5 चीजें जो टेस्ट में बतौर कप्तान विराट कोहली ने धोनी से अच्छा किया है

30 दिसम्बर 2014 में भारतीय क्रिकेट नए युग प्रवेश कर गया था, जब धोनी ने टेस्ट से संन्यास ले लिया। जिसके बाद विराट कोहली को भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया। कोहली धोनी के बिलकुल उलट आक्रामक कप्तान हैं। जो भारतीय क्रिकेट इतिहास में कम ही हुए हैं। दिल्ली के इस युवा क्रिकेटर की कप्तानी में भारत ने दो टेस्ट सीरीज बाहर और दो सीरीज घर में जीती है। श्रीलंका और वेस्टइंडीज को टीम इंडिया ने उनके घर में हराया था। आज हम आपको 5 ऐसी चीजें बताने जा रहे हैं, जो टेस्ट टीम के बतौर कप्तान विराट ने धोनी के मुकाबले अच्छा किया है: चीजों के घटने के इंतजार के बजाय घटित करने की कोशिश धोनी की कप्तानी की आलोचना का मुख्य कारण यही माना जाता रहा है, जब वह टेस्ट मैचों में चीजों के घटने का इंतजार करते थे, या यूँ कहें वह समय लेते थे। खासकर विदेशी मैदानों पर जिसकी वजह से विपक्षी टीम को खुद को मजबूत करने का मौका मिल जाता था। जिसकी वजह से भारत का नुकसान होता था। लेकिन विराट कोहली ने यही हटकर कप्तानी करते हुए बल्लेबाजों को गलतियां करवाने पर मजबूर करते हैं। जिससे समय की बचत और टीम को सकारात्मक दिशा मिलती है। विराट की फील्ड सेटिंग आक्रामक रहती है, उनका ये नेतृत्व करने का तरीका इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और न्यूज़ीलैंड की परिस्थितियों के अनुकूल है। जहाँ अभी तक उनकी कप्तानी में टीम इंडिया नहीं खेली है। तेज गेंदबाजों का बेहतर इस्तेमाल कप्तान कोहली अपने तेज गेंदबाजों का बेहतर इस्तेमाल करते हैं। उनकी सफलता में अबतक शमी, भुवी, इशांत और उमेश का प्रभावी प्रदर्शन भी रहा है। वहीं धोनी तेज गेंदबाजों पर उतना भरोसा नहीं करते थे, जिसकी वजह से कई मौकों पर टीम इंडिया को नुकसान हुआ। लॉर्ड्स टेस्ट 2014 में उन्होंने अपने तेज गेंदबाजों का बेहतर इस्तेमाल नहीं किया था। वहीं कोहली की कप्तानी में इशांत शर्मा पूरी तरह से बदल गये हैं। उन्होंने पिछले साल श्रीलंका में प्रभावी गेंदबाज़ी की थी। खुद को उदाहरण के तौर पर पेश करना कोहली इस वक्त भारत के सीमित ओवर के बेहतरीन बल्लेबाज़ हैं। साथ ही वह टेस्ट में भी बेहतरीन प्रदर्शन करते आये हैं। जिसका असर टीम पर भी पड़ता है। बतौर कप्तान कोहली ने अपनी तीन पारियों में शतक बनाया था। हाल ही में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ उन्होंने अपना दूसरा दोहरा शतक भी बनाया। बतौर कप्तान 17 टेस्ट में कोहली ने 53.92 के औसत से 1456 रन बनाये हैं। जबकि उनका ओवरआल औसत 45.56 है। वहीं एमएस धोनी टेस्ट में निचले क्रम में खेलने आते थे। जिसकी वजह से वह बड़ी पारियां नहीं खेल पाते थे। जिसकी वजह से टीम में वह उदाहरण नहीं पेश कर पाते थे।

विदेशों में 5 गेंदबाज खिलने की रणनीति kohli-5-bowlers-1476674070-800 कोहली की कप्तानी में भारतीय टेस्ट टीम में गेंदबाजों की महत्ता बढ़ी है। वह विदेश में 5 गेंदबाजों को खिलाते हैं। श्रीलंका और वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने ऐसा किया था। उन्हें इसका फायदा भी मिला है। टीम को 7 मैचों से 4 में जीत हासिल हुई है। वहीं धोनी हमेशा से पार्टटाइम गेंदबाजों से 5वें गेंदबाज़ का कोटा भरते थे। धोनी की ये रणनीति तब कामयाब हुई थी। जब भारत के पास मजबूत गेंदबाज़ी आक्रमण था। लेकिन जब सीनियर गेंदबाजों ने संन्यास लिया तो धोनी की ये चाल बेकार साबित हुई। खासकर विदेशी धरती पर धोनी की असफलता का ये मुख्य कारण था। वहीं अब भविष्य में विराट की कप्तानी से विदेशों में भी सफलता मिलने के असार हैं। जीत की आदत विराट ने जब से कप्तानी संभाली है, तब से भारतीय टीम के जज्बे में नतीजतन काफी बदलाव आया है। टीम हर मैच में विजय हासिल करना चाहती है। जो कोहली की एक खास पहचान है। ऑस्ट्रेलिया में चार मैचों की सीरीज के पहले मैच एडिलेड टेस्ट में टीम की कप्तानी विराट कोहली कर रहे थे। भारत को अंतिम दिन 364 रन चाहिए थे। सच्चाई को समझते हुए अन्य कप्तान मैच में ड्रा के लिए जाते। लेकिन कोहली ने मैच में जीत दर्ज करने की कोशिश की। भारत ये मैच 48 रन से हार गया था। लेकिन कोहली ने इस मैच में 141 रन की पारी खेल कर अपनी सोच की झलक दिखा दी थी। भारत ने कोहली की कप्तानी में 17 में से 10 टेस्ट जीते हैं। जिसकी वजह सिर्फ और सिर्फ कोहली की कप्तानी में हर मैच जीतने की ललक टीम में जगी है।

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