सचिन तेंदुलकर टीम इंडिया में कितनी अहमियत रखते थे, ये शब्दों में बयां कर पाना मुमकिन नहीं है। ढाई दशकों तक मास्टर ब्लास्टर ने जैसी क्रिकेट खेली है वो शानदार है। सचिन न सिर्फ़ टीम इंडिया के लिए बल्कि क्रिकेट की दुनिया के लिए भी एक धरोहर हैं। सचिन को उनकी क़ाबिलियत, तकनीक और जुझारुपन के लिए जाना जाता है। एक वक़्त ऐसा भी आया जब भारत ही नहीं पूरी दुनिया के सामने ये ज़ाहिर हो गया कि टीम इंडिया इस 5 फ़ीट और 5 इंच के खिलाड़ी पर कितनी निर्भर है। सचिन के कंधों पर अरबों भारतीयों की उम्मीदों का बोझ था जिसे वो बख़ूबी समझते थे और इन्हीं उम्मीदों पर वो खरे भी उतरते थे। 1990 के दशक में टीम इंडिया मास्टर ब्लास्टर के बिना शायद ही कोई मैच जीत पाती थी। शायद यही वजह रही कि कई मौक़ों पर सचिन का विकेट गिर जाना टीम इंडिया को हार की तरफ़ ले गया था, ऐसे ही 5 मौक़ों के बार में हम यहां जानेंगे।
#5 भारत बनाम दक्षिण अफ़्रीका, वर्ल्ड कप 2011
साल 2011 के वर्ल्ड कप में टीम इंडिया सिर्फ़ 1 मैच हारी थी वो भी नागपुर में साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़। भारत ने इस मैच में एक अच्छी शुरुआत की थी और वो अच्छे स्कोर की तरफ़ बढ़ रही थी। भारत का रन रेट भी काफ़ी ज़बरदस्त था। इस मैच में भारत की सलामी जोड़ी ने पारी की शानदार शुरुआत की थी। वीरेंदर सहवाग ने 73 रन बनाए और सचिन ने अपने करियर का 99वां अंतर्राष्ट्रीय शतक (111) लगाया था। वीरू के आउट होने के बाद सचिन और गंभीर ने मिलकर 125 रन की साझेदारी की। एक वक़्त ऐसा लग रहा था कि भारत 350 के स्कोर को पार कर लेगा, लेकिन फिर हमने टीम इंडिया के बैटिंग ऑर्डर का बिखराव देखा। जब सचिन आउट हुए तो भारत का स्कोर 39.4 ओवर में 267 रन था और सिर्फ़ 2 बल्लेबाज़ आउट हुए थे। टीम इंडिया के अगले 8 विकेट महज़ 29 रन के अंदर गिर गए और पूरी टीम 296 रन पर सिमट गई। लक्ष्य का पीछा करने उतरी प्रोटियाज़ टीम में से किसी ने सचिन की तरह कोई बड़ा स्कोर नहीं बनाया। पहले 9 बल्लेबाज़ों ने दहाई अंक को छुआ जिसमें से 3 बल्लेबाज़ों ने अर्धशतक बनाया। इस तरह साउथ अफ़्रीका की टीम ये मैच जीतने में सफल रही।
#4 भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया, शारजाह, 1998
इस बात में कोई शक नहीं कि साल 1998 के शारजाह कप में सचिन ने अपने करियर की बेतरीन पारी खेली। रेतीली आंधियों के बीच सचिन का तूफ़ान सबने देखा था। सचिन का हर फ़ैन इस मैच को बार-बार देखना चाहेगा, लेकिन ये बात भी क़ाबिल-ए-ग़ौर है कि सचिन इस मैच में टीम इंडिया के लिए अकेले जद्दोजहद कर रहे थे। भारत को जीत के लिए 46 ओवर में 276 रन की ज़रूरत थी और सचिन 143 के निजी स्कोर पर आउट हो गए थे। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के हर गेंदबाज़ों के छक्के छुड़ाए। भारत को फ़ाइनल में पहुंचने के लिए ये मैच जीतना बेहद ज़रूरी था, लेकिन टीम इंडिया की पारी सचिन के ही ईद-गिर्द घूमती रही। जब सचिन का विकेट गिरा तो भारत का स्कोर 43 ओवर में 242 रन था। भारत लक्ष्य को नहीं पा सका और उसे हार का सामना करना पड़ा। लेकिन सचिन ने फ़ाइनल में पहुंचने के लिए जो नेट रनरेट टीम इंडिया को चाहिए था वहां तक पहुंचा चुके थे।
#3 भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया, 2009-10
