5 ऐसे कारण जिनकी वजह से 90 के क्रिकेटर वर्तमान भारतीय क्रिकेट टीम को खूब पसंद करेंगे

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समय के साथ खेलों में भी काफी बदलाव आ गए हैं। इसी वजह से हम खेलों को और भी ज्यादा पसंद करते हैं। दिन और उम्र में इसका असर दिखता भी है। भारतीय क्रिकेट टीम में भी पिछले 25 सालों में काफी बदलाव हुए हैं। युवा कप्तान विराट कोहली की अगुवाई में भारतीय टीम अभी इंग्लैंड के खिलाफ जिस तरह से टेस्ट सीरीज में प्रदर्शन कर रही है, उसे देखकर 90 के क्रिकेटर काफी खुश हो रहे होंगे, क्योंकि 90 का दशक भारतीय क्रिकेट टीम का सबसे कठिन दौर था। ये सही है कि भारतीय टीम अब काफी मजबूत हो गई है, लेकिन अगर इतिहास को देखें तो भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसी मजबूत टीमों से काफी पीछे थी। लेकिन दर्शकों की भारी तादाद और क्रिकेट के बड़े बाजार की वजह से पिछले 2 दशक में भारतीय क्रिकेट टीम और बोर्ड में अभूतपूर्व परिवर्तन हुए हैं। खिलाड़ियों का बॉडी लैंग्वेज, और उनके एट्टीट्यूड में काफी बदलाव आ गए हैं। भारतीय टीम अब केवल जीत के लिए खेलती है खासकर घरेलू पिचों पर भारतीय टीम और भी खतरनाक हो जाती है। आइए जानते हैं 5 ऐसे ही बदलाव के बारे में जो पिछले 25 सालों में भारतीय टीम में हुए-


  1. फील्डिंग का स्तर काफी ऊंचा हो गया है, खासकर गेंदबाजों का-

विशाखापट्टनम टेस्ट के दूसरे दिन ऑफ स्पिनर जयंत यादव तेजी से गेंद का पीछा कर डाइव लगाकर गेंद को उठाते हैं और हवा में छलांग लगाकर तुरंत स्क्वायर लेग से विकेटकीपर को थ्रो करते हैं, विकेटकीपर साहा गेंद को स्टंप के आगे जाकर पकड़ते हैं और गिल्लियां बिखेर देते हैं। जयंत यादव की इस शानदार फील्डिंग की वजह से इंग्लैंड के ओपनर हसीब हमीद का विकेट भारत को मिलता है। उस समय तक इंग्लैंड की स्थिति काफी मजबूत थी। हमीद और जोए रुट इंग्लैंड की पारी को अच्छे से आगे बढ़ा रहे थे, लेकिन हमीद का विकेट गिरने के बाद पूरा खेल ही बदल गया। इस विकेट के साथ भारत मैच में आ गया और धीरे-धीरे इंग्लैंड की स्थिति कमजोर होती गई और अंत में भारत ने इंग्लैंड को 246 रनों के बड़े अंतर से हराया। भारत के दोनों तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी और उमेश यादव भी शानदार फील्डिंग कर रहे हैं। उमेश यादव बेहतरीन एथलीट हैं और मैदान के हर कोने में डाइव लगाने से नहीं चूकते हैं वहीं बात अगर की जाए रवींद्र जाडेजा की तो वो दुनिया के बेहतरीन फील्डरों में शुमार किए जाते हैं। भारतीय गेंदबाजों में रविच्रंदन अश्विन ही केवल एकमात्र गेंदबाज हैं जो फील्ड पर धीमे हैं। लेकिन 90 के दशक के गेंदबाजों से वे ज्यादा तेज हैं। इसी वजह से भारतीय टीम की फील्डिंग आजकल काफी मजबूत मानी जाती है। 2. गेंदबाजों का बल्ले से भी योगदान-

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90 के दशक में भारत के पास रन बनाने के लिए केवल 6 मुख्य बल्लेबाज ही होते थे। इन्हीं 6 बल्लेबाजों के ऊपर पूरे रन बनाने की जरुरत होती थी, क्योंकि टेलेंडर तब इतना रन नहीं बना पाते थे, जिससे वे टीम को जिता सकें। यहां तक कि विकेटकीपरों से भी ज्यादा उम्मीद नहीं की जाती थी। हालांकि कपिल देव अपने जमाने के मशहूर ऑलराउंडर रहे हैं और तेज गेंदबाज मनोज प्रभाकर ने भी कुछ मैचों में निचलेक्रम पर अच्छी बल्लेबाजी की। लेकिन इन दोंनों खिलाड़ियों को छोड़ दें, तो निचलेक्रम में बल्लेबाजी भारत के लिए हमेशा से ही चिंता का विषय रही है। लेकिन 2000 में इसमें बदलाव हुआ, गेंदबाजी के साथ बल्लेबाजी करने वाले खिलाड़ियों की तरजीह दिया जाने लगा। लेकिन अब निचलेक्रम में गेंदबाज बल्ले से भी काफी शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। अश्विन ने बैटिंग में लगभग 6 नबंर पर अपनी जगह पक्की कर ली है, वहीं रवींद्र जाडेजा जैसा बल्लेबाज भी 8वें नबंर पर बल्लेबाजी करना आता है। जडेजा के नाम घरेलू क्रिकेट में तिहरा शतक भी है। वहीं विशाखापट्टनम टेस्ट में डेब्यू के साथ ही जयंत यादव ने पहली पारी में 35 और दूसरी पारी में 37 रन बनाए। दूसरे टेस्ट की पहली पारी में भारत के आखिर के 3 विकेट ने 92 रन जोड़े। दूसरी पारी में दसवें विकेट के लिए मोहम्मद शमी और जयंत यादव ने 42 रनों की अहम साझेदारी की। इस साझेदारी की वजह से भारत 400 का स्कोर बनाने में कामयाब रहा, जिससे इंग्लैंड के ऊपर एक मनोवैज्ञानिक दबाव बना। दूसरी पारी में जब इंग्लैंड की टीम बल्लेबाजी करने उतरी तो भारत ने बेहतरीन बॉलिंग का प्रदर्शन करते हुए इंग्लैंड को 246 रनों से हरा दिया। 3. टीम में दो नियमित तेज गेंदबाज-

