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टेस्ट कप्तानी के दौरान धोनी के सामने सबसे बड़ा चुनौती थी, रेग्युलर बोलर्स के अलावा एक अतिरिक्त तेज गेंदबाजी की। पांड्या ने इस कमी को पूरा किया।
कोहली की कप्तानी में भारत को कुछ विकल्प जरूर मिले। जैसे कि स्टुअर्ट बिन्नी। बिन्नी जब तक खुद को साबित करते, पांड्या ने अपनी अलग ही जगह बना ली। पिछले कुछ सालों में पांड्या ने हर जरूरी मौके पर अपनी क्षमता से फैन्स को रोमांचित किया है।
एक साल तक अंतरराष्ट्रीय वनडे खेलने के बाद पांड्या को कुछ महीनों पहले ही श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में मौका दिया गया। पांड्या ने अपने खाते में कुछ विकेट भी जोड़े और साथ ही, पहला टेस्ट शतक भी लगाया। आने वाले समय में टीम के पास कई चुनौतियां होंगी और ऐसे में टीम प्रबंधन चाहेगा कि पांड्या पूरी तरह से फिट रहें।
Edited by Staff Editor