ये सबसे ताज़ा मिसाल है जब सिर्फ़ सचिन ने ही मुक़ाबला किया हो। पहले बल्लेबाज़ी करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने 349 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया। ये स्कोर साल 2003 के वर्ल्ड कप की याद दिला रहा था जब फ़ाइनल में कंगारुओं ने भारत के लिए ऐसा ही लक्ष्य दिया था और टीम इंडिया इसको पाने में नाकाम रही थी। ज़ाहिर सी बात थी कि ये मैच जीतना टीम इंडिया के लिए आसान नहीं होने वाला था, लेकिन सचिन ने अपनी पारी से इस सोच को बदलने की कोशिश की। सचिन शुरुआत में काफ़ी धीमा खेल रहे थे और अपने करियर के 17,000 रन की तरफ़ बढ़ने लगे, जब उन्होंने ये आंकड़ा छू लिया तो वो अपने करियर की एक बेहतरीन पारी की तरफ बढ़े। सचिन के सामने कंगारू गेंदबाज़ ख़ुद को लाचार महसूस करने लगे। अपनी पारी के दौरान सचिन ने ये कोशिश की कि जीत के लिए ज़रूरी रन रेट 8 तक न पहुंचे। ऑस्ट्रेलिया जैसी मज़बूत टीम के ख़िलाफ़ ऐसा कर पाना अपने आप में बड़ी बात थी। सचिन ने इस मैच में 175 रन की शानदार पारी खेली, ये सिर्फ़ इसलिए बेहतरीन पारी नहीं थी कि सचिन के रन ज़्यादा थे, बल्कि इतने दबाव में ऐसा खेल पाना वाकई कमाल की बात थी। जब सचिन आउट हुए तो टीम इंडिया को जीत के लिए महज़ 17 गेंदों में 19 रन की ज़रूरत थी जो आसान सा लक्ष्य लग रहा था। सचिन के अलावा सिर्फ़ एक बल्लेबाज़ ने 50 रन का आंकड़ा पार किया था। सचिन ने अपना बेस्ट दिया फिर भी टीम इंडिया 3 रन से हार गई।
#2 भारत बनाम पाकिस्तान, चेन्नई, 1999
भारत-पाकिस्तान का मैच हमेशा दबाव से भरा होता है, लेकिन साल 1999 में करगिल युद्ध की वजह से ये दबाव और भी ज़्यादा हो गया था। दोनों देशों के सियासी हालात का असर क्रिकेट के खेल पर साफ़ देखा जा सकता था। चेन्नई में हुए इस टेस्ट मैच की आख़िरी पारी में भारत को जीत के लिए 271 रन का लक्ष्य मिला। पाकिस्तानी गेंदबाज़ी आक्रमण के सामने ये लक्ष्य बिलकुल भी आसान नहीं था। टीम इंडिया के पहले 2 बल्लेबाज़ महज़ 6 रन पर पवेलियन लौट गए। फिर सचिन चेपक के मैदान में सभी भारतीयों की उम्मीदों के साथ आए। सचिन अपनी ज़िम्मेदारी निभाने लगे लेकिन दूसरे छोर पर विकेट लगातार गिरते रहे। मैच के आख़िरी कुछ घंटों में सचिन की पीठ में दर्द होने लगा, फिर भी सचिन मैदान में डटे रहे। पाकिस्तान की तरफ़ से सक़लैन मुश्ताक़ का क़हर जारी था। सचिन काफ़ी जद्दोजहद के बाद आउट हो गए। उस वक़्त भारत को सिर्फ़ 17 रन की ज़रूरत थी और उसके 3 विकेट बाक़ी थे। इस सब के बावजूद टीम इंडिया 12 रन से हार गई।
#1 भारत बनाम श्रीलंका, वर्ल्ड कप 1996
साल 1996 के वर्ल्ड कप के सेमीफ़ाइनल मैच में भारत का मुक़ाबला श्रीलंका से जारी था। ज़ाहिर है कि घरेलू दर्शकों के बीच टीम इंडिया दबाव में थी। इससे पहले इसी टूर्नामेंट में भारत ने पाकिस्तान को धूल चटाई थी। भारतीय फ़ैन्स ये उम्मीद कर रहे थे कि भारत सेमीफ़ाइनल मैच को ज़रूर जीतेगा। कोई भी ये नहीं भूल सकता कि उस दिन आख़िर हुआ क्या था। ईडन गार्डेन में वो क्रिकेट इतिहास का सबसे काला दिन था। भारत को जीत के लिए 252 रन का लक्ष्य मिला था। सचिन ने एक सधी हुई शुरुआत देते हुए 88 गेंदों में 65 रन की पारी खेली। सभी को भारत की जीत दिखने लगी थी। जब सचिन आउट हुए तो भारत का स्कोर 98/2 था, इसके बाद टीम इंडिया ताश के पत्तों की तरह बिखर गई। 34.1 ओवर में भारत के 8 विकेट महज़ 120 रन के स्कोर पर गिर गए। कोलकाता के ईडन गार्डन्स में मौजूद दर्शक बेक़ाबू हो गए और स्टेडियम के स्टैंड में कई जगह आग लगा दी। खेल को बीच में रोकना पड़ा और श्रीलंका को रन रेट के आधार पर विजेता घोषित कर दिया गया। जिसने भी ये मैच देखा होगा उसे विनोद कांबली का रोता हुआ चेहरा ज़रूर याद होगा। लेखक- आयुष भट्ट अनुवादक- शारिक़ुल होदा