पिछले एक साल में पांड्या का बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों ही ग्राफ काफी तेजी से ऊपर गया है। अब उनके पास मौका है किनई गेंद से साथ गेंदबाजी पर यह सीख ले और अनुभव कर लें कि जब ज्यादातर फील्डर 30 गज के अंदर में रहते हैं तो कैसे गेंदबाजी करते हैं। इस तरह प्रमुख तेज गेंदबाजों के ओवर बचे रहेंगे और अगर बीच के ओवरों में स्पिनरों को रन पड़ते हैं तो उनका इस्तेमाल किया जा सकता है। पांड्या को शुरूआती दिनों में नई गेंद दी जाती थी लेकिन उनका परिणाम मिला-जुला ही रहा था। हालांकि पिछले वर्ष न्यूज़ीलैंड के खिलाफ नई गेंद से उन्होंने अच्छी गेंदबाजी भी की थी। अब पांड्या का अनुभव भी ज्यादा है और अगर वो सीमित ओवरों के खेल में नई गेंद से विकेट प्राप्त करने लगें तो भारतीय क्रिकेट के लिए इससे अच्छी खबर कुछ नहीं होगी।