला चल रहा था। बैंगलौर टीम को जीत के लिए 2 ओवर में 28 रन की ज़रूरत थी। हैदराबाद के कप्तान ने गेंदबाज़ी की ज़िम्मेदारी डेल स्टेन को सौंपी। डीविलियर्स ने स्टेन की गेंदबाज़ी के छक्के छुड़ा दिए और 19वें ओवर में 23 रन बनाए। आख़िरी ओवर में बैंगलोर ने एक यादगार जीत हासिल की। ये जीत तो मीठी थी ही, इस में और ज़्यादा मिठास डेल स्टेन ने घोल दी, जब उन्होंने डीविलियर्स को उनकी शानदार पारी के लिए बधाई दी। ये पल आईपीएल के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया।

#3 गौतम गंभीर ने अपना मैन ऑफ़ द मैच अवॉर्ड देबब्रत दास को सौंप दिया

साल 2012 के आईपीएल सीज़न में चेन्नई और कोलकाता का मुक़ाबला जारी था, इस मैच में गौतम गंभीर ने 52 गेंदों में 63 रन बनाए थे। जिसकी वजह से 2 बार की चैंपियन चेन्नई टीम को मात देने में कामयाबी हासिल हुई थी। लेकिन ये मैच गंभीर की शानदार बल्लेबाज़ी के लिए नहीं याद किया जाता है। जब मैन ऑफ़ द मैच का ऐलान हुआ तो अवॉर्ड लेने के लिए गंभीर को बुलाया गया। ठीक उसी वक़्त गंभीर ने देबब्रत दास को पुकारा और अपना अवॉर्ड उनको सौंप दिया। दास ने 4 गेंदों में 11 रन बनाए थे जिसमें जीत का शामिल था। गंभीर ने बाद में कहा कि दास इस अवॉर्ड के असली हक़दार हैं क्योंकि उन्होंने आख़िरी लमहों में टीम को जीत दिलाई थी।

#2 सुरेश रैना ने ऋषभ पंत को सांत्वना दी

गुजरात लॉयंस टीम ने दिल्ली को 209 रन का लक्ष्य दिया था। इसके जवाब में दिल्ली के संजू सैमसन और ऋषभ पंत ने टीम को अच्छी शुरुआत दी। ऋषभ पंत अपने पहले आईपीएल शतक के काफ़ी क़रीब थे। इसके बाद वो उनकी तरफ़ फेंकी गई गेंद उनके बल्ले से लगकर कीपर दिनेश कार्तिक के दस्तानों में जा पहुंची और पंत शतक से महज़ 3 रन से चूक गए। इसको देखकर पंत काफ़ी निराश हो गए, जब वो पवेलियन की तरफ़ वापस जा रहे थे तब गुजरात के कप्तान सुरेश रैना ने पंत को पीठ पर हाथ रखकर सांत्वना दी थी।

#1 हाशिम अमला विपक्षी टीम के अपील के बिना पवेलियन लौट गए

रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और किंग्स-XI पंजाब टीम के बीच मैच जारी थी। आरसीबी के अनिकेत चौधरी ने हाशिम अमला को गेंद फेंकी, गेंद अमला के बल्ले का किनारा छूते हुए विकेटकीपर के दस्ताने में जा पहुंची। हांलाकि गेंदबाज़ और विकेटकीपर ने अपील नहीं की, लेकिन अमला ने ईमानदारी दिखाते हुए पिच से वापस पवेलियन लौटने लगे। अमला के आउट होने के बाद पंजाब ने 139 रन बनाए, जिसके जबाव में आरसीबी टीम 119 रन पर ही सिमट गई और पंजाब ने ये मैच जीत लिया। अमला की ये ईमानदारी हमेशा याद की जाएगी। लेखक- ब्रोकेन क्रिकेट अनुवादक – शारिक़ुल होदा

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