- एक परिपक्व और उच्च स्तरीय खिलाड़ी के रुप में छवि बनाना
इस 35 वर्षीय खिलाड़ी की जो बात सबसे जुदा करती है, वो है उनका दबाव हैंडल करते वक्त चेहरे पर एक भी शिकन न पड़ने देना, जो कि किसी और खिलाड़ी या कप्तान में देखने को नहीं मिलती। दर्शकों को इंतजार था कि इस फिल्म के माध्यम से उन्हें पता चल पाएगा कि आखिर मैदान पर इतने तनाव और दबाव में आने के बावजूद वो बिल्कुल शांत और सहज कैसे रहते हैं। एक लंबे बालों वाले आक्रामक खिलाड़ी से एक परिपक्व और उच्च स्तरीय खिलाड़ी बनने में धोनी के अंदर आए इस परिवर्तन को लेकर काफी सवाल थे। साथ ही, धोनी ने कैसे टीम इंडिया की कप्तानी की कमान को संभाला इस बात पर ज्याद जोर नहीं दिया गया। शायद इसलिए, क्योंकि फिल्म मेकर्स धोनी की पर्सनल लाइफ के बारे में ज्यादा बताना चाहते थे। हो सकता है मेकर्स इन सवालों का जवाब देने के लिए बायोपिक का दूसरा पार्ट बनाने के बारे में सोच रहे हों।