5 बातों की वजह से मैक्सवेल को किंग्स XI पंजाब का कप्तान बनाने का फैसला गलत साबित हो सकता है

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आईपीएल 2017 अब से कुछ ही हफ्तों बाद आपकी टीवी स्क्रीन पर दस्तक देने को तैयार है। आईपीएल ने हमेशा से ही क्रिकेट फैंस को सबसे ज्यादा रोमांचित किया है। इस बार की आईपीएल नीलामी में बेन स्टोक्स सबसे महंगे बिके। उन्हें राइजिंग पुणे सुपरजाएंट्स ने 14.5 करोड़ में खरीदा। इस बार जंहा सबसे ज्यादा सुर्खियां इंग्लैंड के इस स्टार ऑलराउंडर ने बटोंरी, तो वहीं ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ग्लैन मैक्सवेल को जब पंजाब ने इस सीजन के लिए अपना कप्तान नियुक्त किया तो इस पर भी सभी ने हैरानी जताई। 2014 के आईपीएल सीजन को छोड़ दिया जाए तो अबतक आईपीएल में किंग्स इलेवन पंजाब का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है। 2014 आईपीएल में पंजाब की टीम ने फाइनल तक का सफर तय किया था। जबकि 2015 और 2016 सीजन में तो पंजाब की टीम प्वाइंट्स टेबल में सबसे नीचे काबिज टीमों में शुमार थी। अब देखना होगा अब तक आईपीएल की फिसड्डी टीमों में शामिल रही किंग्स इलेवन पंजाब ने इस बार मैक्सवेल को कप्तान बनाकर जो दांव खेला है वो कितना कारगर साबित होगा। हम आपको बताते हैं वो 5 कारण जिनकी वजह से मैक्सवेल को कप्तान बनाने का किंग्स इलेवन पंजाब का फैसला गलत साबित हो सकता है। कप्तानी का ज्यादा अनुभव नहीं पूरी टीम को साथ लेकर चलना, कप्तान के तौर पर टीम को फ्रंट से लीड करना आसान नहीं होता। वहीं मैक्सवेल के पास किसी भी फॉर्मेट में कप्तानी का अनुभव नहीं है। मैक्सवेल ने तीनों फॉर्मेट मिलाकर अबतक 338 मैच खेले हैं लेकिन अभी तक किसी में भी कप्तानी नहीं की। टी 20 फॉर्मेट अनिश्चिताओं का खेल है जहां कुछ गेंदों में मैच का पूरा पासा पलट जाता है। हालांकि मैक्सवेल की काबिलियत पर किसी को भी कोई शक नहीं है। 2014 में जब किंग्स इलेवन पंजाब की टीम आईपीएल के फाइनल में पहुंची थी तो उसमें सबसे अहम भूमिका ग्लैन मैक्सवेल ने निभाई थी। उन्होंने शानदार बल्लेबाजी कर कई बड़े मुकाबलों में किंग्स की जीत पर मुहर लगाई, लेकिन इसके बाद अगले दो सीजन में मैक्सवेल अपनी उसी फॉर्म को बरकरार रखने में पूरी तरह से नाकाम रहे। ऐसे में इस बार मैक्सवेल पर अपनी बल्लेबाजी के साथ -साथ पूरी टीम की जिम्मेदारी भी है लिहाजा मैक्सवेल को कप्तान बनाने का पंजाब का फैसला गलत भी साबित हो सकता है। कप्तानी के दबाव का बल्लेबाजी पर असर MAXWELLKRDEEPAK ग्लैन मैक्सवेल एक ऐसे खिलाड़ी हैं जो खुलकर खेलना पसंद करते हैं। मैक्सवेल दुनिया के किसी गेंदबाज की धज्जियां उड़ाने का माद्दा रखते हैं। खासकर लिमिटेड ओवर्स के क्रिकेट में तो वो दुनिया के विस्फोटक बल्लेबाजों में शुमार हैं। कुछ खिलाड़ियों का खेल दबाव में और ज्यादा निखर जाता है। वो जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हैं, लेकिन कुछ खिलाड़ी दबाव में आकर अपने नेचुरल गेम नहीं खेल पाते। इस सीजन में मैक्सवेल पहली बार कप्तानी की जिम्मेदारी उठाएंगे तो सकता है उन पर खुद को बतौर कप्तान साबित करने दबाव हो। वो चाहेंगे कि वो फ्रंट से लीड करते हुए अपनी टीम के लिए उदाहरण पेश करें लेकिन पहली बार पूरी टीम बोझ उठाने वाले मैक्सवेल के लिए ये सब इतना आसान नहीं होने वाला। टीम में दूसरे अंतर्राष्ट्रीय कप्तानों की मौजूदगी Eoin-Morgan किंग्स इलेवन पंजाब के पास डेरेन सैमी और इयोन मोर्गन जैसे खिलाड़ी हैं। जो टी 20 फॉर्मेट के चैंपियन हैं। सैमी ने पिछले टी 20 वर्ल्ड कप में अपनी टीम को चैंपियन बनाया था। जबकि इंग्लैंड को भी टी 