भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने हाल ही में द्विपक्षीय सीरीज में फैसला समीक्षा प्रणाली (DRS) का इस्तेमाल करने की मंजूरी दी है। भारतीय टीम ने तब से 7 टेस्ट खेले और 55 मौकों पर DRS का इस्तेमाल किया। इस दौरान टीम इंडिया का सफलता प्रतिशत 30.90 का रहा, यानी 17 समीक्षाएं सफल रही। हालांकि, अगर और बारीकी से इस पर नजर डाली जाए तो 55 रिव्यु में से 13 बार बल्लेबाजों ने DRS का उपयोग किया, जिसमें से 7 के फैसले पक्ष में आए। जब फील्डिंग रिव्यु की बात आती है तो भारतीय टीम का DRS के लिए समय अच्छा नहीं रहा। 42 फील्डिंग रिव्यु में से केवल 10 ही सफल हुए। पुणे टेस्ट में तो चारों फील्डिंग रिव्यु असफल रहे। इनमें से दो तो ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी के लगातार दो ओवर में लिए गए। जब पारी के 56वें ओवर में स्टीव स्मिथ को अंपायर ने नॉटआउट दिया तब भारत के पास DRS लेने के मौके ही नहीं बचे थे जबकि स्मिथ आउट थे। बल्लेबाजों ने भी DRS का गलत इस्तेमाल किया। दोनों भारतीय ओपनरों ने दूसरी पारी में छठें ओवर से पहले ही दोनों रिव्यु का इस्तेमाल कर लिया। DRS के गलत उपयोग को देखते हुए भारतीय टीम को जरुरत है कि वो तकनीक का सही ढंग से इस्तेमाल करे।