5 बांग्लादेशी खिलाड़ी जो भारत के खिलाफ मैच के हीरो रहे हैं

एक समय ऐसा भी था जब बांग्लादेशी क्रिकेट टीम को कोई सीरियसली नहीं लेता था। कभी-कभार बांग्लादेशी टीम कोई मैच जीत लेती थी लेकिन उससे विरोधी टीमों पर कोई फर्क नहीं पड़ता था। वे उन्हे मजबूत प्रतिद्वंदी के तौर पर नहीं देखते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है, समय बीतने के साथ ही बांग्लादेश की टीम में काफी बदलाव आ गए हैं। टीम अब पहले से काफी मजबूत हो गई है। हाल ही में चैंपियंस ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन करके बांग्लादेश ने दिखा दिया कि कोई उन्हे हल्के में लेने की भूल ना करे। अब वे दिन चले गए जब वे नंबर पूरा करने के लिए किसी टूर्नामेंट में खेला करते थे। बांग्लादेश की टीम ने भारत के खिलाफ भी बेहतरीन प्रदर्शन किया है। अब जब भी बांग्लादेश और भारत का मुकाबला होता है तो माहौल बिल्कुल भारत-पाकिस्तान मैच जैसा हो जाता है। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो बांग्लादेश ने कई बार भारतीय टीम का विजय रथ रोका है। जब भी बांग्लादेशी टीम ने भारत के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया तब इन 5 बांग्लादेशी प्लेयरों ने बेहतरीन खेल दिखाया। 5. अपने डेब्यू पर तस्कीन अहमद का शानदार प्रदर्शन भारतीय फैंस को ये मैच जरुर याद होगा। तस्कीन अहमद के डेब्यू के लिए नहीं बल्कि स्टुअर्ट बिन्नी की बेहतरीन गेंदबाजी के लिए। स्टुअर्ट बिन्नी की घातक गेंदबाजी ने भारतीय टीम की निश्चित हार को टाल दिया। बिन्नी ने अपनी गेंदबाजी के दम पर बांग्लादेश के जबड़े से मैच छीन लिया। तस्कीन अहमद ने 2013 के बांग्लादेश प्रीमियर लीग में 4 मैचो में 8 विकेट चटकाकर काफी सुर्खियाम बटोरी। इस शानदार प्रदर्शन की बदौलत भारत के खिलाफ 2014 की सीरीज में उन्हे डेब्यू का मौका मिला। अपने डेब्यू मैच मे ही उन्होंने मजबूत भारतीय बल्लेबाजी को बिखेर कर रख दिया। तस्कीन ने उस मैच में 8 ओवरो में 28 रन देकर भारत के 5 बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखाई। इसका नतीजा ये हुआ कि भारतीय टीम महज 105 रनों पर ऑल आउट हो गई। लेकिन तस्कीन की ये मेहनत बेकार चली गई। भारतीय टीम की तरफ से स्टुअर्ट बिन्नी ने 4.4 ओवरो में 6 रन देकर 6 विकेट चटकाए। उन्होंने बांग्लादेश की बल्लेबाजी को तहस-नहस कर दिया। नतीजा ये हुआ कि पूरी बांग्लादेश की टीम महज 58 रनों पर सिमट गई। 4. अपने डेब्यू पर मुस्तफिजुर रहमान का शानदार प्रदर्शन mustafizur-rahman-of-bangladesh-bowls-during-the-icc-champions-trophy-picture-id692623546-800 (1) ऐसा लगता सभी बांग्लादेशी तेज गेंदबाज भारत के खिलाफ डेब्यू करना काफी पसंद करते हैं। जी हां तस्कीन अहमद की ही तरह मुस्तफिजुर रहमान ने भी अपने डेब्यू मैच में भारतीय बल्लेबाजी क्रम को झकझोर कर रख दिया था। मुस्तफिजुर ने जिस मैच से डेब्यू किया उस मैच में भारतीय टीम की कप्तानी रोहित शर्मा कर रहे थे और भारतीय बैटिंग लाइन काफी बेहतरीन थी। लेकिन इससे मुस्तफिजुर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और उन्होंने इंडियन बैटिंग लाइन अप को ताश के पत्तों की तरह बिखेर दिया। 308 रनों के विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम को रोहित शर्मा और शिखर धवन की जोड़ी ने शानदार शुरुआत दिलाई। दोनों ने पहले विकेट के लिए 95 रन जोड़े। तस्कीन अहमद ने शिखर धवन को आउट कर इस साझेदारी को तोड़ा। इसके बाद मुस्तफिजुर ने अपनी गेंदो से कहर ढाना शुरु कर दिया। उन्होंने भारतीय टीम के प्रमुख बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखाई। रोहित शर्मा, अंजिक्या रहाणे, सुरेश रैना, रविंद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्चिन को उन्होंने आउट किया। उनकी स्लोअर वन गेंदों को कोई भी भारतीय बल्लेबाज पढ़ नहीं पाया। मुस्तफिजुर ने 9.2 ओवरो में 50 रन देकर 5 विकेट चटकाए और बांग्लादेश को 79 रनों से जीत दिलाई। इस तरह से बांग्लादेश ने सीरीज में 1-0 से लीड ले ली। बांग्लादेश के लिए ये काफी अच्छा मैच रहा और वे वहां से सीरीज जीतने के बारे में सोच सकते थे लेकिन आगे जो हुआ वो सबके सामने है। 