11वें नंबर के बल्लेबाज की 5 ऐसी पारियां जिसने अपनी टीम को तय हार से बचाया

सीमित ओवरों के क्रिकेट और टेस्ट क्रिकेट के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है कि जिस टेस्ट में जो टीम मैच जीत नहीं सकती है ये जरूरी नहीं होगा कि वो हार जाए। यहां तक कि आखिरी बल्लेबाज भी मैच को ड्रॉ करा सकता है। 11वें खिलाड़ी ने कई बार मैच को बचाया है। हालांकि टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में बहुत कम ही ऐसे मौके हुए हैं जब आखिरी विकेट ने कोई टेस्ट मैच बचाया हो। आइए नजर डालते हैं ऐसे ही 5 मैचों पर जब 11वें नंबर के खिलाड़ी ने धैर्य के साथ बल्लेबाजी करके अपनी टीम को हार के मुंह से बचाया। 5 जब ऑकलैंड में मोंटी पनेसर ने इंग्लैंड को हार से बचाया, 2013 ऑकलैंड में श्रृंखला के तीसरे टेस्ट में इंग्लैंड पर पूरी तरह से हावी रहने के बाद न्यूजीलैंड ने चौथी पारी में 481 रनों का मुश्किल लक्ष्य दिया। टेस्ट को बचाने के लिए इंग्लैंड का एकमात्र उद्देश्य 140 ओवर से अधिक समय तक टिके रहना था। न्यूज़ीलैण्ड ने इंग्लैंड का स्कोर 7 विकेट के नुकसान पर 237 रन कर दिया। लगा कि इंग्लैंड की टीम यहां से मैच हार जाएगी। यद्यपि विकेटकीपर बल्लेबाज मैट प्रायर और पुछल्ले बल्लेबाजों ने जमकर कीवी गेंदबाजों का सामना किया लेकिन स्टुअर्ट ब्रॉड और जेम्स एंडरसन का विकेट गिरने के बाद इंग्लैंड की हार लगभग तय थी। आखिरी बल्लेबाज के रुप में मोंटी पनेसर क्रीज पर आए। पारी के 3 ओवर शेष थे सभी को उम्मीद थी कि मोंटी पनेसर का विकेट जल्द ही न्यूजीलैंड को मिल जाएगा, लेकिन मैट प्रॉयर के साथ मिलकर पनेसर ने इंग्लैंड को झटका नहीं लगने दिया और ड्रॉ कर दिया। पनेसर मैच बचाने के लिए 5 गेंदों पर 2 रन बनाने के लिए 20 मिनट तक संघर्ष किया। न्यूजीलैंड की टीम ने विकेट निकालने के लिए पास-पास 9 खिलाड़ियों को लगा दिया। लेकिन पनेसर ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए मैच ड्रॉ करा दिया। 4 जब एलन कॉनॉली ने सोबेर्स और ग्रिफ़िथ बे की टीम को जीत से रोका, एडिलेड- 1969 64925-1507659297-800 कम ही बल्लेबाज होंगे जो कि गैरी सोबर्स, चार्ली ग्रिफ़िथ और लांस गिब्स की ऑफ स्पिन की तिकड़ी के सामने खड़े हो सकते थे। हालांकि, जब टेस्ट मैच की बचाने की बात हो तो यह एक पूरी तरह से अलग चुनौती होती है। एडिलेड में 5 मैचों की सीरीज के चौथे टेस्ट में वेस्टइंडीज ने शानदार प्रदर्शन कर अपनी दूसरी पारी में 616 रन बनाकर ऑस्ट्रेलिया को 360 का लक्ष्य दिया। बाद में सहज शुरुआत के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम के अचनाक एक के बाद एक विकेट गिर गए। इसके बाद मध्यम तेज गेंदबाज एलन कॉनॉली ने बल्लेबाज पॉल शीहान के साथ मिलकर अपनी टीम को हार से बचाया। वह 17 मिनट तक टिके रहे और 10 गेंदें खेली, जिनमें से एक को चौके के लिए भी मारा। अंत में ऑस्ट्रेलिया ने 339/9 पर पारी को खत्म किया और मैच ड्रॉ कराने में सफल हुआ। 