भारतीय क्रिकेट में अब तक कई ऐसे महान बल्लेबाज हुए हैं, जिन्होंने अकेले अपने दम पर भारतीय टीम को कई मैच जिताए। 1990 के आखिर या फिर 2000 के शुरुआत में सचिन तेंदुलकर हों या महेंद्र सिंह धोनी हों या फिर अब विराट कोहली हों। इन सभी खिलाड़ियों ने कई बार भारतीय टीम को अकेले अपने दम पर मैच जिताया। बड़े टूर्नामेंटों में भी इन प्लेयरों से लोगों को काफी उम्मीदें रहती थीं। हालांकि कई मौके ऐसे भी आए जब बड़े टूर्नामेंटों में ये बल्लेबाज अपनी क्षमता के अनुरुप प्रदर्शन नहीं कर सके। खासकर फाइनल मुकाबले में जब इनसे सबसे ज्यादा उम्मीद थी, तब ये जल्द आउट होकर चलते बने। इसकी वजह से भारतीय टीम को कई बड़े फाइनल मुकाबलो में हार का सामना भी करना पड़ा। ऐसे मुकाबलो में हार बहुती खलती है,भले ही आपने उससे पहले कितने ही रन बनाए हों। लेकिन फाइनल में फ्लॉप होने से सारे किए-कराए पर पानी फिर जाता है। आइए जानते हैं ऐसे ही 5 बड़े खिलाड़ियों के बारे में जो फाइनल मुकाबले में आकर बिखर गए। 5.सचिन तेंदुलकर, 2003 वर्ल्ड कप फाइनल 2000 में मैच फिक्सिंग स्कैंडल ने पूरे वर्ल्ड क्रिकेट को हिला कर रख दिया। भारतीय टीम उस वक्त निराशा के दौर से गुजर रही थी। ऐसे में सौरव गांगुली को टीम की कमान सौंपी गई। कप्तानी मिलने के बाद उन्होंने टीम में नई जान फूंक दी। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने अपनी कप्तानी में उतना शानदार नहीं खेला लेकिन गांगुली की कप्तानी में उनके बल्ले ने जमकर रन उगले। 2003 वर्ल्ड कप में वीरेंद्र सहवाग के साथ ओपनिंग करते हुए सचिन तेंदुलकर ने लगभग हर मैच में रन बनाए। पाकिस्तान और इंग्लैंड के खिलाफ उनकी बल्लेबाजी को हमेशा याद रखा जाएगा। वो टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे। लेकिन मास्टर ब्लास्टर उस वक्त चूक गए जब करोड़ों क्रिकेट प्रेमी उनसे सबसे ज्यादा उम्मीद लगाए बैठे थे। जी हां 2003 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल तक पहुंची। फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 359 रनों का पहाड़ सा लक्ष्य खड़ा किया। ऐसे में अब सबकी उम्मीदें सिर्फ लगी थी सिर्फ और सिर्फ सचिन तेंदुलकर से जो टूर्नामेंट में अब तक शानदार बल्लेबाजी करते आए थे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं ग्लेन मैक्ग्रा की गेंद पर चौका मारने के बाद सचिन एक और बड़े शॉट के लिए गए लेकिन इस बार गेंद ने बल्ले का टॉप एज लिया और हवा में तैर गई। मैक्ग्रा ने अपनी ही गेंद पर कैच पकड़कर करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों को करारा झटका दिया। भारतीय टीम ये फाइनल मुकाबला 125 रनों से हार गई।
28 साल के लंबे इंतजार के बाद भारतीय टीम ने 2011 में क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम ने श्रीलंका को हराकर 28 सालों का सूखा खत्म किया। 2011 वर्ल्ड कप में कई खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया। खासकर युवराज सिंह ने बेहतरीन ऑलराउंड खेल दिखाया और मैन ऑफ द् टूर्नामेंट रहे। भारतीय सलामी जोड़ी सचिन और सहवाग ने भी काफी अच्छी बल्लेबाजी की। 