सीरीज में वापसी के लिए भारतीय टीम को 5 चीजें जरुर करना होगी

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बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के हाथों भारत को 333 रन की करारी शिकस्त झेलना पड़ी। पिछले दो वर्षों में घरेलू सत्र में टीम इंडिया का प्रदर्शन शानदार रहा था और वह पुणे के महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम में जीत की प्रबल दावेदार मानी जा रही थी। हालांकि, तीन दिन के भीतर ख़त्म हुए इस टेस्ट में मेहमान टीम ने सभी विभागों में भारतीय टीम को पस्त करके चार मैचों की सीरीज में 1-0 की बढ़त बनाई। हार से अधिक जिस तरह टीम इंडिया को शिकस्त मिली, उस पर कई सवाल उठने लगे हैं। चार मैचों की टेस्ट सीरीज में ऑस्ट्रेलिया ने भारत पर दबाव बना दिया है। शनिवार से भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बैंगलोर के चिन्नास्वामी स्टेडियम में दूसरा टेस्ट शुरू होगा। इससे पहले हम आपको उन पांचों चीजों पर गौर कराने ले जा रहे हैं, जिसे अपनाकर भारतीय टीम सीरीज में जोरदार वापसी कर सकती हैं।

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मजबूत ओपनिंग साझेदारी

इसमें कोई संदेह नहीं कि लोकेश राहुल और मुरली विजय शानदार बल्लेबाज हैं। हालांकि, दोनों बल्लेबाजों ने भारतीय ओपनिंग जोड़ी के रूप में दमदार प्रदर्शन अब तक नहीं किया है। 13 पारियों में दोनों बल्लेबाजों ने केवल 19.92 की औसत से 259 रन की साझेदारी की है। और तो और सिर्फ एक ही बार दाएं हाथ के बल्लेबाजों की इस जोड़ी ने 50 रन से अधिक की साझेदारी की है। राहुल और विजय के फ्लॉप होने का मतलब भारतीय टीम के अन्य बल्लेबाजों को बड़ी जिम्मेदारी के साथ खेलना होता है। जहां न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के खिलाफ भारतीय जोड़ी के जल्दी आउट होने के बावजूद टीम पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ा, वहीं ऑस्ट्रेलिया की टीम बिलकुल अलग है जो हावी होना जानती है। भारतीय टीम के लिए मैच पर पकड़ मजबूत बनाना आसान हो जाएगा अगर उसकी ओपनिंग जोड़ी शानदार शुरुआत टीम को दिलाए। DRS का सही उपयोग drs india भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने हाल ही में द्विपक्षीय सीरीज में फैसला समीक्षा प्रणाली (DRS) का इस्तेमाल करने की मंजूरी दी है। भारतीय टीम ने तब से 7 टेस्ट खेले और 55 मौकों पर DRS का इस्तेमाल किया। इस दौरान टीम इंडिया का सफलता प्रतिशत 30.90 का रहा, यानी 17 समीक्षाएं सफल रही। हालांकि, अगर और बारीकी से इस पर नजर डाली जाए तो 55 रिव्यु में से 13 बार बल्लेबाजों ने DRS का उपयोग किया, जिसमें से 7 के फैसले पक्ष में आए। जब फील्डिंग रिव्यु की बात आती है तो भारतीय टीम का DRS के लिए समय अच्छा नहीं रहा। 42 फील्डिंग रिव्यु में से केवल 10 ही सफल हुए। पुणे टेस्ट में तो चारों फील्डिंग रिव्यु असफल रहे। इनमें से दो तो ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी के लगातार दो ओवर में लिए गए। जब पारी के 56वें ओवर में स्टीव स्मिथ को अंपायर ने नॉटआउट दिया तब भारत के पास DRS लेने के मौके ही नहीं बचे थे जबकि स्मिथ आउट थे। बल्लेबाजों ने भी DRS का गलत इस्तेमाल किया। दोनों भारतीय ओपनरों ने दूसरी पारी में छठें ओवर से पहले ही दोनों रिव्यु का इस्तेमाल कर लिया। DRS के गलत उपयोग को देखते हुए भारतीय टीम को जरुरत है कि वो तकनीक का सही ढंग से इस्तेमाल करे। नजदीकी कैचिंग में सुधार close in इंग्लैंड के खिलाफ हाल ही में संपन्न भारतीय टीम के एक पहलू पर किसी ने ध्यान नहीं दिया वो ख़राब कैचिंग था। उस सीरीज में भारतीय फील्डरों ने निराशाजनक प्रदर्शन करते हुए करीब 20 कैच टपकाए थे। इनमें से अधिकांश कैच नजदीकी फील्डरों के थे। हालांकि, बल्लेबाजों और गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन की बदौलत भारत को कैच गिराने का गलत नतीजा नहीं भुगतना पड़ा और टीम ने आराम से सीरीज जीती। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट में भारत की यह कमजोरी फिर उजागर हुई, क्योंकि खिलाड़ियों ने अहम मौकों पर कैच टपकाए। ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में स्टीव स्मिथ को शतक बनाने से पहले कम से कम तीन जीवनदान मिली। हालांकि उनका शतक ऑस्ट्रेलिया के लिए मैच विजयी साबित हुआ। मैट रेनशॉ को भी भारतीय टीम की लचर फील्डिंग का फायदा हुआ। क्रिकेट में एक पुरानी कहावत है, 'कैच पकड़ों मैच जीतो' और अब भारत को सीरीज में जोरदार वापसी के लिए इस पक्ष को महत्ता के साथ सुधारना होगा। स्टीव स्मिथ को जल्दी आउट करना होगा score smith भारतीय गेंदबाजी आक्रमण को सामने ले आईए और स्टीव स्मिथ एक चमत्कारिक पारी खेलते दिखेंगे। भारत के खिलाफ 7 मैचों में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ ने 88.83 की औसत से 1,000 से अधिक रन बनाए हैं। इस प्रक्रिया में उन्होंने पांच शतक और तीन अर्धशतक जमाए। इस दौरान उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 192 रन रहा। इतने शानदार नंबरों के साथ स्मिथ का आत्मविश्वास आसमान पर था और इसी का नतीजा रहा कि उन्होंने स्पिनरों के लिए मददगार पिच पर दो दिग्गज स्पिनरों के खिलाफ बेहतरीन पारी खेलते हुए शतकीय पारी खेली। ऐसा नहीं है कि 27 वर्षीय बल्लेबाज को आउट करने की कोई तरकीब न हो। भारतीय गेंदबाजों को थोड़ा केंद्रित होकर उन्हें गेंदबाजी करने की जरुरत है। उदाहरण के लिए, स्मिथ को स्विंग गेंद से परेशानी होती है, विशेषकर तब जब गेंद ऑफ़स्टंप के बाहर की हो। 2015 एशेज सीरीज में इंग्लिश गेंदबाजों ने इसका दमदार फायदा उठाया। भले ही भारत में इंग्लैंड जैसी तेज गेंदबाजों के लिए मददगार परिस्थिति न हो, लेकिन उसके पास उमेश यादव और भुवनेश्वर कुमार जैसे गेंदबाज मौजूद हैं जो गेंद को दोनों दिशा में स्विंग कराना जानते हैं। भारतीय गेंदबाजों को स्टीव स्मिथ को जल्दी आउट करने की रणनीति बनाना होगी जिससे कि वह सीरीज में दमदार वापसी कर सके। पुछल्ले बल्लेबाजों को जल्दी समेटना

