जब आप भारत मे होने वाले टेस्ट मैचों के बारे में सोचते हैं तो आपके ध्यान में आता है कि धूल भरी पिच होगा जो पहले दिन से स्पिन गेंदबाजों के लिए मददगार होगी या फिर सपाट विकेट होगी जिसपर खूब रन बनेंगे, फिर दरार की वजह से मैच के अंतिम दो दिनों में स्पिनरों के लिए जन्नत होगी।
हरी घास वाली पिच शायद ही भारत में बनती हैं, ऐसे में टीम के तेज गेंदबाज मात्र सहायक गेंदबाज की भूमिका निभाते हैं। जबकि उपमहाद्वीप की पिचों पर शुरुआत में गेंद स्विंग नहीं होती इसलिए तेज गेंदबाज तभी कारगर नज़र आते हैं जब रिवर्स स्विंग शुरू होती है।
यही वजह है कि स्पिनरों को काफी विकेट मिलते हैं और इस बात में कोई दो राय नहीं कि भारतीय टीम घरेलू मैदानों पर जीत के लिए पूरी तरह स्पिनरों पर ही निर्भर रहती है।
हालांकि, कई ऐसे भी मौकें आये हैं जब तेज गेंदबाजों ने स्पिनरों को पीछे छोड़ते हुए मैच में 60 प्रतिशत से ज्यादा विकेट हासिल किए हैं। आईये ऐसे ही 5 मौके देखते हैं:
#5 बनाम न्यूज़ीलैंड, कोलकाता (2016)- 12 विकेट (60%)
ईडन गार्डन्स में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ दूसरे टेस्ट मैच के शुरू होने से पहले ही पिच पर हरी घास दिख रही थी और तेज गेंदबाजों को मदद मिलने की पूरी उम्मीद थी। पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत की शुरुआत खराब रही और स्कोर 46/3 हो गया। चेतेश्वर पुजारा (87), अजिंक्य रहाणे (77) और ऋद्धिमान साहा (54) की महत्वपूर्ण पारियों की वजह से भारत का स्कोर 316 पहुंच गया।
भारतीय तेज गेंदबाज ने भी पिच से मिल रही मदद का पूरा फायदा उठाया। भुवनेश्वर कुमार ने कीवी टीम के मध्यक्रम को तहस नहस करते हुए 48 रन देकर 5 विकेट झटके। मोहम्मद शमी ने भी उनका पूरा साथ दिया और 3 विकेट अपने नाम किये। इस तरह मेहमान टीम 204 रनों पर ऑलआउट हो गयी।
दूसरी पारी में भारत ने 263 रन बनाए, जिसमें रोहित शर्मा (82) और ऋद्धिमान साहा (58 नाबाद) की जुझारू पारियां शामिल थी। 376 रनों के पीछा करने उतरी न्यूज़ीलैंड 197 रनों पर सिमट गई। शमी (3/46) और भुवनेश्वर (1/28) ने फिर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
#4 बनाम इंग्लैंड, बॉम्बे (1981)- 12 विकेट (60%)
1981/82 में टीम 5 साल बाद इंग्लैंड क्रिकेट टीम टेस्ट सीरीज खेलने भारत आई। 6 टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला मैच बॉम्बे के वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया।
टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम इयान बॉथम और ग्राहम डेली के गेंदबाजी के सामने नहीं टिक पाई और पूरी टीम 179 रनों पर ढेर हो गयी। भले ही भारतीय बल्लेबाज नहीं चल पायें लेकिन गेंदबाजों ने अपना काम कर दिया और दिलीप दोषी के 5/39 की मदद से भारत ने इंग्लैंड को पहली पारी में 166 रनों पर रोक दिया। तेज गेंदबाज कपिल देव और मदन लाल ने भी 1-1 विकेट हासिल किए।
बल्लेबाजी के लिए मुश्किल पिच पर भारतीय बल्लेबाजों ने दूसरी पारी में 227 रन बनाए और इंग्लैंड के सामने जीत के लिए 241 रनों का लक्ष्य रखा। जहां इंग्लैंड की टीम भारतीय स्पिन गेंदबाजों से डर रही थी वहीं कपिल और मदनलाल की जोड़ी ने उनकी बल्लेबाजों को सस्ते में समेट भारत को 138 रनों से जीत दिला दी।
जहां कपिल देव ने 70 रन देकर 5 विकेट लिए वहीं मदनलाल ने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 23 रन देकर 5 विकेट हासिल किए। यह भारतीय क्रिकेट इतिहास में पहला मौका था जब तेज गेंदबाजों ने घर में पारी के सभी 10 विकेट हासिल किये।
#3 बनाम वेस्टइंडीज, अहमदाबाद (1983)- 14 विकेट (70%)
वेस्टइंडीज के खिलाफ 1983/84 की सीरीज के तीसरे मैच में भारतीय टीम 3 तेज गेंदबाज (कपिल देव, बलविंदर संधू और रोजर बिन्नी) के साथ उतरी, जैसा भारतीय टीम कम ही मौकों पर करती है। दरअसल, मोटेरा की पिच की यही मांग थी।
टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करते हुए भारतीय टीम कंडीशन का ज्यादा फायदा नहीं उठा पाई और वेस्टइंडीज की टीम ने पहली पारी में 281 रन बना दिये। तेज गेंदबाजों के लिए मददगार इस पिच पर भरतीय तेज गेंदबाजों को सिर्फ 4 ही विकेट मिले। जिसमें रोजर बिन्नी ने 3 विकेट हासिल किए जबकि कपिल देव को 1 विकेट ही मिला।