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दूसरे टेस्ट के 5वें दिन जब सभी को लग रहा था कि अश्विन और बाकी स्पिनर ही विकेट ले पाएंगे, ऐसे में तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने इंग्लैंड के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज जोए रुट को पगबाधा आउट कर टीम इंडिया को बड़ी सफलता दिलाई । वहीं पहली पारी में शमी ने एक बेहतरीन गेंद से इंग्लिश कप्तान एलिस्टेयर कुक का ऑफ स्टंप उखाड़ दिया । शमी की ये गेंद ड्रीम गेंद भी कही जा सकती है, जो कि भारतीय क्रिकेट टीम में कभी-कभार ही देखने को मिलती है । वहीं दूसरे तेज गेंदबाज उमेश यादव ने एक बेहतरीन यॉर्कर पर बल्लेबाज जॉनी बैरियस्टो को क्लीन बोल्ड कर दिया । शमी और यादव दोनों ही 140 से ऊपर की स्पीड से गेंदबाजी करते हैं । शमी जहां तेज गेंदबाजी करने के साथ गेंद को स्विंग भी कराते हैं, वहीं उमेश यादव ने इस सीरीज में कई बार 148 की स्पीड से गेंदबाजी की है । भारतीय गेंदबाजो की इस समय जो औसत गति है वो भारतीय क्रिकेट टीम के लिए नई बात है ।इससे पहले भारत के पास कभी भी एक साथ 2 ऐसे तेज गेंदबाज नहीं रहे हैं, जो लगातार 140 की स्पीड से गेंदबाजी कर सकें और उप महाद्वीप की पिचों पर नई और पुरानी गेंद से 5वें दिन भी विकेट निकाल सकें । निश्चित ही भारतीय टीम इस विभाग में अब काफी आगे निकल चुकी है । 4. आक्रामक बॉडी लैंग्वेज-

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क्रिकेट में बॉडी लैंग्वेज बहुत ही अहम होता है । वर्तमान में टेस्ट कप्तान विराट कोहली और भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक सौरव गांगुली इसके बेस्ट उदाहरण हैं । खेल के दौरान मैदान पर कोहली बहुत कम ही चुप रहते हैं । कोहली के पास एट्टीट्य़ूड है, क्योंकि उनके पास टैलेंट भी है । सबसे अहम बात ये है कि मैदान पर वो दूसरे खिलाड़ियों का भी उत्साह बढ़ाते हैं । अब वो दिन चले गए जब भारतीय तेज गेंदबाजों पर इंग्लैंड और अन्य जगहों पर बल्लेबाज स्लेजिंग किया करते थे । भारतीय खिलाड़ी भी अब इस तरह की स्लेजिंग का जवाब देना जान गए हैं । मैदान पर भी भारतीय फील्डर तेज हैं । यहां तक कि अब अंपायरों से भी भारतीय खिलाड़ी पहले से ज्यादा सवाल-जवाब करने लगे हैं । भारतीय टीम के कोच अनिल कुंबले शांत स्वभाव के हैं और वे कोशिश करते हैं कि मैदान पर भारतीय खिलाड़ी तनातनी से बचें और उस तरह का व्यवहार ना करें, जिस तरह 2000 के आखिर में ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी किया करते थे । लेकिन आज के मॉर्डन क्रिकेट में ये कोई बुरी बात भी नहीं है । पिछली बार जब भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया थो तब कोहली के इस आक्रामक रवैये ने करोड़ों फैंस का दिल जीत लिया । क्योंकि भारतीय क्रिकेट टीम को अब उप महाद्वीप से बाहर जीतने की जरुरत है । 5. एक से ज्यादा विकेट टेकिंग गेंदबाज-

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कोई भी टीम केवल एक या दो महान बल्लेबाजों या गेंदबाजों से बड़ी टीम नहीं बनती है । चैंपियन टीम वही होती है जिसके पास कई सारे विकेट टेकिंग गेंदबाज हों और जो विरोधी टीम के ऊपरी क्रम के बल्लेबाजों को जल्द से जल्द पवेलियन भेज सकें। भारतीय टीम भी अभी एक से ज्यादा विकेट टेकिंग गेंदबाज हैं । अश्विन जहां दुनिया के नंबर एक गेंदबाज हैं तो वहीं शमी, यादव और जाडेजा भी लगातार विकेट निकाल रहे हैं । शमी और यादव के पास तेजी भी है और नेचुरल स्विंग भी है, इनको गेंदबाजी करते हुए देखकर काफी अच्छा लगता है । माइकल एथेरट्न ने बाद में इस बात का जिक्र भी किया । एक ऐसी पिच पर जहां बाद में थोड़ी मदद मिले वहां रिवर्स स्विंग काफी कारगर होती है । वर्तमान भारतीय टीम में कई ऐसे गेंदबाज हैं जो विभिन्न हालात में विकेट लेने में सक्षम हैं ।

Edited by Staff Editor
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