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एमसीए स्टेडियम में पहले दिन के अंतिम सत्र में भारतीय गेंदबाजों का बोलबाला रहा। चायकाल तक 152/4 के स्कोर से ऑस्ट्रेलिया की टीम 205/9 के स्कोर पर चली गई थी। जब लगने लगा कि जल्द ही भारतीय पारी शुरू होगी तब मेजबान टीम ने मिचेल स्टार्क को खुलकर खेलने का मौका दे दिया। अगले 12 ओवर में स्टार्क ने भारतीय गेंदबाजों की जमकर धुनाई की और मैदान के चारों कोनों में शॉट खेलकर स्टंप्स तक टीम का स्कोर 255/9 कर दिया। इसमें कोई शक नहीं कि स्टार्क की शानदार पारी की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने सम्मानजनक स्कोर बनाया। मगर भारतीय गेंदबाज जिस तरह से 11वें बल्लेबाज जोश हेजलवुड को आउट करने में नाकाम रहे, वह शर्मनाक है। दूसरी पारी में भी भारतीय टीम का यही हाल रहा और स्टार्क ने एक छोटी, लेकिन बहुत उपयोगी पारी खेली। आखिरी के तीन ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने शीर्ष रैंक वाली भारतीय टीम के गेंदबाजों की जमकर धुनाई की। यह सच है कि ऑस्ट्रेलिया की बल्लेबाजी में गहराई है, लेकिन भारतीय गेंदबाजों का काम इन्हें जल्दी आउट करने का होगा।

Edited by Staff Editor
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