इसमें कोई शक नहीं है कि भारतीय क्रिकेट टीम के सफलतम कप्तान महेंद्र सिंह धोनी युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं। कई क्रिकेटर्स को धोनी ने काफ़ी प्रोत्साहित भी किया और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफल बनाने में भी भरसक कोशिश की। धोनी ज़्यादातर निचले क्रम पर बल्लेबाज़ी करने आते हैं, और मैच फ़िनिशर की भूमिका निभाते है। अगर दूसरे बल्लेबाज़ शानदार लय में रहते हैं तो धोनी दूसरे छोर पर एंकर की भूमिका में परिस्थिति के हिसाब से ख़ुद और सामने वाले बल्लेबाज़ को खेलने देते हैं। धोनी को क़िस्मत का धनी भी कहा जाता है, कई बार क़िस्मत का साथ उन्हें मिला और भारत को अपनी बल्लेबाज़ी के दम पर कई यादगार जीत दिलाई है इस दाएं हाथ के बल्लेबाज़ ने। तो कई बार बस उनकी उपस्थिति दूसरे बल्लेबाज़ों के लिए यादगार बनी है। आपके सामने पांच ऐसे ही मौक़ों को हम ताज़ा कराने जा रहे हैं जब धोनी की दूसरे छोर पर उपस्थिति ने उनके साथी बल्लेबाज़ों को महत्वपूर्ण कीर्तिमान तक पहुंचाया। सुरेश रैना (101), टी20 में भारत का पहला शतक 2010 में खेला गया वर्ल्ड टी20 का पांचवां मुक़ाबला भारत और दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ था। टीम में न वीरेंदर सहवाग थे और न ही गौतम गंभीर, भारत के लिए सलामी बल्लेबाज़ी की भूमिका निभाई थी मुरली विजय और दिनेश कार्तिक ने। मैच की दूसरी ही गेंद पर विजय पैवेलियन वापस लौट गए थे और अब क्रीज़ पर थे आईपीएल में शानदार प्रदर्शन करने वाले सुरेश रैना। क़िस्मत रैना के साथ थी, शुरुआत में रैना नो बॉल पर लपके गए थे। सुरेश रैना ने इसका जमकर फ़ायदा उठाया, डेल स्टेन, जैक्स कालिस और मोर्केल बंधुओं के ख़िलाफ़ जमकर रैना ने रन बनाए। 19वें ओवर में युसूफड पठान की विकेट गिरी और अब क्रीज़ पर थे कप्तान धोनी, धोनी ने तेज़ी से स्कोर को बढ़ाते हुए 180 के पास पहुंचा दिया था। रैना 95 रनों पर बल्लेबाज़ी कर रहे थे और सभी की नज़रें इस बात पर टिकी थी कि क्या रैना शतक पूरा कर पाएंगे। रैना ने लंबा छकाया लगाते हुए टी20 में भारत की तरफ़ से पहला शतक लगा डाला था, और ये सब दूसरे छोर से धोनी देख रहे थे। युवराज सिंह के 6 गेंदो पर 6 छक्के (2007) 2007 टी20 वर्ल्डकप, क्रिकेट के सबसे छोटे फ़ॉर्मेट का सबसे बड़ा टूर्नामेंट। इंग्लैंड के ख़िलाफ़ भारत का अहम मुक़ाबला था और मैच के दौरान इंग्लैंड के ऑलराउंडर एंड्र्यू फ़्लिंटॉफ़ ने युवराज सिंह को उकसा दिया था। उसके बाद क्या हुआ ये भारतीय इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो गया। स्टुअर्ट ब्रॉड गेंदबाज़ी आक्रमण पर थे और फ़्लिंटॉफ़ का ग़ुस्सा बाएं हाथ के इस बल्लेबाज़ ने ब्रॉड पर निकाला और 6 गेंदो पर 6 छक्का लगाते हुए इतिहास रच दिया था, इसे इत्तेफ़ाक कहें या कुछ और इस पल में भी दूसरे छोर पर महेंद्र सिंह धोनी ही मौजूद थे। सचिन तेंदुलकर का 50वां टेस्ट