भारतीय क्रिकेट में इस सदी के दो महानतम क्रिकेटर्स का योगदान हमेशा याद किया जाता रहेगा; सौरव गांगुली और महेन्द्र सिंह धोनी। दो ऐसे भारतीय कप्तान, जिनके योगदान को भारत ही नहीं, विश्व क्रिकेट में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। वैसे तो दोनों की अपनी-अपनी उपलब्धियां हैं, लेकिन महेन्द्र सिंह धोनी के प्रशंसक उन्हें बेहतर मानते हैं। आइए एक नजर डालते हैं धोनी की ऐसी ही 5 उपलब्धियों पर, जिनके आधार पर उन्हें बेहतर माना जाता है।
#1 आईपीएल में सफलता का प्रतिशत
आईपीएल में सौरव गांगुली को दो टीमों की कप्तानी करने का मौक़ा मिला, लेकिन दोनों ही बार वह टीम को आईपीएल का खिताब दिलाने में नाकाम रहे। भारतीय टीम के सफलतम कप्तानों में शुमार गांगुली फ़टाफ़ट क्रिकेट के इस फ़ॉर्मेट में सफल नहीं रहे। दूसरी ओर महेन्द्र सिंह धोनी के नेतृत्व में चेन्नई सुपरकिंग्स, दो बार इस मुक़ाबले में ख़िताब पर कब्ज़ा जमाने में कामयाब रही।
#2 न्यूज़ीलैंड और वेस्टइंडीज़ में टेस्ट सीरीज़ जीत
भारत की ओर से टेस्ट कप्तान के तौर पर महेन्द्र सिंह धोनी को 2011 और 2012 में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में मिली जीत के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा, लेकिन इससे भी ज़्यादा धोनी की कप्तानी की प्रशंसा इस बात के लिए होती है कि उनके ही नेतृत्व में भारतीय टीम ने 42 साल में पहली बार साल 2009 में न्यूजीलैंड के ख़िलाफ़ टेस्ट सीरीज़ में जीत हासिल की थी। इसके दो साल बाद ही भारतीय टीम ने यही कारनामा वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ भी दोहराकर दिखाया।
#3 ऑस्ट्रेलिया का उसके ही घर में सफ़ाया
जुलाई 2011 से दिसंबर 2014 तक का दौर, भारतीय टीम के लिए काफ़ी उतार-चढ़ाव भरा रहा। स्थिति यह हो गई कि 2013 के आख़िर में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ खेली गई श्रृंखला, धोनी और उनकी टीम के लिए परीक्षा बनकर आई। भारतीय टीम ने इस सीरीज़ में अभूतपूर्व प्रदर्शन किया। स्पिनर्स की घातक गेंदबाज़ी के परिणामस्वरूप भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 4-0 से हराकर टीम पर लोगों का भरोसा वापस लौटाया। वैसे भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 2001 में खेली गई घरेलू सीरीज़ को भी भारत का बेहतर प्रदर्शन माना जाता है, जिसमें गांगुली ने वीवीएस लक्ष्मण को तीसरे नंबर पर उतारा था। लक्ष्मण ने इस सीरीज़ के दौरान अपने खेल से मैच और सीरीज़ का रुख़ बदल दिया था। हालांकि यह जीत घरेलू थी, जबकि धोनी की अगुआई में टीम इंडिया, ऑस्ट्रेलिया की ही धरती पर उसे हराकर आई थी।
#4 टेस्ट क्रिकेट में टीम इंडिया को नंबर 1 के मुक़ाम तक पहुंचाना
2008 में रिटायरमेंट के दौरान अनिल कुंबले ने भारतीय टीम को टेस्ट क्रिकेट में नंबर 1 पर देखने की इच्छा ज़ाहिर की थी। अगले ही साल 2009 के अंत तक धोनी ने इस सपने को सच कर दिखाया। एक घरेलू सीरीज़ में धोनी और उनकी टीम ने श्रीलंका को 2-0 से हराकर टेस्ट रैंकिंग में पहली बार शीर्ष स्थान हासिल किया था। गांगुली की कप्तानी में भी टीम ने 2000 और 2005 के बीच कुछ मुक़ाबलों में शानदार प्रदर्शन किया था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया से पार पाने में वह हर बार विफल रहे। हालांकि, यह बात तारीफ़ के काबिल है कि इस दौरान लगभग हर श्रृंखला में भारतीय टीम का प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया के निकटतम ही रहा।
#5 28 साल बाद भारत को वनडे वर्ल्ड चैंपियन बनाना
2 अप्रैल 2011 का दिन भारतीय क्रिकेट, महेन्द्र सिंह धोनी और हर भारतीय क्रिकेट फ़ैन के लिए यादगार हो गया, जब दर्शकों से खचाखच भरे वानखेड़े स्टेडियम में महेन्द्र सिंह धोनी के शानदार छक्के के साथ 28 साल लम्बा इंतज़ार ख़त्म हुआ। भारत ने दूसरी बार विश्वकप जीत लिया था और महेन्द्र सिंह धोनी ने अपनी कप्तानी के दौर को एक और तमगे से सजा दिया। हालांकि, इसके ठीक आठ साल पहले सौरव गांगुली के पास भी यह मौक़ा आया था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के विशाल लक्ष्य के ख़िलाफ़ भारतीय टीम सिर्फ़ 125 रनों पर ही ढेर हो गई थी और भारत विश्व-विजेता बनने से एक कदम से चूक गया था। लेखकः शंकर नारायण अनुवादकः देवान्श अवस्थी