# शारजाह के डे-नाईट मैच
क्या आपको याद है जब तेज़ आंधी के कारण खिलाड़ी जमीन पर लेट गए थे या फिर इंडिया और पकिस्तान के बीच के वो सारे जबरदस्त मैच? इस सबका गवाह था शारजाह। 90 के दशक में किसी भी बच्चे के लिए शारजाह में मैच देखना बहुत ही मज़ेदार अनुभव था। शारजाह ने कई रिकॉर्ड, कई भावनाओं और कई शानदार मैचों को देखा है।
एक मैच का अगर जिक्र जरुर किया जाए तो वो 1998 के हीरो कप का फाइनल होगा। एक मैच पहले ज़िम्बाब्वे के तेज़ गेंदबाज हेनरी ओलोंगा के कारण भारतीय टीम ज़िम्बाब्वे के 205 रनों का भी पीछा नहीं कर पाई थी। ओलोंगा ने भारतीय शीर्षक्रम को तहस नहस कर दिया था और सचिन तेंदुलकर को भी आउट किया था। तेंदुलकर को ओलोंगा ने लगातार दो गेंदों में आउट किया जिसमें पहला नो बॉल था। ओलोंगा ने बल्लेबाजी के धुरंधर को शॉर्ट गेंद पर आउट किया था।
फाइनल मैच को तेंदुलकर और ओलोंगा के बीच मुकाबले का नाम दिया गया और तेंदुलकर ने निराश नहीं किया। उन्होंने ओलोंगा के गेंदबाजी की धज्जियाँ उड़ा दी। उन्होंने एक अपर कट भी मारा जैसा कि उन्होंने 2003 के वर्ल्ड कप में शोएब अख्तर को मारा था। इसके बाद तो उन्होंने ओलोंगा के खिलाफ मैदान के हर कोने में रन बनाये और जब ओलोंगा को गेंदबाजी से हटाया गया वो 4 ओवर में 40 रन दे चुके थे। सचिन उन्हें आगे बढ़-बढ़ के मार रहे थे और ओलोंगा को कुछ समझ नहीं आ रहा था।
जब पॉल स्ट्रैंग गेंदबाजी करने आये तो उन्हें भी तेंदुलकर ने छक्के मारे। वहीं दूसरी तरफ सौरव गांगुली ने ग्रांट फ्लावर को लॉन्ग ऑन और डीप मिडविकेट के बीच से स्टेडियम की छतों पर मारना शुरू किया। तेंदुलकर ने उस मैच में अपना 21वां शतक पूरा किया और भारत ने मैच 10 विकेट से जीता था।