टेस्ट के 5 दिग्गज जो वनडे प्रारूप में रहे नाकाम

टेस्ट क्रिकेट को अभी भी क्रिकेट के खेल का 'न्यूमेरो यूनो' माना जाता है, इसलिए अतीत में बड़ी संख्या में ऐसे क्रिकेटर रहे हैं, जिन्हें टेस्ट में तो बेहतरीन प्रदर्शन किया है लेकिन क्रिकेट के सीमित प्रारूपों में वे अपना प्रदर्शन दोहराने में नाकाम रहे हैं। तो आइये नज़र डालते हैं 5 ऐसे खिलाड़ियों पर, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में बढ़िया प्रदर्शन किया है लेकिन वनडे क्रिकेट में वे कुछ खास नहीं कर पाए: थिलन समरवीरा (श्रीलंका) क्रिकेट के इतिहास में श्रीलंका के प्रतिभाशाली बल्लेबाज़ थिलन समरवीरा के बारे में शायद बहुत कम लोग जानते हैं लेकिन यह धुरंधर बल्लेबाज़ श्रीलंकाई बल्लेबाजी क्रम का बेहद अहम हिस्सा रह चुके हैं, जिसमें सनथ जयसूर्या, कुमार संगकारा और महेला जयवर्धने जैसे महान बल्लेबाज़ भी शामिल हैं। थिलन समरवीरा ने 81 टेस्ट मैचों में 48.76 के औसत से शानदार 5,462 रन बनाए हैं। हालांकि, वनडे प्रारूप में वह इतने सफल नहीं हो सके। 81 टेस्ट मैचों में खेलने के बावजूद, समरवीरा को श्रीलंका की तरफ से केवल 53 वनडे मैच ही खेलने का मौका मिला। इसके अलावा वह कभी भी वनडे मैचों में प्रभावशाली प्रदर्शन नहीं कर पाए। उन्होंने केवल 27.6 के औसत से कुल 862 रन बनाए। माइकल एथर्टन (इंग्लैंड) माइकल एथर्टन इंग्लैंड के सबसे प्रतिभाशाली क्रिकेटरों में से एक रहे। सलामी बल्लेबाज़ के रूप में महान इंग्लिश बल्लेबाज़ ग्राहम गूच के संन्यास के बाद उनके उत्तराधिकारी के रूप में, एथर्टन ने 90 के दशक में इंग्लिश टीम को अपनी शानदार बल्लेबाजी के साथ-साथ नेतृत्व क्षमता से दुनिया की बेहतरीन टीमों में से एक बनाया था। 1994 और 1999 के बीच 54 टेस्ट मैचों में इंग्लैंड का नेतृत्व करने वाले एथर्टन का टेस्ट करियर 2001 में चोटों का शिकार होने के वजह से समाप्त हुआ। उन्होंने 115 मैचों में कुल 7,728 रन बनाए और दुनिया के महान बल्लेबाज़ों की लिस्ट में अपना स्थान बनाया। अपने करियर में 100 से अधिक टेस्ट मैच खेलने के बावजूद, एथर्टन कभी भी इंग्लैंड की वनडे टीम के नियमित सदस्य नहीं रहे और इसलिए उन्होंने अपनी टीम की तरफ से केवल 54 वनडे मैच खेले। जस्टिन लैंगर (ऑस्ट्रेलिया) 1993 में ऑस्ट्रेलिया की तरफ से टेस्ट मैच से अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत करने वाले लैंगर ने अपनी टीम की तरफ से लगातार 8 सालों तक टेस्ट प्रारूप में खेला और ऑस्ट्रेलियाई टीम के वह बेहद अहम खिलाड़ी रहे। लैंगर ने 105 टेस्ट मैच खेले और 45.27 के औसत से कुल 7,696 रन बनाए। टेस्ट प्रारूप में 250 उनका उच्चतम स्कोर रहा और उन्होंने इस प्रारूप में 22 शतक लगाए। हालांकि, इतना शानदार रिकॉर्ड होने के बावजूद उन्हें वनडे टीम में ज़्यादा खेलने का मौका नहीं मिल पाया। अपने करियर में उन्होंने सिर्फ 8 वनडे मैचों में हिस्सा लिया और लगभग 32.00 के औसत से रन बनाए। एलिस्टेयर कुक (इंग्लैंड) इस सूची में दूसरे इंग्लिश खिलाड़ी, दिग्गज बल्लेबाज और पूर्व कप्तान, एलिस्टेयर कुक हैं। वह इंग्लैंड के क्रिकेट इतिहास के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ों में से एक हैं। 2006 में टेस्ट मैच से अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत करने वाले एलिस्टेयर कुक पिछले 12 सालों से इंग्लैंड की टेस्ट टीम का नियमित हिस्सा रहे हैं और उन्होंने अपनी 282 पारियों में 45.66 की औसत से शानदार 12,145 रन बनाए हैं। लेकिन इंग्लैंड के टेस्ट क्रिकेट इतिहास में सबसे ज़्यादा रन बनाने के बावजूद, कुक वनडे प्रारूप में अपना प्रदर्शन दोहराने में नाकाम रहे हैं। एक अच्छा वनडे कप्तान होने के बावजूद, कुक ने वनडे मैचों में बल्ले के साथ औसत प्रदर्शन किया है। कुल मिलाकर, उन्होंने केवल 92 वनडे मैचों में शिरकत की है और 36.04 के औसत से 3,204 रन बनाये। वी वी एस लक्ष्मण (भारत) अपने जबरदस्त खेल और कलाईयों के इस्तेमाल की वजह से मशहूर वीवीएस लक्ष्मण 2000 के बाद टीम इंडिया की बल्लेबाज़ी लाइन अप का अहम हिस्सा थे। जब टॉप ऑर्डर पूरी तरह फेल हो जाता था तब उन्होंने टीम इंडिया को तब मैच जिताए। 2010 में मोहाली टेस्ट के दौरान चोटिल लक्ष्मण ने टीम को अकेले दम पर मुसीबत से बाहर निकाला था। लक्ष्मण ने टेस्ट प्रारूप में अक्सर अपनी जबरदस्त पारियों के साथ विपक्ष को खूब परेशान किया है। 2001 में ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ प्रतिष्ठित ईडन गार्डन्स मैदान में उनके शानादार 281 रनों की बदौलत भारत ने यहाँ यादगार जीत अर्जित की थी। हालांकि लक्ष्मण एकदिवसीय मैचों में टेस्ट मैचों की तरह प्रभावी नहीं थे लेकिन फिर भी वह अपने करियर में खेले 86 वनडे मैचों में टीम इंडिया के एक महत्वपूर्ण अंश बने रहे। टेस्ट की तरह ही वनडे में एक अच्छा खिलाड़ी बनने के रास्ते में पिच पर उनका धीमा प्रदर्शन रोड़ा साबित हुआ, जिसके कारण वह कभी भी भारत के लिए किसी भी विश्व कप टीम का हिस्सा नहीं बन पाए। लेखक: कार्तिक सेठ अनुवादक: आशीष कुमार