2015 विश्वकप से अब तक भारतीय टीम की मजबूती के 5 पहलू

2015 विश्व कप में भारत ने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था। इंग्लैंड में होने वाले अगले विश्व कप को अब 2 साल से भी कम वक्त बाकी है। भारत 2011 में विश्व विजेता के खिताब को फिर से हासिल करने के मजबूत इरादों से उतरेगा। आइए जानते हैं कि पिछले विश्व कप से अब तक, भारत के खाते में जुड़े कौन से 5 अहम हथियारः

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#5 इंडिया A और अंडर-19 टीमों के लिए शानदार कोच 2015 विश्व कप के बाद बीसीसीआई ने सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गजों को क्रिकेट सलाहकार समिति का सदस्य बनाने का फैसला लिया ताकि भारतीय क्रिकेट में कुछ प्रभावी सुधार किए जा सकें।

सलाहकारों ने अपने भावी क्रिकेटरों को 'दीवार' का सहारा देने का फैसला किया और राहुल द्रविड़ को इंडिया 'A'और अंडर-19 टीम का कोच नियुक्त किया।

द्रविड़ को कमाल संभाले 2 साल का वक्त हो चुका है और परिणाम बहुत ही सकारात्मक रहे हैं। अंडर-19 टीम ने ढाका वर्ल्ड कप (2016) में फाइनल तक का सफर तय किया। इतना ही नहीं टीम पिछले साल हुए एशिया कप को भी अपने नाम कर चुकी है।

इंडिया 'A'ने टेस्ट और वनडे दोनों ही प्रारूपों में घरेलू और विदेशी धरती, दोनों ही जगहों पर कमाल का खेल दिखाया। गौरतलब है कि द्रविड़ के मार्गदर्शन में जूनियर खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए अच्छी तालीम पा रहे हैं और सकारात्मक परिणाम सबके सामने हैं।#4 चाइनामैन कुलदीप यादव

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लंबे वक्त तक भारतीय क्रिकेट को बेहतरीन स्पिनर्स देने के लिए जाना जाता रहा है। पिछले 2 सालों में भारत स्पिन बोलिंग के लिए मददगार पिचों पर काफी क्रिकेट खेल चुका है। भारत के स्टार स्पिनरों में नया नाम जुड़ा चाइनामैन कुलदीप यादव का।

उत्तर प्रदेश से आए इस स्पिनर ने कम समय में ही अपनी अलग छाप छोड़ी है। 2019 विश्व कप को ध्यान में रखते हुए कोहली उम्मीद करेंगे कि कुलदीप फिट रहें और आगामी टूर्नामेंट में भारत के लिए कारगर साबित हों।#3 धोनी का विकल्प बने साहा

3 2014 में धोनी के टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी, टेस्ट के लिए एक अच्छे विकेटकीपर की तलाश। एक ऐसा विकेटकीपर जो विकेट के पीछे बिजली की रफ्तार से प्रतिक्रिया दे सके। ठीक वैसे ही जैसे कि धोनी।

साहा ने टीम की इस जरूरत को पूरा किया। साहा ने विकेटों के पीछे कमाल की फुर्ती दिखाई है। हालांकि, उम्र का कारक साहा के प्रदर्शन को आशंकित करता है, लेकिन पिछले 2 सालों के उनके खेल को देखते हुए इस आशंका का सच होना संभव नहीं लगता।#2 पांड्या ने खत्म की तेज गेंदबाज-ऑलराउंडर की तलाश

22 टेस्ट कप्तानी के दौरान धोनी के सामने सबसे बड़ा चुनौती थी, रेग्युलर बोलर्स के अलावा एक अतिरिक्त तेज गेंदबाजी की। पांड्या ने इस कमी को पूरा किया।

कोहली की कप्तानी में भारत को कुछ विकल्प जरूर मिले। जैसे कि स्टुअर्ट बिन्नी। बिन्नी जब तक खुद को साबित करते, पांड्या ने अपनी अलग ही जगह बना ली। पिछले कुछ सालों में पांड्या ने हर जरूरी मौके पर अपनी क्षमता से फैन्स को रोमांचित किया है।

एक साल तक अंतरराष्ट्रीय वनडे खेलने के बाद पांड्या को कुछ महीनों पहले ही श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में मौका दिया गया। पांड्या ने अपने खाते में कुछ विकेट भी जोड़े और साथ ही, पहला टेस्ट शतक भी लगाया। आने वाले समय में टीम के पास कई चुनौतियां होंगी और ऐसे में टीम प्रबंधन चाहेगा कि पांड्या पूरी तरह से फिट रहें।#1 बुमराह ने खत्म किया आखिरी ओवरों का तनाव

1 लंबे वक्त से टीम प्रभावी डेथ बोलर की कमी से जूझ रही थी। बुमराह के आने से इस समस्या का अच्छा समाधान मिला। बुमराह आखिरी ओवरों में रन रोकने और विकेट चटकाने, दोनों ही में सक्षम हैं। जसप्रीत बुमराह का बोलिंग ऐक्शन अनोखा है, जो पारी के अंतिम क्षणों में बल्लेबाजों को काफी छकाता है।

लेखकः शंकर नारायण, अनुवादकः देवान्श अवस्थी

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