शतक (2010) 1990 में 17 साल की उम्र में भारत के लिए शतक लगाने वाले सबसे युवा बल्लेबाज़ सचिन तेंदुलकर ने 20 साल बाद इंग्लैंड के मैनचेस्टर में फिर उसी कारनामे को दोहराया था। शतक लगाने की ललक सचिन के लिए इतने सालों बाद भी ज़िंदा थी। साल 2010 सचिन के लिए यादगार था, उसी साल सचिन ने टेस्ट में अपना 50वां शतक जड़ा था और उसी साल वनडे में दोहरा शतक लगाने वह पहले बल्लेबाज़ भी बने थे। मास्टर ब्लास्टर ने अपने शतकों का अर्धशतक दक्षिण अफ्रीका में उन्हीं के ख़िलाफ़ जड़ा था। डेल स्टेन की तेज़ गेंद को कवर की ओऱ ड्राइव करते हुए सचिन ने इस कीर्तिमान को छुआ था, और फिर ख़ुशी से अपना बल्ला हवा में लहराते हुए दर्शकों का अभिवादव स्वीकार किया। एक बार फिर सचिन के सामने यानी दूसरे छोर पर मौजूद थे महेंद्र सिंह धोनी। धोनी के साथ खुशियां मनाते हुए सचिन एक बार फिर गार्ड लेकर अगली गेंद के लिए तैयार थे। रोहित शर्मा 209 vs ऑस्ट्रेलिया (2013) भारत के लिए एक मध्यक्रम बल्लेबाज़ के तौर पर डेब्यू करने वाले रोहित शर्मा का करियर शुरुआत में काफ़ी मुश्किलों से भरा था। वह अपने आपको साबित नहीं कर पा रहे थे और उनपर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा था, उनके लिए करियर का टर्निंग प्वाइंट तब रहा जब उन्हें सलामी बल्लेबाज़ी की भूमिका दी गई। रोहित शर्मा में बदलाद दिखा साल 2013 में जब उन्होंने कंगारुओं के ख़िलाफ़ वनडे में दोहरा शतक लगाने वाले दुनिया के बस तीसरे खिलाड़ी बने थे। 7 मैचों की इस सीरीज़ के अहम मुक़ाबले में रोहित ने शुरुआत धीमी की थी, लेकिन फिर गियर बदलते हुए आख़िरी ओवर की पहली गेंद पर अपना दोहरा शतक पूरा कर लिया। नॉन स्ट्राइकर की तरफ़ से धोनी हंसते हुए आए और रोहित शर्मा को मुबारकबाद देते हुए गले से लगा लिया। सचिन तेंदुलकर 200* (2010), वनडे का पहला दोहरा शतक 1997 में बेलिंडा क्लार्क ने वनडे महिला क्रिकेट में दोहरा शतक लगाते हुए पहली खिलाड़ी बनी थीं, और इसके 13 साल बाद 2010 में कोई पुरुष क्रिकेटर इस कारनामे को अंजाम दे पाया था, और वह थे क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर। अपने करियर के 21वें साल में सचिन तेंदुलकर ने इस विश्व कीर्तिमान को अपने नाम किया था। वीरेंदर सहवाग के साथ पारी की शुरुआत करने वाले सचिन ने अपने ऊपर डेल स्टेन या जैक्स कालिस को हावी नहीं होने दिया, और शानदार अंदाज़ में ग्वालियर के मैदान में चारों तरफ़ रन बनाए। तेंदुलकर ने पहले टीम इंडिया का आंकड़ा 300 रनों के पार पहुंचाया और फिर 400 के भी पार कर दिया था स्कोर। पठान के आउट होने के बाद सचिन का साथ देने आए थे धोनी, और आख़िरी लम्हों में सचिन पर से बोझ हलका करते हुए धोनी तेज़ी से रन चुरा रहे थे। आख़िरी ओवर में प्वाइंट की ओर खेलते हुए सचिन ने वनडे क्रिकेट का पहला दोहरा शतक बना दिया था, एक बार फिर सचिन की इस ख़ुशी में शामिल थे महेंद्र सिंह धोनी।