# तेंदुलकर और लारा के बीच प्रतिद्वंदिता
![तेंदुलकर और लारा](https://statico.sportskeeda.com/editor/2020/06/dbf53-15927209275399-800.jpg?w=190 190w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2020/06/dbf53-15927209275399-800.jpg?w=720 720w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2020/06/dbf53-15927209275399-800.jpg?w=640 640w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2020/06/dbf53-15927209275399-800.jpg?w=1045 1045w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2020/06/dbf53-15927209275399-800.jpg?w=1200 1200w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2020/06/dbf53-15927209275399-800.jpg?w=1460 1460w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2020/06/dbf53-15927209275399-800.jpg?w=1600 1600w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2020/06/dbf53-15927209275399-800.jpg 1920w)
90 के दशक को तेंदुलकर का दशक कहा जाता है। उन्होंने सभी गेंदबाजी आक्रमण की धज्जियाँ उड़ाई और वो बड़े-बड़े स्कोर काफी तेज़ी से बनाते थे। उनकी आक्रामक बल्लेबाजी ने क्रिकेट प्रेमियों के लिए बल्लेबाजी को फिर से परिभाषित कर दिया।
सभी के लिए तेंदुलकर एक घरेलू नाम हो गए। 90 के दशक ने देखा कि युवा तेंदुलकर ने किस तरह गेंदबाजों की हालत ख़राब कर दी थी। उस शताब्दी के बाद तेंदुलकर भले 13 साल और खेले लेकिन वो इस दौरान चोटों से काफी परेशान रहे। उनकी आक्रामकता में कहीं न कहीं कमी आ गई थी।
युवा तेंदुलकर ने अपनी गेंदबाजी से भी प्रभावित किया। 1993 के हीरो कप के सेमीफाइनल में आखिरी ओवर में दक्षिण अफ्रीका को सिर्फ 6 रन बनाने थे और तेंदुलकर ने नहीं बनने दिए। लेकिन बाद में तेंदुलकर ने ज्यादा गेंदबाजी नहीं की।
जहाँ तेंदुलकर को आक्रामकता के लिए जाना जाता था वहीँ ब्रायन लारा को उनकी खेल की खूबसूरती के कारण जाना जाता था। अपने शानदार बैकफुट और शफल के कारण लारा को बराक ओबामा ने क्रिकेट का माइकल जॉर्डन कहा था। लारा उस दशक के सबसे खूबसूरत बल्लेबाजों में एक थे और उनकी बल्लेबाजी एक कविता की तरह होती थी।
90 के दशक में इन दोनों बल्लेबाजों ने गेंदबाजों पर गज़ब का दबाव बनाया और तभी ऐसे सवालों ने जन्म लिया जिनका कोई जवाब नहीं था- इन दोनों में ज्यादा महान बल्लेबाज कौन है? 90 के दशक में जिन्होंने इन्हें बल्लेबाजी करते देखा वो अपने आप को खुशकिस्मत समझते हैं।