20 वर्ल्ड कप के फाइनल तक पहुंचाने का श्रेय काफी हद तक इयोन मोर्गन को जाता है। सैमी को टी 20 फॉर्मेट में कप्तानी का भी अच्छा खासा अनुभव है। सैमी हाल ही में पाकिस्तान सुपर लीग में पेशावर जल्मी को चैंपियन बनाया था। तो वहीं मोर्गन ने भी वर्ल्ड टी 20 के फाइनल में इंग्लैंड को पहुंचाया जंहा उनकी टीम आखिरी ओवर तक लड़ी थी। टीम को मुश्किल समय में किस तरह से लीड किया जाता है मोर्गन इस मामले में बेहद अनुभवी हैं। इतना ही नहीं हाल में भारत के खिलाफ टी 20 सीरीज में भी मोर्गन का प्रदर्शन अच्छा रहा था। ऐसे में टी 20 फॉर्मेट के दो बेहतरीन कप्तानों के होते हुए भी मैक्सवेल को पंजाब का कप्तान बनाने का फैसला समझ से परे है। फॉर्म अच्छी ना होने के बावजूद भी टीम में बने रहेंगे Glenn-Maxwell-captaining-the-KXIP-for-the-Season-10-of-indian-premier-league मैक्सवेल के कप्तान होने का मतलब है कि अगर वो अच्छी फॉर्म में ना हों बावजूद इसके प्लेइंग इलेवन में उनकी जगह बरकरार रहेगी। आईपीएल के नियम के मुताबिक सिर्फ 4 विदेशी खिलाड़ियों को ही प्लेइंग इलेवन में जगह मिल सकती है लेकिन मैक्सवेल के कप्तान होने के बाद अब किंग्स इलेवन पंजाब के पास सिर्फ 3 विकल्प बचते हैं। अगर इस सीजन में भी पिछले दो सीजन की तरह ही मैक्सवेल का जादू नहीं चल पाता है तो किंग्स इलेवन पंजाब की उलझन बढ़ जाएगी क्योंकि वो कप्तान को तो प्लेइंग इलेवन से बाहर नहीं बैठा सकते। कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है किंग्स ने अपने विकल्प खुद बंद किए हैं। अगर पंजाब की टीम को कंडीशन के मुताबिक अपनी टीम में बदलाव करने पड़े तो विकल्पों की कमी होगी। मान लीजिए अगर पिच तेज गेंदबाज या फिर स्पिनर के लिए ज्यादा मददगार होगी, तो पंजाब के पास उसके मुताबित प्लेइंग इलेवन में उतारने के ज्यादा विकल्प नहीं होंगे। यहां तक की रिकॉर्ड्स भी इस और इशारा करते हैं कि विदेशी कप्तान आईपीएल में ज्यादा कामयाब साबित नहीं हुए हैं। जब तक कि उनके पास इंटरनेशनल टीम की कप्तानी का अनुभव ना हो। रिकॉर्ड्स और इतिहास mzz किंग्स इलेवन पंजाब ने यही गलती पिछले सीजन में भी की थी। जब उन्होंने साउथ अफ्रीका के विस्फोटक बल्लेबाज डेविड मिलर को टीम की कमान सौंपी थी। कप्तानी के दबाव की वजह से मिलर का खुद प्रदर्शन भी खराब हुआ था। एक कप्तान टीम के लिए उदाहरण पेश करता है और उसके प्रदर्शन का असर टीम के मनोबल पर भी पड़ता है। पिछले सीजन में खराब फॉर्म के चलते मिलर को सीजन के बीच में ही कप्तानी से हटा दिया गया था। जिसके बाद मुरली विजय को टीम की कमान दी गई थी। 2016 आईपीएल में किंग्स ने अपने शुरूआती 6 में से 5 मैच हारे थे। पिछले दो आईपीएल सीजन के 22 मैचों में मैक्सवेल ने सिर्फ 324 रन बनाए हैं। जबकि 2014 सीजन में उन्हें रोकने में कोई भी गेंदबाज कामयाब नहीं हो पाया था। 2014 सीजन में उन्होंने 187.75 की स्ट्राइक.रेट से 552 रन ठोके थे। लेकिन इसके बावजूद वो अगले दो सीजन में बुरी तरह से फ्लॉप रहे थे। इससे एक बात ये भी जाहिर होती है कि मैक्सवेल को भारतीय सरजमीं पर रन बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। 2014 आईपीएल में यूएई में हुए शुरुआती 5 मैचों में मैक्सवेल ने 300 रन बनाए थे। जबकि इसके बाद भारत में हुए 11 मैचों में उन्होंने 22.90 की मामूली सी औसत से सिर्फ 252 रन बनाए। ये आंकड़े बताते हैं कि मैक्सवेल भारतीय पिचों में सफल नहीं हो पाए हैं। ऐसे में अब ये देखने वाली बात होगी कि मैक्सवेल को कप्तान बनाने का किंग्स का ये फैसला कितना सही साबित होता है।

Edited by Staff Editor
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