श्रेयस अय्यर
इस श्रृंखला में भारतीय टीम की सबसे बड़ी खोज यह 23 वर्षीय बल्लेबाज रहा है। श्रेयस अय्यर ने धर्मशाला में अपने एकदिवसीय करियर की शुरू की। विराट कोहली की अनुपस्थिति में उन्हें बल्लेबाजी लाइन-अप के सबसे अहम नंबर-3 की स्थिति को भरने के लिए कहा गया और उन्होंने निराश भी नहीं किया। अय्यर के वनडे डेब्यू की शुरुआत खराब रही क्योंकि वह 27 गेंद में सिर्फ 9 रन ही बना सके जिसमें अय्यर का स्ट्राइक रेट 33.33 का रहा फिर पारी के 14 वें ओवर में नुवान प्रदीप ने उन्हें आउट कर पैवेलियन वापस भेज दिया। लेकिन मोहाली में अगले मैच में उन्होंने बहुत मजबूत वापसी की और 125.71 की स्ट्राइक रेट के साथ शानदार 88 रन बनाए, जिसमें 9 चौके और 2 छक्के शामिल थे। विशाखापट़्नम में खेले गये निर्णायक मैच में अय्यर ने शिखर धवन के साथ दूसरे विकेट के लिए 118 रन जोड़े। उस मैच में अय्यर ने 8 चौके और 1 छक्के के साथ 63 गेंद में 65 रन बनाए। अय्यर ने 54 की औसत से 3मैचों में कुल 162 रनों के साथ सीरीज को समाप्त किया और वह श्रृंखला के सबसे अधिक रन बनाने के मामले में तीसरे नंबर पर रहे। अय्यर जैसे खिलाड़ी अपने करियर के शुरुआती दौर में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, ऐसा लगता है कि भारतीय क्रिकेट का भविष्य सुरक्षित हाथों में है।
शिखर धवन
बाएं हाथ का यह भारतीय सलामी बल्लेबाज श्रृंखला में बेहतरीन रहा। 84.00 की औसत से 3 मैचों में कुल 168 रनों के साथ, धवन ने मैन ऑफ द सीरीज पुरस्कार भी अपने नाम कर गए। धर्मशाला में खेले गये पहले वनडे में धवन अपना खाता भी नहीं खोल पाये थे। लेकिन वह कहानी मोहाली वनडे में दोहराई नहीं गयी क्योंकि दूसरे वनडे में धवन ने 67 गेंदों में 9 चौकों सहित 68 रनों का महत्वपूर्ण योगदान दिया। शिखर ने रोहित के साथ मिलकर 115 रनों की ओपनिंग साझेदारी की, जिसने पारी को आगे बढ़ने के लिए मजबूत आधार रखा। विशाखापट्नम के निर्णायक मैच में 13 चौके और 2 छक्कों के साथ धवन ने नाबाद 100 रन बनाए और टीम इंडिया को घर में एक और सीरीज जितायी। विशाखापट्नम वनडे में धवन ने एक और मील का पत्थर हासिल किया, वह विराट कोहली के बाद वनडे में सबसे तेजी से 4000 रन बनाने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बन गये। लेखक- रौनक प्रधान अनुवादक- सौम्या तिवारी