रोहित शर्मा भले ही टीम इंडिया के लिए लगातार खेल रहे हों, लेकिन अभी वह सभी लोगों को संतुष्ट नहीं कर पाए हैं। वहीं उन्होंने अपनी कप्तानी में मुंबई इंडियंस के लिए शीर्ष क्रम में लगातार रन बनाया है और आईपीएल का ख़िताब दिलाया है। बीते सालों में रोहित की काफी तारीफ़ हुई है। हालाँकि रोहित शर्मा के इन बातों के आलावा ऐसी कई बातें जिनके बारे में सबको नहीं पता हैं। लोगों को ये नहीं पता है कि उन्होंने आईपीएल में हैट्रिक बनाई है। यहाँ रोहित शर्मा और उनके करियर से जुड़े ऐसी ही कई बाते हैं, जो शायद आपको नहीं पता होंगी:
टेस्ट में पदार्पण करने के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ा
साल 2010 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ रोहित शर्मा टेस्ट कैप पर नजर गड़ाए थे, क्योंकि राहुल द्रविड़ और युवराज सिंह चोट की वजह से टीम से बाहर थे। साथ ही नागपुर में होने वाले पहले टेस्ट में वीवीएस लक्ष्मण भी नहीं खेल पाए थे। इस मैच में रोहित को डेब्यू करने का मौका मिला। जो उन्हें वनडे और टी-20 से तीन साल बाद मिला था। हालाँकि नागपुर टेस्ट मैच के पहले दिन वह वार्मअप के दौरान खुद को चोटिल करा बैठे। उन्हें लक्ष्मण के कवर के तौर पर रोका गया था। वह बोर्ड प्रेसिडेंट के कप्तान थे। उनके चोटिल होने से भारतीय टीम को वृद्धिमान साहा को बतौर विशेज्ञ बल्लेबाज़ टीम में मौका दिया गया। उसके बाद वह दो बार काफी करीब आये। पहली बार नवम्बर 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच में वह टीम के हिस्सा थे। उसके बाद साल 2011/12 में ऑस्ट्रेलिया के साथ चार टेस्ट मैचों की सीरीज में वह टीम का हिस्सा थे। लेकिन दोनों बार वह अंतिम 11 में जगह नहीं बना पाए। अंत में नवम्बर साल 2013 में उन्होंने अपना पहला टेस्ट मैच खेला। उन्होंने जब अपना डेब्यू किया तो वह धमाकेदार था, ईडन गार्डन में उन्होंने 177 रन की पारी खेली। जिसकी मदद से वेस्टइंडीज को भारत ने 3-0 से हराया था। हालाँकि इस बेहतरीन शतकीय प्रहार से उन्होंने अपना डेब्यू तो किया लेकिन उसके बाद उन्होंने दो साल में मिलाकर 15 से ज्यादा ही ओवर खेले होंगे। जिससे ये लग रहा था कि उन्हें कुछ बदलना चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तीनों प्रारूपों में उनका डेब्यू धमाकेदार रहा
रोहित शर्मा भारतीय वनडे टीम के अभिन्न सदस्य हैं। इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है। उन्होंने आयरलैंड के खिलाफ 2007 में अपना पहला वनडे मैच खेला था। उसके तीन महीने बाद उन्होंने टी-20 वर्ल्डकप में इंग्लैंड के खिलाफ अपने टी-20 डेब्यू किया। हालाँकि उसके 6 साल बाद उन्होंने अपना टेस्ट डेब्यू वेस्टइंडीज के खिलाफ किया। यद्यपि ये रोहित अंतिम फॉर्मेट था जिसमें उन्होंने यादगार डेब्यू करते हुए 177 रन बनाये थे। उन्होंने आर अश्विन के साथ मिलकर भारत को मजबूत स्थिति में पहुँचाया था। जिससे भारत ने इस मैच को एक पारी और 51 रन से जीता था। वनडे और टी-20 डेब्यू में रोहित को दोनों जगह बल्लेबाज़ी करने का मौका नहीं मिला था। उनके टी-20 डेब्यू से ज्यादा इस मैच को युवराज सिंह के छह छक्के लगाने के लिए याद किया जाता है। जहाँ उन्होंने सबसे तेज अर्धशतक बनाया था।
प्रथम श्रेणी मैच खेले बगैर ही उन्हें चैंपियंस ट्राफी के संभावितों में शामिल किया गया