2011 वर्ल्ड कप में सहवाग पहली ही गेंद पर बाउंड्री मारने को लेकर काफी मशहूर हो गए। सिर्फ दो ही मैचो में वो ऐसा नहीं कर पाए। पहला सेमीफाइनल मुकाबले में पाकिस्तान के खिलाफ और दूसरा फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ। हालांकि सेमीफाइनल मुकाबले में भले ही वो पहली ही गेंद पर बाउंड्री ना लगा पाए हों लेकिन उन्होंने रन जरुर बनाया। लेकिन श्रीलंका के खिलाफ बड़े फाइनल में वो सस्ते में आउट हो गए। श्रीलंका के 276 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए सहवाग पहले ही ओवर में मलिंगा की तीसरी गेंद पर आउट हो गए। वो रिव्यू के लिए भी गए लेकिन रीप्ले में साफ दिख रहा था कि वो आउट हैं। हालांकि इसके बाद गौतम गंभीर और महेंद्र सिंह धोनी ने भारतीय पारी को संभाल लिया और श्रीलंका को हराकर वर्ल्ड कप अपने नाम किया। 3. विराट कोहली, 2017 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल कप्तान के तौर पर विराट कोहली का ये पहला आईसीसी टूर्नामेंट था। टीम ने शानदार प्रदर्शन किया और फाइनल तक पहुंची। जहां उसका मुकाबला चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान से था। मैच से पहले भारतीय टीम सबकी फेवरिट थी। क्योंकि लीग मैच में भारतीय टीम पाकिस्तान को हरा चुकी थी। कप्तान कोहली ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग करने का फैसला किया। पाकिस्तानी बल्लेबाजों ने उम्मीद के उलट काफी शानदार बल्लेबाजी की और 50 ओवरो में 338 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। पाकिस्तान की तरफ से युवा बल्लेबाज फखर जमान ने शानदार शतक जड़ा। भारत की मजबूत बल्लेबाजी को देखकर लग रहा था कि भारतीय टीम ये लक्ष्य हासिल कर लेगी। लेकिन पाकिस्तान के पेसर मोहम्मद आमिर ने भारत के टॉप ऑर्डर को ध्वस्त कर भारतीय फैंस को करारा झटका दिया। ओपनर रोहित शर्मा को पहले ही ओवर में आउट करने के बाद आमिर ने अगला शिकार भारत के इस वक्त के सबसे बड़े प्लेयर और चेजमास्टर विराट कोहली को बनाया। कोहली से भारतीय टीम को सबसे ज्यादा उम्मीद थी लेकिन आमिर ने उनको चलता कर पाकिस्तानी टीम की जीत सुनिश्चित कर दी। पाकिस्तान ने 180 रनों के बड़े अंतर से भारत को हराकर चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब अपने नाम किया। 2. महेंद्र सिंह धोनी, आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2013 फाइनल 2011 वर्ल्ड कप फाइनल के बाद चीजें अब तक काफी बदल चुकी हैं। टीम में अब सचिन, सहवाग और जहीर खान जैसे खिलाड़ी नहीं हैं। 2017 की चैंपियंस ट्रॉफी में कई सारे नए नाम थे। 2007 में भी महेंद्र सिंह धोनी ने एक युवा टीम की अगुवाई की थी और भारत को टी-20 वर्ल्ड कप का खिताब दिलाया था। 2013 वर्ल्ड कप में भी महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में भारतीय टीम ने चैंपियंस ट्रॉफी पर कब्जा जमाया। हालांकि 2017 चैंपियंस ट्रॉफी में महेंद्र सिंह धोनी बल्ले से वो कमान नहीं कर पाए जिसके लिए वो जाने जाते हैं। फाइनल मुकाबले में पाकिस्तान के खिलाफ जब टीम को उनकी सबसे ज्यादा जरुरत थी वो जल्द आउट होकर चलते बने।
कैंसर से उबरकर युवराज सिंह ने जबरदस्त वापसी की। उन्होंने कई मैचो में शानदार बल्लेबाजी की। यही वजह रही कि 2014 में बांग्लादेश में हुए टी-20 वर्ल्ड कप में उन्हे टीम में जगह मिली। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ताबड़तोड़ 60 रन बनाकर युवराज सिंह ने अपनी उपयोगिता साबित भी की। श्रीलंका के खिलाफ फाइनल मुकाबले में भी उनसे टीम को काफी उम्मीदें थीं। युवराज सिंह 11वें ओवर में बल्लेबाजी के लिए और सभी उम्मीद कर रहे थे कि युवराज सिंह भारतीय टीम को एक बड़े स्कोर तक ले जाएंगे। लेकिन युवराज सिंह ने अपने स्वभाव के विपरीत बल्लेबाजी की और 20 गेंदों पर महज 11 रन ही बना सके। भारतीय टीम मैच हार गई और युवराज सिंह को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। लेखक- राजदीप पुरी अनुवादक- सावन गुप्ता