3 जब फिडेल एडवर्ड्स ने इंग्लैंड को एक तय जीत से रोका, सेंट जॉन्स, 2009 12cdf-1507659385-800 वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के बीच सेंट जॉन्स में 5 मैचों की श्रृंखला के तीसरे टेस्ट में नंबर 11 के खिलाड़ी फिडेल एडवर्ड्स के दम पर मेहमानों की एक अविश्वसनीय वापसी हुई। इंग्लैंड शुरुआत से टेस्ट मैच पर हावी हो गया और आखिर में 503 रन बनाने के बाद वेस्टइंडीज को 353/9 पर करके सीरीज को 1-1 के स्कोर पर करता दिखा। पारी के 10 ओवर बाकी थे और इंग्लैंड को जीत के लिए महज 1 विकेट चाहिए थे। यहां से वेस्टइंडीज की हार तय लग रही थी लेकिन 11वें नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए आए फिदेल एडवर्ड्स ने डेरेन पॉवेल के साथ मिलकर अपनी टीम को हार से बचा लिया। एडवर्ड्स ने 5 रन बनाने के लिए 26 गेंदें खेली और इस दौरान एक चौका भी लगाया लेकिन उन्होंने अपना विकेट नहीं खोया। इसकी वजह से इंग्लैंड जिसकी जीत तय लग रही थी उसे ड्रा से संतोष करना पड़ा। इसी वजह से वेस्टइंडीज ने अंत में 1-0 से श्रृंखला अपने नाम की। 2 शेयॉन ओ'कॉनर ने न्यूजीलैंड को शर्मनाक हार से बचाया, होबार्ट 1997 b0461-1507659436-800 न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच, 1997 में होबार्ट में, बारिश से बाधित श्रृंखला का तीसरा टेस्ट ड्रॉ की तरफ बढ़ रहा था। अंतिम दिन न्यूजीलैंड को 61 ओवरों में 288 का लक्ष्य दिया गया था और अच्छी शुरूआत के बाद वह 222-9 पर पहुँच गये। अपने चिर प्रतिद्वंदी के खिलाफ न्यूजीलैंड की टीम हार के कगार पर खड़ी थी लेकिन नंबर 11 पर बल्लेबाजी करने आए श्यान ओकॉनर और नंबर 10 के बल्लेबाज साइमन डौल ने कीवियों की इस हार को टाल दिया। दोनों ही खिलाड़ियों ने डटकर कंगारु गेंदबाजों का सामना किया और कोई झटका नहीं लगने दिया। ओ'कोनर ने कोई रन नहीं बनाया लेकिन 31 गेंदों तक टिके रहे, जिससे यह सुनिश्चित हो सका कि न्यूजीलैंड अपने प्रतिद्वंद्वियों के घर पर शर्मनाक हार से बच गया। 1 मोंटी पनेसर ने एंडरसन के साथ ऑस्ट्रेलिया को जीत से रोका, कार्डिफ़, 2009 9dd4e-1507659492-800 एशेज सीरीज़ का पहला टेस्ट अक्सर एक दिशा तय करता है कि श्रृंखला किस ओर चलती है। इंग्लैंड में 2009 में हुई एशेज में कार्डिफ में ऑस्ट्रेलिया जीत के मुहाने पर खड़ी थी। ऑस्ट्रेलियाई टीम ने पहली पारी में 239 रनों की बढ़त ले ली थी और इंग्लैंड की टीम काफी पीछे नजर आ रही थी। खेल के अंतिम दिन 11 ओवर शेष रहते इंग्लैंड की टीम ने 233 रन पर अपने 9 विकेट गंवा दिए और उसे पारी की हार सामने नजर आने लगी थी। लेकिन यहीं से नंबर 11 पर बल्लेबाजी के लिए आए मोंटी पनेसर ने जेम्स एंडरसन के साथ मिलकर ऑस्ट्रेलिया को एक विकेट के लिए तरसा दिया। पनेसर ने एक-एक करके 35 गेंदों का सामना किया और हर एक खाली गेंद ऑस्ट्रेलिया को जीत दूर कर रहे थे। ये पारीआज भी आधुनिक क्रिकेट के इतिहास के सबसे बेहतरीन मैच बचाऊ पारियों के तौर पर देखी जाती है।

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