रोहित शर्मा इस वक्त भारत के सीमित ओवरों की टीम के नियमित सदस्य हैं। लेकिन उनका स्थान टेस्ट टीम में इस तरह से नहीं पक्का है। शायद इसके पीछे की वजह उनके छोटे प्रारूप में अच्छी ट्यूनिंग हो। जो उन्हें ज्यादा सूट करता है। लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि उन्होंने पहले सीमित ओवर में ही खेलना शुरू किया था। अगर उनके रिकार्ड्स पर एक नजर डालें तो उन्हें भारत के चैंपियंस ट्राफी के संभावित 30 सदस्यों में शामिल किया गया था। साल 2006 में उन्होंने एक भी प्रथम श्रेणी मैच नहीं खेला था। रोहित ने अपना पहला लिस्ट ए मैच देवधर ट्राफी में वेस्ट ज़ोन की तरफ से खेला था, जहाँ उन्होंने कमाल का प्रदर्शन किया। उसके बाद भारत ए की तरफ अबुधाबी में और ऑस्ट्रेलिया जाने वाले संभावितों में उन्हें शामिल किया गया। लेकिन अंतिम मौका नहीं मिल पाया था। इसके बाद तकरीबन 5 महीने बाद उन्होंने अपना पहला लिस्ट ए मैच खेला था। जहाँ उनका औसत 54 है जिससे ये साबित हुआ की वह बड़े फॉर्मेट में लम्बे समय तक खेल सकते हैं। ऐसे में फैन्स को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में 12 महीने में टीम को कई टेस्ट मैच खेलने हैं।
सभी डेब्यू मैचों में मिली जीत(घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय)
रोहित शर्मा ने प्रथम श्रेणी, लिस्ट ए और टी-20 डेब्यू के सभी प्रारूपों में सकारात्मक शुरुआत की है, वह जिस भी साइड से खेले हैं उनकी टीम को जीत हासिल हुई है। साल 2006 में वेस्टज़ोन की तरफ से खेलते हुए वह नम्बर आठ पर बल्लेबाज़ी करने आये और उन्होंने 31 रन की पारी खेली थी। ग्वालियर में खेले गये इस मैच में उनकी टीम को जीत के लिए 181 रन बनाने थे। उन्होंने इसके बाद भारत ए की तरफ से खेलते हुए न्यूज़ीलैंड के खिलाफ अर्धशतक बनाया था और उनकी टीम ने मुकाबला 3 विकेट से जीत लिया था। साल 2007 में मुंबई की तरफ से खेलते हुए 40 रन बनाये और उनकी टीम ने बड़ौदा को 8 विकेट से रौंद दिया था। वेस्ट ज़ोन और भारत ए की तरफ से खेलते हुए उनके प्रदर्शन को नोटिस किया गया। साल 2007 में उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें आयरलैंड के खिलाफ अपना डेब्यू किया। जहाँ भारत ने आयरलैंड को 9 विकेट से हरा दिया। वर्षा-बाधित इस मैच में गांगुली और गंभीर ने अर्धशतक जमाया था। भारत के लिए उन्होंने जब टी-20 डेब्यू किया तो टीम ने इंग्लैंड को 18 रनों से हरा दिया था। रोहित ने अपने टेस्ट डेब्यू में जोरदार बल्लेबाज़ी की थी उन्होंने आर आश्विन के साथ एक बेहतरीन साझेदारी की थी। जिसकी वजह से टीम इंडिया ने वेस्टइंडीज को के सामने 453 रन का स्कोर बनाया था। जवाब वेस्टइंडीज ने मात्र 234 रन बनाये थे और शमी ने इस मैच में 9 विकेट लिए थे। टीम ने इस मैच को एक पारी से जीता था।
रणजी ट्राफी के फाइनल में दोनों पारियों में शतक
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट भले ही घरेलू क्रिकेट से बहुत अलग हो लेकिन आधुनिक युग में घरेलू क्रिकेट में ही खिलाड़ी खुद को उस स्तर का बनाते हैं। भारत में रणजी ट्राफी घरेलू क्रिकेट की लाइफलाइन है। हालाँकि रोहित शर्मा ने इसे ज्यादा नहीं खेला है। लेकिन उनके नाम यहाँ एक अच्छा रिकॉर्ड दर्ज है। जो अन्य पांच खिलाड़ियों के नाम ही दर्ज है। साल 2008/9 में उत्तर प्रदेश के खिलाफ रणजी फाइनल में रोहित ने दोनों पारियों में शतक जड़ा था। वह ऐसा करने वाले छठे खिलाड़ी थे। जिनमे तीन आगे चलकर दिग्गज खिलाड़ी बने। ये रिकॉर्ड सचिन के नाम भी दर्ज है। इसके अलावा मुश्ताक अली और विजय हजारे ने भी ये कारनामा किया था। होलकर की तरफ से खेलते हुए पहली बार ये रिकॉर्ड मुश्ताक अली ने बॉम्बे के खिलाफ 1944/45 में बनाया था। जहाँ उनकी टीम 374 रनों से हार गयी थी। 6 साल बाद हजारे ने इसे दोहराया था। राजस्थान के लिए हनुमंत सिंह ने और दिल्ली के लिए सुरिंदर खन्ना ने ये रिकॉर्ड बनाया था। साल 1994/95 में सचिन ने ये रिकॉर्ड भी अपने नाम किया था। लेखक-श्रीहरी, अनुवादक-मनोज तिवारी