क्रिकेट की कमेंट्री करना कोई आसान काम नहीं है। एक कमेंटेटर दुनिया भर के क्रिकेटप्रेमियों को मैच की स्थिति के बारे स्पष्ट बातें बताने का काम करता है। जोकि काफी कठिन काम होता है साथ ही उसे दर्शकों का मनोरंजन भी करना होता है। जिससे वह मैच को लगातार देखता रहे। हालांकि कई बार ये क्रिकेट कमेंटेटर अपने मजाकिया लहजे और सीधी बात कहने से मुश्किलों में भी घिर जाते हैं। इसलिए वह बलि का बकरा भी बन जाते हैं। हाल ही कमेंटेटर हर्षा भोगले का आईपीएल में कमेंट्री करने का कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिया गया। साथ ही इसके पीछे की वजह क्या रही उन्हें ये नहीं बताया गया। मिल रहीं खबरों के मुताबिक हर्षा को टी-20 वर्ल्डकप 2016 के दौरान मैच अधिकारी के साथ किसी बात को लेकर हुई कहासुनी की वजह से हटाया गया है। लेकिन क्रिकेट के इतिहास में ऐसे कई मौके आये हैं, जब किसी कमेंटेटर की छुट्टी कर दी गयी है। आज हम आपको ऐसे ही 5 मौकों के बारे में बता रहे हैं:
#1 डीन जोंस
ऑस्ट्रेलिया का ये पूर्व बल्लेबाज़ टेन स्पोर्ट्स के लिए कमेंट्री कर रहा था। जहाँ श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका के बीच टेस्ट मैच चल रहा था। इस मैच में हाशिम अमला ने कुमार संगकारा का कैच पकड़ा और वह आउट हो गये। इस पर जोंस ने अमला को आतंकवादी कहा था। जिसकी वजह से टेन स्पोर्ट्स ने उन्हें हटा दिया था। डीन ने कहा, "आतंकवादी ने एक और कैच पकड़ लिया।" हालाँकि बाद में जोंस ने इसपर माफ़ी मांगते हुए कहा, "वास्तव में ऐसा कहना बहुत ही मूर्खतापूर्ण था, ऑन एयर ऐसा कहना पूरी तरह से अनुचित था मैं इस तरह की चीजों का कभी भी सपोर्टर नहीं रहा हूँ। मैं इस पर दुःख प्रकट करता हूँ साथ ही अपने बयान पर माफ़ी मांगता हूँ। मेरा मकसद किसी को अपमानित करने का नहीं था।" इस घटना के बाद जोंस को कमेंट्री तो छोड़नी पड़ी साथ ही उन्हें काफी विवादों का सामना करना पड़ा।
#2 फजीर मोहम्मद
वेस्टइंडीज के कमेंटेटर फजीर मोहम्मद को बैन कर दिया गया था, उन्होंने वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों का इंटरव्यू लिया था। जिसमें उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों के ट्रेनिंग पर सवाल उठाये थे। जिसके बाद उनकी काफी आलोचना हुई। फजीर मोहम्मद इस दौरे पर एक मात्र कैरेबियाई मीडिया पर्सन थे। जिन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों के ट्रेनिंग को लेकर कहा था कि उनमें तीव्रता और उद्देश्य की कमी है। उसके बाद उन्हें किसी भी खिलाड़ी का इंटरव्यू करने से मना कर दिया गया था। ये माना जा रहा था कि वेस्टइंडीज के कोच फिल सिमंस के कहने पर मोहम्मद पर बैन लगाया गया था।
#3 संजय मांजरेकर
भारत के पूर्व बल्लेबाज़ संजय मांजरेकर को उनकी कमेंट्री के लिए भी जाना जाता है। उनके बारे में माना जाता है कि वह बोलते वक्त अपने दिमाग और क्रिकेट की जानकारी का बेहतरीन इस्तेमाल करते हैं। हालाँकि जब उन्हें साल 2013 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हो रहे द्विपक्षीय सीरीज के दौरान कमेंट्री पैनल से हटा दिया गया, तो उन्होंने अपनी भड़ास सोशल मीडिया के जरिये निकाली थी। बाद में इसे एक गलती बताया गया लेकिन स्टार स्पोर्ट्स ने इस पर कोई भी कमेंट करने से मना कर दिया था। इससे पहले मांजरेकर फैन्स के निशाने पर भी रहे जब उन्होंने भारतीय मास्टर बल्लेबाज़ सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाज़ी पर सवाल उठाया था। सचिन उस वक्त शीर्ष क्रम में लगातार असफल हो रहे थे। तो मांजरेकर ने उन्हें नीचे आने को कहा था। वास्तव में मांजरेकर अपने सपाट बातों की वजह से अक्सर विवादों में रहे हैं।
#4 मार्क निकोलस
साल 2005 में जाने-माने कमेंटेटर मार्क निकोलस को चैनल नाइन ने ऑस्ट्रेलियन समर से बाहर कर दिया था। चैनल नाइन ने तब ये निर्णय लिया जब मार्क निकोलस पूरी तरह से वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका के कमेंट्री को तैयार थे। साथ त्रिकोणीय सीरीज के लिए भी वह तैयार थे। चैनल नाइन के एग्जीक्यूटिव प्रोडूसर जो क्रिकेट कवरेज देखते हैं, ग्रेम कूस ने कहा, "हमारे पास कमेंट्री की जगह लगभग भर गयी है।" उन्होंने आगे कहा कि ऐसे में मार्क को लाना संभव नहीं है क्योंकि किसी न किसी को बाहर करना पड़ेगा। मार्क निकोलस अपनी कमेंट्री की स्टाइल के लिए काफी लोकप्रिय हैं।
#5 नवजोत सिंह सिद्धू
नवजोत सिंह सिद्धू अक्सर कमेंट्री के दौरान कुछ ज्यादा ही बोल जाते हैं, जिसके लिए लोग उनकी आलोचना करते हैं। उनके वनलाइनर और मुहावरे फैन्स को खूब पसंद आते हैं। लेकिन उनकी आदत है वह ज्यादा बोल जाते हैं। सिद्धू को espn-star ने बदजुबानी के चलते बैन कर दिया था। उसके बाद उन्हें आईसीसी ने भी बंगलादेशी टीम की आलोचना करने के लिए बैन कर दिया था। सिद्धू को उनके शब्दों की बाजीगरी के लिए जाना जाता है। इसी वजह से वह जब बोलना शुरू करते हैं तो बोलते चले जाते हैं। वह रुकते नहीं हैं। सिद्धू को अपने कमेन्ट के लिए भारतीय क्रिकेटरों के आलोचना का शिकार भी होना पड़ा है। सिद्धू साल 2003 में उस वक्त भारतीय क्रिकेटरों पे कमेन्ट करके बुरी तरह से फंस गये थे। जिसकी वजह से वह काफी दिनों तक विवादों में रहे। लेखक-पल्लब चटर्जी, अनुवादक-मनोज तिवारी