3. दूसरे मैच में मुस्तफिजुर ने पहले मैच से भी बढ़िया गेंदबाजी की mutfijur डेब्यू मैच की ही तरह दूसरे मैच में भी भारत के खिलाफ मुस्तफिजुर ने बेहतरीन गेंदबाजी की। भारतीय फैंस ने सोचा होगा कि केवल एक मैच के लिए मुस्तफिजुर तूफान आया। लेकिन ऐसा हुआ नही। दूसरे मैच में मुस्तफिजुर ने पहले मैच से भी खतरनाक गेंदबाजी की। जिस तरह से वो गेंदबाजी कर रहे थे उसे देखकर ये नहीं लग रहा था कि वो अपने करियर का महज दूसरा मैच खेल रहे हैं। उनकी स्लोवर वन गेंदें तो कमाल की थी हीं, लेकिन जिस जगह वो गेंद को पिच कर रहे थे वो भी कमाल की थी। मुस्तफिजुर ने रोहित शर्मा को जीरो पर आउट कर भारतीय खेमे में खलबली मचा दी। नतीजा ये हुआ की पूरी भारतीय टीम महज 200 रन ही बना सकी। मुस्तफिजुर ने अपने करियर का बेस्ट प्रदर्शन किया और 43 रन देकर 6 विकेट झटके। 2. 2012 के एशिया कप में मुशफिकुर रहीम का शानदार प्रदर्शन mushfiqur-rahim-of-bangladesh-reverse-sweeps-as-wicketkeeper-dhoni-picture-id696192990-800 2012 के एशिया कप से ही सही मायने में बांग्लादेशी क्रिकेट टीम वर्ल्ड क्रिकेट में उभरकर आना शुरु हुई। बांग्लादेश क्रिकेट इतिहास के लिए 2012 का एशिया कप टर्निंग प्वॉइंट साबित हुआ। एशिया कप में बांग्लादेश के खिलाफ मैच में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपना शतकों का शतक पूरा किया। उन्होंने अपना सौंवा शतक बांग्लादेश के खिलाफ जड़ा। लेकिन कहीं ना कहीं सचिन का ये शतक भारतीय टीम पर भारी पड़ गया। जिस तरह से सचिन ने अपना शतक जड़ा उससे भारतीय टीम टोटल स्कोर से 20 से 30 रन पीछे रह गई। हालांकि इन सबके बीच हमे तारीफ बांग्लादेशी कप्तान मुशफिकुर रहीम की करनी होगी जिन्होंने भारत के जबड़े से मैच छीन लिया। जब वो बल्लेबाजी के लिए क्रीज पर उतरे तब बांग्लादेश को लगभग 10 की औसत से 134 रनों की जरुरत थी। मुशफिकुर ने तेजी से रन गति को बढ़ाना शुरु किया और महज 25 गेंदो पर ही 46 रन बना डाले। दुनिया के बेहतरीन ऑलराउंडरों में से एक शाकिब-अल-हसन ने उनका साथ बखूबी निभाया और 31 गेंदों पर ताबड़तोड़ 49 रन बनाए। इन 2 बेहतरीन पारियों की बदौलत बांग्लादेश ने भारत को दूसरी बार हरा दिया। 1.2007 के वर्ल्ड कप में मशरफे मुर्तजा का बेहतरीन प्रदर्शन mortaja बांग्लादेशी क्रिकेट फैन शायद इस मैच को भूल गए होंगे, लेकिन भारतीय फैंस कभी इस मैच को नही भूलेंगे। इस मैच में बांग्लादेश के खिलाफ हार से भारतीय टीम वर्ल्ड कप 2007 के लीग राउंड से ही बाहर हो गई थी। ऐसा लगा था कि ये वर्ल्ड कप जीतकर भारतीय टीम सचिन तेंदुलकर का सपना पूरी करेगी। लेकिन बांग्लादेशी प्लेयर मशरफे मुर्तजा ने ऐसा होने नहीं दिया। 2007 के वर्ल्ड कप में इस समय के बांग्लादेशी कप्तान मुर्तजा ने भारत के खिलाफ शानदार गेंदबाजी की थी। ऊपरी क्रम में वीरेंद्र सहवाग और रॉबिन उथप्पा के विकेट जल्दी निकालकर उन्होंने मोहम्मद रफीक और अब्दुर रज्जाक के लिए प्लेटफॉर्म सेट कर दिया था। इसके बाद स्लॉग ओवरो में भी उन्होंने टैलेंडरों को आउट कर भारतीय पारी को समेट दिया। मुर्तजा ने 9.3 ओवरो में 38 रन देकर 4 विकेट चटकाए। पूरी भारतीय टीम महज 191 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। जिसे बांग्लादेशी टीम ने तमीम इकबाल और शाकिब अल हसन की शानदार पारियों की बदौलत आसानी से हासिल कर लिया। लेकिन मुर्तजा उस मैच के हीरो रहे जिन्होंने भारतीय टीम को बड़ा स्कोर बनाने नहीं दिया। लेखक- उमीद कुमार दे अनुवादक-सावन गुप्ता