वनडे क्रिकेट के इतिहास कई बार ऐसा मौका आया है, जब भारतीय टीम शुरू में लड़खड़ा गयी है, लेकिन मैच में वापसी करने के बाद टीम ने जीत हासिल की है। आइये इस लेख में जाने ऐसे ही 5 मौके: भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया, बंगलौर(2001) टेस्ट सीरिज में ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए भारतीय टीम बड़े विश्वास के साथ वनडे सीरिज में ऑस्ट्रेलिया से भिड़ी थी। हालांकि विश्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया ने सचिन तेंदुलकर की तेज पारी खेलने के बावजूद भी भारत के 4 विकेट 122 रन पर ले लिए थे। हालांकि राहुल द्रविड़ का साथ देने मैदान पर वीरेंदर सहवाग आये थे जिनकी 22 वर्ष थी। दोनों ने मिलकर बेहतरीन बल्लेबाज़ी करते हुए भारतीय पारी को आगे बढ़ाया। 100 रन की इस साझेदारी में सहवाग ने अपने करियर का पहला अर्धशतक 58 रन बनाया था। द्रविड़ ने अपनी पारी को आगे बढ़ाया और उन्हें एक दिल्ली के बल्लेबाज़ विजय दहिया का साथ मिला। द्रविड़ ने 80 रन बनाये और भारत ने इस मैच में 315 रन बनाये। सहवाग ने 59 रन देकर 3 विकेट लिए और भारत ने 60 रन से इस मैच में जीत हासिल की। भारत बनाम इंग्लैंड, पुणे (2017) इंग्लैंड से जारी सीरिज में विराट कोहली की कप्तानी में भारत ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग करने का निर्णय लिया। इंग्लैंड ने शानदार बल्लेबाज़ी करते हुए भारत के सामने जीत के लिए 351 रन का लक्ष्य रखा था। भारत की शुरुआत इस मैच में खराब रही युवराज और धोनी भी जल्द ही आउट हो गये। भारत का स्कोर 63 रन पर 4 विकेट हो गया था। हालांकि कोहली मैदान पर थे। लेकिन बाकी के बल्लेबाज़ अनुभवहीन थे। हालांकि कोहली का अप्रोच इस मैच में हैरान कर देने वाला था। केदार जाधव ने कोहली का बखूबी साथ दिया। दोनों ने इंग्लैंड के गेंदबाजों की धज्जी उड़ाते हुए धमाकेदार बल्लेबाज़ी की। दोनों ने मिलकर 200 रन की साझेदारी करते हुए शतकीय पारी खेली। कोहली 122 रन बनाकर आउट हुए तो जाधव भी शतक के बाद आउट हो गये। हालांकि पांड्या, जडेजा और अश्विन ने भारत को आखिरी मंजिल तक पहुंचाया। इस तरह भारत इस मैच को 3 विकेट से जीतने में कामयाब हुआ। भारत बनाम ज़िम्बाब्वे कोलंबो (2002) चैंपियंस ट्राफी का पहला मैच भारत का सामना जिम्बाब्वे से था। जीत को आश्वस्त दिख रही भारतीय ने टॉस जीतने के बाद पहले बल्लेबाज़ी करने का फैसला किया। लेकिन सीन एर्विन और डगलस होंडो ने शानदार गेंदबाज़ी करते हुए भारत के 87 रन पर 5 विकेट कर दिए। लेकिन राहुल द्रविड़ और मोहम्मद कैफ ने शानदार बल्लेबाज़ी करते हुए 6ठे विकेट की 117 रन साझेदारी की। कैफ ने पूरी पारी बल्लेबाज़ी करते हुए अपना पहला शतक ठोंकते हुए भारत को 288/6 रन के सम्मानजनक लक्ष्य तक पहुँचाने कामयाबी हासिल की। जवाब में जिम्बाब्वे ने एंडी फ्लावर के 145 रन के बेहतरीन पारी की बदौलत इस बड़े स्कोर का बढ़िया तरीके से पीछा किया लेकिन दूसरे छोर से सपोर्ट न मिने के कारण अंत में ज़िम्बाब्वे को 14 रन की हार का सामना करना पड़ा। भारत बनाम इंग्लैंड कटक (2017) भारत और इंग्लैंड के बीच हाल ही वनडे सीरिज में भारत 1-0 की लीड से आगे चल रहा था। कटक में हुए दूसरे वनडे में ओइन मॉर्गन ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाज़ी करने का निर्णय लिया। भारत की शुरुआत खराब हुई और 25 रन पर 3 खिलाड़ी आउट हो गये थे। मैदान पर अनुभवी युवराज सिंह और एमएस धोनी बल्लेबाज़ी कर रहे थे। दोनों ने मिलकर भारत की मैच में वापसी करवाई। जिसका गवाह कटक के बाराबती स्टेडियम में मौजूद दर्शक बने। युवराज और धोनी ने मिलकर 256 रन की साझेदारी निभाई। युवराज ने 150 रन की पारी खेली। तो वहीं धोनी ने 134 रन की पारी खेली। जिसके बदौलत भारतीय टीम ने 50 ओवर में 6 विकेट पर 381 रन का लक्ष्य इंग्लैंड के सामने रखा। जवाब में इंग्लैंड की टीम ने भी बेहतरीन खेल दिखाते हुए, जेसन रॉय और जो रूट के पचासे और ओइन मॉर्गन के शतक के बदौलत मैच को रोमांचक बना दिया। लेकिन अंतिम क्षणों में मॉर्गन के आउट होने और भुवनेश्वर की बेहतरीन गेंदबाज़ी की बदौलत भारत ने ये मैच 15 रन से जीत लिया। भारत बनाम ज़िम्बाब्वे, टनब्रिज वेल्स(1983) इस मैच को शामिल किये बिना ये आर्टिकल अधुरा है। टनब्रिज वेल्स में 1983 के वर्ल्डकप में भारत का मुकाबला ज़िम्बाब्वे से हुआ था। भारत इस अभियान में शानदार प्रदर्शन कर रहा था। हालांकि टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने उतरी भारतीय टीम का 17 रन पर 5 विकेट हो गया और आगे बढ़कर ये स्थिति 78 पर 7 हो गयी। लेकिन कपिल देव के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। उन्होंने ऐतिहासिक पारी खेलते हुए टीम को 60 ओवर में 8 विकेट पर 266 रन के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचा दिया। कपिल पाजी ने इस मैच में 175 रन बनाये थे। गेंदबाजों ने कप्तान की कप्तानी पारी को बेकार नहीं जाने दिया और भारत के लिए नियमित अन्तराल पर विकेट लेते हुए 30 रन की जीत दिला दी।