जवाब में भारत ने अपनी पहली पारी में 241 रन बनाए और मेहमानों को 40 रनों की बढ़त मिल गयी। भारतीय टीम के सामने वेस्टइंडीज की पारी को जल्द से जल्द समेटने की जिम्मेदारी थी और कपिल देव ने यह जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए 83 रन देकर 9 विकेट हासिल किए।
चौथी पारी में भारत को जीत के लिए 242 का लक्ष्य मिला लेकिन भारतीय टीम 103 रनों पर आउट हो गयी और वेस्टइंडीज ने सीरीज में 2-0 की बढ़त बना ली। नतीजा भले ही भारत के पक्ष में न रहा हो लेकिन कपिल देव का वह स्पेल यादगार बन गया।
#2 बनाम ऑस्ट्रेलिया, बैंगलोर (2008)- 13 विकेट (82.25%)
साल 2008 में भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीम ने 10 महीनों के अंतराल में दो टेस्ट सीरीज खेल लिए। ऑस्ट्रेलिया में हुए विवादित सीरीज में 1-2 से हारने के बाद भारतीय टीम अपनी सरजमीं पर बॉर्डर-गावस्कर सीरीज पर कब्जा जमाने के इरादे से उतरी थी।
बल्लेबाजी के अनुकूल पिच और टॉस जीतकर बल्लेबाज़ी करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने रिंकी पॉन्टिंग (123) और माइकल हसी (146) की पारियों की मदद से अपनी स्थिति मजबूत कर ली। लेकिन, ज़हीर खान और इशांत शर्मा ने मिलकर 9 विकेट हासिल कर मेहमानों को 430 पर रोक दिया। ज़हीर खान ने भारतीय सरजमीं पर पहली बार पारी में 5 विकेट हासिल किये।
पहली पारी में भारत का स्कोर 232/7 हो गया और लगने लगा कि ऑस्ट्रेलिया को बड़ी बढ़त मिल जाएगी लेकिन निचले क्रम में ज़हीर (57 नाबाद) और हरभजन (54) की पारियों की वजह से भारतीय टीम 360 रनों तक पहुंच गई।
दूसरी पारी में भी तेज गेंदबाजों ने ऑस्ट्रेलिया को रोके रखा और 4 विकेट हासिल किए। जिसमें इशांत शर्मा (3/46) ने खासकर काफी अच्छी गेंदबाजी की। ऑस्ट्रेलिया ने 5वें दिन पहले सत्र में अपनी पारी घोषित कर दी और भारत को जीत के लिए 299 रनों के लक्ष्य मिला।
सचिन तेंदुलकर (49) और वीवीएस लक्ष्मण(42 नाबाद) की पारियों की वजह से भारत टेस्ट मैच ड्रा कराने में सफल रहा। लेकिन, सपाट पिच पर भारतीय तेज गेंदबाजों ने ऑस्ट्रेलिया की 16 विकटों में से 13 विकेट हासिल कर सभी का दिल जीत लिया।
#1 बनाम श्रीलंका, कोलकाता (2017)- 17 विकेट (100%)
कोलकाता की घास भरी पिच और बादलों से भरे आसमान जैसे तेज गेंदबाजों के प्रतिकूल माहौल में श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला किया। सुरंगा लकमल की घातक गेंदबाजी 6-6-0-3 की वजह से बारिश से बाधित पहले दिन भारत का स्कोर 17/3 रहा।
बल्लेबाजी के लिए मुश्किल परिस्थिति में भारतीय टीम 172 रनों पर ऑलआउट हो गयी। जवाब में भारतीय पेस गेंदबाजी की तिकड़ी भुवनेश्वर, उमेश और शमी से सभी को काफी उम्मीदें थी। श्रीलंका की शुरुआत अच्छी रही और उनका स्कोर 200/4 था। उसके बाद तीनों ही गेंदबाजों ने भारत की वापसी कराई और श्रीलंका की टीम 294 पर ऑलआउट हो गयी।
1983 के बाद पहली बार भारतीय सरजमीं पर पारी के सभी विकेट भारत के तेज गेंदबाजों को मिले। शमी और भुवनेश्वर ने 4-4 विकेट हासिल किए वहीं उमेश यादव को 2 विकेट मिला। 122 रनों से पिछड़ने के बाद भारतीय सलामी बल्लेबाजों ने टीम को अच्छी शुरुआत दी और पहले विकेट के लिए 166 रन जोड़े। उसके बाद मेजबान के विकेट गिरने लगे लेकिन कप्तान विराट कोहली के शानदार शतक की बदौलत भारत ने श्रीलंका के सामने 231 रनों का लक्ष्य रखा।
मैच का ज्यादातर समय बारिश की वजह से बर्बाद हो गया था। ऐसे में अभी सभी को ड्रा की उम्मीद थी लेकिन मैच में काफी ड्रामा बाकी था। अंतिम दिन के अंतिम सत्र में भुवनेश्वर कुमार और मोहम्मद शमी की शानदार गेंदबाजी की वजह से श्रीलंका का स्कोर 75/7 हो गया था, तभी खराब रौशनी की वजह से मैच को रोकना पड़ा और भारत को ड्रा से ही संतोष करना पड़ा।
भुवनेश्वर कुमार ने 4/8 जबकि शमी और उमेश यादव ने मिलाकर 3 विकेट हासिल किए। इस मैच में श्रीलंका के गिरे सभी 17 विकेट भारतीय तेज गेंदबाजों ने हासिल किए और भारत के घरेलू सरजमीं पर यह पहला मौका था जब पूरे मैच में स्पिन गेंदबाजों को एक भी विकेट नहीं मिला।